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Success Story: MBA ग्रेजुएट ने बनाई ऑटोमेटिक मोमो मेकिंग मशीन, रोजाना बनाती है 2.25 लाख मोमोज, कमाई करोड़ों में, कभी DRDO में थे साइंटिस्ट

मशहूर मोमोज़ आउटलेट, Zomoz के फाउंडर, शौविक धर ने Automatic Momo Making Machine बनाई है जिसकी मदद से वह दिनभर में एक लाख से ज्यादा मोमोज़ बना रहे हैं.

Zomoz Success Story Zomoz Success Story
हाइलाइट्स
  • DRDO में रह चुके हैं साइंटिस्ट

  • बनाई ऑटोमैटिक मोमो मेकिंग मशीन 

अगर कोई आज के युवाओं से उनका फेवरेट इवनिंग स्नैक पूछे तो ज्यादातर की जुबान पर नाम होगा- मोमोज़. देश के किसी भी कोने में चले जाएं आपको अलग-अलग वैरायटी के मोमोज़ खाने के मिलेंगे. आजकल यह काफी अच्छी फूड बिजनेस भी है. लेकिन इसमें आपको बहुत ज्यादा मेहनत और मदद चाहिए. क्योंकि मोमोज़ बनाना इतना आसान और जल्दी का काम नहीं है बल्कि मोमोज़ बनाने के लिए काफी तैयारी करनी पड़ती है.

ऐसे में, अगर हम आपसे कहें कि अब ऑटोमेटिकली मोमोज़ बनाए जा सकते हैं तो? जी हां, एक युवा ने मोमोज़ बनाने के काम को तेज और आसान बनाने के लिए Automatic Momo Machine बना दी. अब इस मशीन के दम पर वह हैदराबाद सहित कई शहरों में अपने फूड स्टार्टअप- Zomoz के आउटलेट चला रहे हैं. 

यह कहानी है शौविक धर की, जिन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर अपने पैशन को फॉलो करने का रिस्क लिया. लेकिन यह उनकी मेहनत थी जिसके कारण उन्हें सफलता मिली.  

DRDO में रह चुके हैं साइंटिस्ट
शौविक धर मूल रूप से असम से आते हैं और इस कारण मोमोज़ से उनका गहरा रिश्ता है. क्योंकि वह अपने घर पर अपने परिवार के साथ मोमोज़ बनाते थे. हालांकि, अपनी इंजीनियरिंग के बाद वह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में जॉब कर रहे थे. लेकिन उनका मन कहीं और था और उन्हें लगा कि उन्हें मास्टर्स करनी चाहिए. इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर MBA करने का फैसला किया. 

MBA करने के बाद उन्होंने मोमोज़ का अपना स्टार्टअप खोलने की सोची. वह हैदराबाद में थे और उन्होंने यहां देखा कि लोगों के पास मोमोज़ के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं. उन्होंने साल 2016 में अपना आउटलेट- Zomoz शुरू किया. उन्होंने हैदराबाद के इनऑर्बिट मॉल में पहला आउटलेट खोला. शुरुआत में उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट से पलायन करके आए लोगों को हायर किया और उनका स्टार्टअप हिट हो गया. धीरे-धीरे उनके और आउटलेट खुलने लगे. 

बनाई ऑटोमैटिक मोमो मेकिंग मशीन 
शौविक ने महसूस किया कि उनकी टीम के लिए मोमोज़ की बढ़ती मांग को पूरा करना संभव नहीं है. इसलिए उन्होंने इस इंडस्ट्री में ऑटोमेशन करने की सोची. इस सोच से प्रेरित होकर उन्होंने एक-डेढ साल की मेहनत से ऑटोमैटिक मोमो मेकिंग मशीन बनाई. साल 2018 तक उनकी मशीन ऑपरेशनल हो गई. यह मोमो मशीन कई प्रोसेस को इंटीगरेट करती है- सब्जी काटना, धोना, आटा मिलाना, आकार देना, भाप देना और तेजी से फ्रीज करना आदि. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज उनके आउटलेट्स में लगभग 2.25 लाख मोमोज़ का उत्पादन होता है. जिससे वह सालाना लगभग 25 करोड़ रुपये का टर्नओवर कमा रहे हैं. ज़ोमोज़ में आपको चिकन, वेज, पनीर और कुरकुरे मोमोज़ जैसे कई ऑप्शन मिलते हैं. आज, ज़ोमोज़ के पास पूरे भारत में 173 स्टाफ और 75 से ज्यादा आउटलेट्स हैं. आगे शौविक का उद्देश्य देश के बाहर भी अपने आउटलेट्स सेटअप करना है.