कई भारतीयों के लिए, घर का बना खाना जीविका से कहीं ज्यादा होता है. यह सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं है बल्कि खाना उन्हें उनकी विरासत और प्रियजनों से जोड़ने वाला एक सूत्र है. लेकिन आज रोजगार के चक्कर में बहुत से लोगों का घर छूट जाता है और इसके साथ ही घर का खाना भी. महानगरों या दूसरे देशों में नौकरी करते हुए बहुत से लोग घर के खाने को मिस करते हैं. हालांकि, दूसरे शहरों में नौकरी कर रहे लोगों को तो फिर भी आसपास ऐसे विकल्प मिल जाते हैं जहां उन्हें ठीक-ठाक खाना मिल जाता है लेकिन जो परदेश में नौकरी करते हैं उनका क्या?
लंदन में इसी समस्या को हल करने के लिए भारत से ताल्लुक रखने वाली एक महिला ने अपनी दोस्त के साथ शुरू किया DabbaDrop (डब्बाड्रॉप). यह मुंबई के पॉपुलर डब्बावालों के कॉन्सेप्ट से इंस्पायर्ड है. डब्बावाला सिस्टम पिछले 130 सालों से ज्यादा समय से मुंबई में चल रहा है. "लंचबॉक्स मैन" अलग-अलग घरों से टिफिन इकट्ठा करते हैं और उन्हें शहर भर में ऑफिस कर्मचारियों तक पहुंचाते हैं. ताजा, घर का बना भोजन और कम से कम वेस्टेज के प्रति उनका समर्पण डब्बाड्रॉप के मिशन के साथ मेल खाता है.
दो मांओं ने शुरू किया स्टार्टअप
साल 2018 में स्थापित, डब्बाड्रॉप लंदन में रहने वाली अंशू आहूजा और रेनी विलियम्स के दिमाग की उपज है. इन दो मांओं ने यह टिफिन सर्विस अंशू की किचन से शुरू की. अंशू मुंबई में पली-बढ़ी और यहां के खाने का उनपर बहुत ज्यादा प्रभाव रहा है. उन्हें रेस्टोरेंट के खाने को रिक्रिएट करने का भी शौक रहा. हाल ही में, लंदन में बतौर टीवी प्रॉड्यूसर काम करते हुए उन्होंने नोटिस किया कि फूड डिलीवरीज कितना ऑयली खाना देते हैं और साथ ही पैकेजिंग में प्लास्टिक का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है.
अंशू ने अपनी किचन में अपने परिवार में बनने वाली साउथ एशियन फैमिली रेसिपीज को बनाना शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने 20 लोगों के लिए खाना बनाना शुरू किया और इस खाने को डब्बावालों की तरह इको-फ्रेंडली पैकेजिंग में पैक किया. अब उनका यह टिफिन बिजनेस घर की किचन से ज्यादा बढ़ चुका है और उनके लगभग 2000 सब्सक्राइबर है जिन्हें वे रेगुलरली टिफिन डिलीवरी देते हैं.
सब्सक्रिप्शन मॉडल पर करते हैं काम
डब्बाड्रॉप सब्सक्रिप्शन मॉडल पर काम करता है और उनकी कोशिश है कि वेस्टेज कम से कम हो. इन डब्बों को साइकिल, ई-बाईक या कोई और एमिशन-फ्री व्हीकल के जरिए डिलीवर किया जाता है. कर्ली टेल्स के मुताबिक, डब्बा ड्रॉप अब तक 203,370 से ज्यादा प्लास्टिक कंटेनर और 2500 किलो से ज्यादा फूड को वेस्ट होने से बचा चुके हैं.
डब्बा ड्रॉप के मेनू की बात करें तो आपको अलग-अलग वैरायटी के क्यूज़ीन से आपको डिशेज मिलती हैं जैसे भारतीय, जापानी, वियतनाम आदि. हर सप्ताह मेनू बदलता है और आपको आलू टुक से लेकर बॉम्बे सैंडविच से लेकर ग्रीन गोमा-शोगा जैसे ऑप्शन मिलते हैं. खाना बनाते समय हाइजीन और पोषण का पूरा ख्याल रखा जाता है. सबसे अच्छी बात है कि अंशू और रेनी को लोगों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. उनके सब्सक्राइबर लगातार बढ़ रहे हैं.