अक्सर हम सुनते हैं कि पति की नौकरी, काम और परिवार के लिए पत्नी अपने सपने और नौकरी तक छोड़ देती हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे कपल के बारे में जो हम सबके लिए मिसाल हैं. यह कहानी है एक लड़की की जो कुछ अलग करना चाहती थी और उसके सपनों को पूरा करने के लिए उसके पति ने अपनी नौकरी छोड़ दी. मेरठ के रहने वाले सैयद अकरम हम सबके लिए प्रेरणा हैं जिन्होंने अपनी पत्नी, सना खान के सपनों को न सिर्फ उड़ान दी बल्कि उनका साथ भी दिया.
सना ने की है इंजीनियरिंग
सना खान ने साल 2016 में IMS इंजीनियरिंग कॉलेज, गाजियाबाद से इंजीनियरिंग की. लेकिन वह नौकरी नहीं करना चाहती थीं बल्कि खुद का बिजनेस करना चाहती थीं और वह भी ऐसा बिजनेस जिसे करने से पहले लड़कियां शायद कई बार सोचें. सना का सपना वर्मीकंपोस्टिंग यूनिट लगाने का था. और यह आइडिया उन्हें पढ़ाई के दौरान ही आया और साल 2014 मे ही उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी थी.
सना को इस काम को करने के लिए पहले अपने परिवार और शादी के बाद अपने पति का पूरा साथ मिला. उनके पति सैयद अकरम ने बिना सोचे-समझे सना को बिजनेस में सपोर्ट करने के लिए अपनी उच्च-वेतन वाली नौकरी छोड़ दी. वे साथ मिलकर वर्मीकम्पोस्ट बिजनेस संभाल रहे हैं जिसमें सना ऑपरेशन्स देखती हैं तो सैयद मार्केटिंग संभालते हैं.
वर्मीकम्पोस्टिंग क्या है?
वर्मीकम्पोस्ट, केंचुआ खाद को कहते हैं. केंचुओं का उपयोग करके जैविक कचरे, गोबर आदि से खाद बनाई जाती है और खाद बनने की इस पूरी प्रक्रिया को वर्मीकंपोस्टिंग कहते हैं. इसके पोषक तत्वों से भरपूर गुणों के कारण इसे 'काला सोना' भी कहा जाता है. केंचुए तीन साल तक जीवित रहते हैं और इस प्रक्रिया को टिकाऊ और सस्ता बनाते हुए तेजी से प्रजनन करते हैं.
जैविक खेती के लिए वर्मीकम्पोस्ट बहुत ज्यादा जरूरी है. साथ ही, यह स्वच्छ, सस्टेनेबल और जीरो-वेस्ट प्रक्रिया है. यह खाद पेड़-पौधों और फसलों के लिए बहुत ही उत्तम होती है. इसलिए मार्केट में इसकी मांग काफी ज्यादा है. जिस कारण वर्मीकंपोस्टिंग एक अच्छा बिजनेस है और सना जैसे बहुत से लोग इसमें आगे बढ़ रहे हैं.
कैसे शुरू किया व्यवसाय
सना ने अपने भाई के मदद से मेरठ में अपनी वर्मीकम्पोस्ट यूनिट लगाने के लिए 1.5 एकड़ जमीन ली. उनका खेती का बैकग्राउंड नहीं है और इसलिए उन्होंने सबकुछ एकदम नए सिरे से सीखा. जब उन्होंने व्यवसाय शुरू किया, तो सना ने वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए डेयरी मालिकों के साथ सीधे उनकी यूनिट्स में उत्पन्न गोबर के लिए टाई-अप किया. हालांकि, यह व्यवसाय मॉडल काम नहीं आया.
सना ने फिर डेयरी और बायोडिग्रेडेबल घरेलू कचरे को लाने के लिए गाजियाबाद और मेरठ क्षेत्र से ठेकेदारों को नियुक्त करना शुरू किया. वह मेरठ में सरकारी इंटर कॉलेज में एक वर्मीकम्पोस्टिंग साइट चला रही हैं. इस कचरे को केंचुओं को खिलाया जाता है और इसके बाद केंचुए जो अपशिष्ट त्यागते हैं उसे वर्मीकम्पोस्ट कहते हैं. इस जैविक बायोमास को वर्मीकम्पोस्ट में बदलने की पूरी प्रक्रिया में लगभग डेढ़ महीने का समय लगता है.
इस तरह करते हैं मार्केट
सना खान के वर्मीकम्पोस्ट प्लांट की यूएसपी यह है कि वे सीधे किसानों से संपर्क नहीं करते हैं, बल्कि शहरी बागवान, बीज भंडार की दुकानें (खाद्य और अनाज बाजार), बागवानी किसान, नर्सरी और सरकारी निविदाएं उनके सबसे बड़े बाजार हैं. वर्मीकम्पोस्ट प्लांट में एक बार खाद बनने के बाद उसकी गुणवत्ता की भी जांच की जाती है. इसके लिए उन्होंने अपने वर्मीकम्पोस्ट प्लांट में एक प्रयोगशाला स्थापित की है.
उस प्रयोगशाला में, उन्होंने चालकता, पीएच मीटर, नमी जांच मशीन, स्पेक्ट्रोमीटर, फोटोमीटर (रंग और गंध विश्लेषण के लिए), और डिजिटल चालकता मीटर (पौधों में घुलने पर आयनों की गति की जांच करने के लिए) जैसे उपकरणों की स्थापना की है. ताकि उनके ग्राहक को अपना वर्मीकम्पोस्ट चुनने के बारे में दो बार नहीं सोचना पड़े.
करोड़ों का है कारोबार
सना का कारोबार आज करोड़ों में पहुंच गया है. सबसे बड़ी बात है कि उन्होंने लगभग 30 लोगों को अपने यहां रोजगार दिया हुआ है. साथ ही, एसजे ऑर्गेनिक्स वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए कम लागत के बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं भी प्रदान करता है. उन्होंने पूरे मेरठ में 104 स्कूलों ने एसजे ऑर्गेनिक्स के परामर्श के तहत वर्मीकम्पोस्टिंग साइटों की स्थापना की है.
सना को उम्मीद है कि वर्मीकम्पोस्टिंग के अपने ज्ञान को साझा करके वह अन्य उद्यमियों को न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे भारत में जैविक खेती के तरीकों को लोकप्रिय बनाने में मदद कर सकती हैं.