दुनियाभर में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे (Valentine's Day) मनाया जाता है. प्रेमी और प्रेमिका एक दूसरे को गुलाब का फूल देकर प्यार का इजहार करते हैं. गुलाब का फूल प्रेमी-प्रेमिका के होंठों पर मुस्कान लाता है. यही फूल किसानों के चेहरे भी खिला देता है. बात महाराष्ट्र (maharashtra) के उन किसानों की हो रही है, जो फूलों की खेती करते हैं. पुणे (Pune) के इस इलाके से फूल देश-विदेश जाते हैं और वैलेंटाइन डे पर कपल्स के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. यहां से गुलाब के फूलों का निर्यात रूस (Russia), अमेरिका (USA), जापान (Japan), दुबई (Dubai) जैसे देशों में किया जाता है.
वैलेंटाइन डे लाता है किसानों के चेहरे पर मुस्कान-
पुणे के मावल में किसान पॉली हाउस में गुलाब की खेती करते हैं. मावल का ये इलाका गुलाब की खेती के लिए शानदार है. इसलिए इस इलाके के किसान खूब गुलाब की खेती होती है. पिछले वैलेंटाइन वीक (Valentine's Week) के दौरान एक गुलाब की कीमत 15 से 20 रुपए तक मिली थी. लेकिन इस साल गुलाब की कीमत थोड़ी कम है. इस साल विदेश में गुलाब की कीमत 15 से 17 रुपए मिली है. इसलिए मावल के किसानों ने सिर्फ 50 फीसदी गुलाब के फूलों को विदेश भेजा है. मार्केट में बढ़ते आर्टिफिशियल फूलों और फ्लाइट में जगह ना मिलने की वजह से इस बार फूलों को विदेश भेजने में दिक्कत आई है. हालांकि हर बार मावल के किसानों के खेतों का फूल अमेरिका, रूस, जापान, मलेशिया, दुबई और नीदरलैंड जैसे देशों में जाता है.
विदेश भेजे गए 30 लाख गुलाब-
गुलाब खेती करना इतना आसान काम नहीं है. किसान मुकुंद ठाकर ने बताया कि साल 2015-16 में मावल के किसान भाइयों ने गुलाब खेती की शुरुआत की थी. इसी दौरान नोटबंदी और कोरोना ने इनकी कमर तोड़ दी. लेकिन किसानों ने हार नहीं मानी. वो लगातार गुलाब की खेती करते रहे. वैलेंटाइन डे को लेकर इस साल मावल से 20 से 30 लाख गुलाब विदेश भेजा जा चुका है. गुलाब की खेती से 4 से 5 करोड़ का टर्नओवर हो चुका है.
खेतों में 80 फीसदी महिला मजदूर-
गुलाब के खेतों में 80 फीसदी महिलाएं काम करती हैं. मावल इलाके में इससे 5 से 10 हजार महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. यहां देश के कई इलाकों की महिलाएं काम करती नजर आ जाती हैं. महिलाएं यहां खुद को सुरक्षित भी महसूस करती है. मावल के किसानों ने दिखा दिया कि आधुनिक खेती के जरिए कमाई की जा सकती है.
(पुणे से श्रीकृष्ण पांचाल की रिपोर्ट)
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