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Mankind Pharma Story: डॉक्टरों से मिलने के लिए घंटों करते थे इंतजार, कई कंपनियों में किया काम... अब खड़ी की 43 हजार करोड़ की कंपनी

Ramesh Juneja Success Story: साल 1995 में दो भाइयों रमेश जुनेजा और Rajeev Juneja ने दिग्गज कंपनी मैनकाइंड फार्मा की शुरुआत की थी. इस कंपनी की शुरुआत 50 लाख रुपए से की गई थी. लेकिन उसी साल मैनकाइंड फार्मा 4 करोड़ की कंपनी बन गई.

दो भाइयों रमेश जुनेजा और राजीव जुनेजा ने मैनकाइंड फार्मा की नींव रखी थी दो भाइयों रमेश जुनेजा और राजीव जुनेजा ने मैनकाइंड फार्मा की नींव रखी थी

दिग्गज कंपनी मैनकाइंड फार्मा का आईपीएल खुल गया है. कंपनी के आईपीओ में निवेश करने के लिए कम से कम 13 शेयर का एक लॉट खरीदना ही होगा. एक लॉट की कीमत 14040 रुपए है. 43000 करोड़ की कंपनी खड़ी करना इतना आसान नहीं था. दो भाइयों रमेश जुनेजा और राजीव जुनेजा ने कड़ी मेहनत और लगन से इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया है. ऐसा भी दिन था, जब रमेश जुनेजा को घंटों में डॉक्टरों से मिलने के लिए इंतजार करना पड़ता था. लेकिन जल्द ही दोनों भाइयों ने मैनकाइंड फार्मा की नींव रखी और आज ये कंपनी घरेलू बिक्री के मामले में देश की चौथी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे दोनों भाइयों ने इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया.

डॉक्टरों से मिलने के लिए घंटों करते थे इंतजार-
साल 1974 में रमेश जुनेजा ने नी फार्मा कंपनी में एमआर के तौर पर करियर की शुरुआत की. उनको अपनी कंपनी दवाइयों को बेचने के लिए डॉक्टरों से मुलाकात करना पड़ा था. लेकिन कई बार डॉक्टरों से मिलने के लिए उनको घंटों इंतजार करना पड़ता था. उन दिनों रमेश यूपी रोडवेज की बसों से सफर करते थे और अपना काम करते थे. धीरे-धीरे उनका करियर चल रहा था. जल्द ही उन्होंने इस नौकरी से इस्तीफा दे दिया. साल 1975 में रमेश ने लूपिन फार्मा जॉब शुरू की. इस कंपनी में भी उन्होंने 8 साल तक जॉब किया. साल 1983 में उन्होंने इस कंपनी को भी अलविदा कह दिया.
रमेश ने एक पार्टनर के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई. इसका नाम बेस्टोकेम रखा गया. लेकिन ये कंपनी भी ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई. साल 1994 में रमेश जुनेजा ने बेस्टोकेम को छोड़ दिया.

राजीव जुनेजा और रमेश जुनेजा

मैनकाइंड फार्मा की रखी नींव-
जब रमेश जुनेजा ने बेस्टोकेम कंपनी छोड़ दी तो उसके बाद उन्होंने एक नई कंपनी पर काम करना शुरू किया. साल 1995 में रमेश जुनेजा ने अपने छोटे भाई राजीव जुनेजा के साथ मिलकर एक नई कंपनी बनाई. 50 लाख के निवेश से बनाई गई इस कंपनी को मैनकाइंड फार्मा ना दिया गया. इस कंपनी की शुरुआत 25 मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) के साथ की गई. पहली ही साल मैनकाइंड फार्मा 4 करोड़ रुपए की कंपनी बन गई.
मैनकाइंड भारत के प्रमुख ब्रांडों में से एक है. कंडोम के अलावा ये कंपनी दूसरी दवाइयों का भी उत्पादन करती है. कंपनी का मार्केट कैप 43264 करोड़ रुपए है. घरेलू बिक्री के लिहाज से मैनकाइंड भारत की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है.

नई रणनीति और हिट हो गई कंपनी-
कंपनी के चेयरमैन रमेश जुनेजा और सीईओ राजीव जुनेजा ने विज्ञापन के जरिए कस्टमर्स तक पहुंचने की रणनीति बनाई. इस रणनीति का इस्तेमाल 90 के दशक में निरमा ब्रांड ने किया था और उस कंपनी को खूब सफलता भी मिली थी. जुनेजा बंधुओं ने कंपनी के विस्तार के लिए विज्ञापन का सहारा लेने का प्लान बनाया. दोनों भाई मैनकाइंड के कंडोम और कॉन्ट्रासेप्टिव प्रोडक्ट्स को टीवी पर लेकर आए. साल 2007 में कंपनी ने कंडोम का ऐसा विज्ञापन टीवी पर पेश किया, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था. जैसे लोगों की जुबां पर निरमा का नाम चढ़ गया था, वैसे ही मैनफोर्स ब्रांड फेमस हो गया. विज्ञापन का असर इतना था कि कंडोम का मतलब मैनफोर्स माना जाने लगा था. जुनेजा भाइयों ने सेल्स प्रमोशन पर खूब खर्च किया. जिसका फायदा कंपनी को मिला. साल 2012 और 2013 वित्त वर्ष में कंपनी ने 20 फीसदी सालाना ग्रोथ दर्ज की.
मैनकाइंड ने ऐसे इलाकों में फोकस किया, जहां दूसरी कंपनियों ने निवेश नहीं किया था. इसका फायदा भी कंपनी को मिला. कंपनी ने डायबिटीज और हाइपरटेंशन ड्रग्स बनाने शुरू किए. आज मैनकाइंड फार्मा 43264 करोड़ की कंपनी बन गई है.

फोर्ब्स की लिस्ट में मिली जगह-
रमेश जुनेजा को फोर्ब्स की रिचेस्ट इंडियन की लिस्ट में भी शामिल किया गया है. साल 2022 में फोर्ब्स की सबसे अमीर भारतीयों की लिस्ट में 44वां स्थान हासिल हुआ था.

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