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New Packaging Rules: पैकेज्ड आइटम के लिए बदले नियम! अब MRP के साथ पैकेट पर प्रति यूनिट का रेट भी लिखना होगा

अब आपको दुकानदार से यह पूछा नहीं पड़ेगा कि पैकेट में कितने पीस हैं और इसकी मैन्युफैक्चरिंग क्या है.अब आप प्रोडक्ट को उलट-पलटकर देख सकेंगे कि उस प्रोडक्ट के हर एक पीस कितने की है.

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हाइलाइट्स
  • 'मैन्युफैक्चरिंग की तारीख' और 'यूनिट सेल प्राइस' प्रिंट करना अनिवार्य

  • पैकेज्ड आइटम के लिए नया नियम

कस्टमर्स को सही और पारदर्शी जानकारी देने के मकसद से भारत सरकार ने कंपनियों के लिए सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर 'निर्माण की तारीख' और 'यूनिट सेल प्राइस' लिखना अनिवार्य कर दिया है. एक साल पहले सरकार ने पैकेजिंग को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे. हालांकि तब से लेकर अब तक इसे अमल में नहीं लाया जा सका. अब 1 जनवरी 2024 यानी सोमवार से सरकार ने यह नियम लागू कर दिया है कि किसी भी पैकेज पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के अलावा प्रति पीस कितनी कीमत है, यह भी बताना होगा. 

अब पता होगी प्रोडक्ट के हर एक पीस की कीमत
दिशानिर्देश के अनुसार सभी प्रोडक्ट के उत्पादकों और आयातकों को अब प्रति यूनिट प्रोडक्ट की कीमत के साथ-साथ एमआरपी, प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग का सही महीना और साल भी लिखना होगा. इसका फायदा ये होगा कि अब आपको दुकानदार से यह पूछा नहीं पड़ेगा कि पैकेट में कितने पीस हैं और इसकी मैन्युफैक्चरिंग क्या है.अब आप प्रोडक्ट को उलट-पलटकर देख सकेंगे कि उस प्रोडक्ट के हर एक पीस कितने की है.

पैकेज्ड आइटम के लिए नया नियम
नए नियम के अनुसार, निर्माताओं और आयातकों को अब एक किलोग्राम या लीटर से ज्यादा वजन वाली वस्तुओं के लिए प्रति किलोग्राम या लीटर यूनिट की कीमत बतानी होगी. इसी तरह अगर किसी पैकेज्ड आइटम में 1 किलो या 1 लीटर से कम सामान पैक किया गया है तो उस पर प्रति ग्राम या प्रति मिलीलीटर के हिसाब से रेट लिखना पड़ेगा. इससे सामान बनाने वाले कंपनियों को भी अपने ग्राहकों को सही सही जानकारी देने में आसानी होगी.

New Packaging Rules

पहले क्या थे नियम
एक मीटर से ज्यादा लंबाई वाली प्री-पैक्ड वस्तुओं के लिए यूनिट प्राइस मीटर होगा और एक मीटर से कम लंबाई वाली वस्तुओं के लिए CM होगा. पहले, कंपनियों को 'मैन्युफैक्चरिंग की तारीख', 'इंपोर्ट की तारीख' या 'पैकेजिंग की तारीख' को प्रिंट करने के बीच चुनने की छूट दी गई थी. अब सरकार ने 'मैन्युफैक्चरिंग की तारीख' और 'यूनिट सेल प्राइस' प्रिंट करना अनिवार्य कर दिया है.

क्यों बदले गए नियम
सरकार का कहना है कि अलग-अलग मात्रा में बेची जाने वाली पैकेज्ड आइटम्स के साथ, कस्टमर्स को 'यूनिट सेल प्राइस' के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. इससे खरीदारी का फैसला लेने और कौन सी चीज कितनी सस्ती और महंगी पड़ रही है ये जानने में मदद मिलती है. पैकेजिंग पर Manufacturing की तारीख छापने से कस्टमर्स को यह पता चलेगा कि प्रोडक्ट कितना पुराना है, अगर प्रोडक्ट ज्यादा पुराना हुआ तो कस्टमर इसे खरीदने से बच सकता है.