भारत में लॉन्ड्री बिजनेस को अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर का हिस्सा माना जाता है. ज्यादाटर लॉन्ड्री का काम धोबी करते हैं, जो घर के दरवाजे से कपड़े इकट्ठा करते हैं और उन्हें मैन्युअल रूप से धोते हैं, उन्हें इस्त्री करते हैं और उन्हें ग्राहक को लौटाते हैं. धोबी पीढ़ियों से ऐसा करते आ रहे हैं. आम तौर पर वो बस इतना ही कमा पाते हैं, जिससे उनकी दो वक्त की रोटी चल सके. इसी देखते हुए, ये सोचना लगभग असंभव है कि लॉन्ड्री को करोड़ों के बिजने, में बदल दिया जा सकता है. लेकिन यूक्लीन के संस्थापक अरुणाभ सिन्हा ने यही किया है.
मिलिए अरुणाभ सिन्हा से
IIT बॉम्बे के पूर्व छात्र अरुणाभ सिन्हा ने अक्टूबर 2016 में दिल्ली में UClean की शुरुआत की थी, और आज यह 100 से अधिक शहरों में मौजूद होने के साथ भारत में सबसे बड़ी लॉन्ड्रोमैट सीरीज है. अरुणाभ का जन्म जमशेदपुर में एक एवरेज मिडिल क्लास परिवार में हुआ था. उनके पिता शिक्षक मां एक गृहिणी थी. अरुणाभ ने IIT बॉम्बे से मेटलर्जी और मेटिरियल साइंस में ग्रैजुएशन किया था. उन्होंने 2008 में एक अनालिटिकल असोसिएट के तौर पर पुणे में एक यूएस-बेस्ड कंपनी में काम करना शुरू किया था. लेकिन बाद में वो एक एनजीओ के साथ जुड़ गए और ग्राउंड लेवल पर किसानों के साथ मिलकर काम करने लगे, और किसानों को कई तरह की ब्रांड से जोड़ने लगे.
IIT बॉम्बे से स्टार्टअप तक का सफर
इसी बीच अरुणाभ ने अपने पहले स्टार्टअप के बारे में सीखा और 2011 में उन्होंने भारत में विदेशी ब्रांडों की मदद के लिए समर्पित अपनी बिजनेस कन्संल्टिंग फर्म फ्रैंगलोबल की स्थापना की. फ्रैंचाइज़ इंडिया को अपना बिजनेस बेचने के बाद, सिन्हा ने 2015 में हॉस्पिटेलिटी क्षेत्र में कदम रखा और उन्हें ट्रीबो होटल्स ने उत्तर भारत के डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया. वहां काम करते समय सिन्हा ने देखा कि मेहमानों की सबसे बड़ी शिकायतों में से एक उनके गंदे कपड़े, उनके बिस्तर पर दाग और कपड़े धोने से संबंधित कई अन्य समस्याएं. जैसे-जैसे उन्होंने लोगों कि इस परेशानी को देखा, उन्हें ये महसूस हुआ कि ये लॉन्ड्री सेक्टर अनऑर्गेनाइज्ड इसलिए था, क्योंकि इस बिजनेस में कोई प्रोफेशनल प्लेयर नहीं था. इंडियाटाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाभ ने बताया, "बिजनेस करने से पहले हमने एक सर्वे किया था, चूंकि हम अपना बिजनेस एक्सपैंड कर रहे थे, मैं ऐसे विक्रेताओं की तलाश कर रहा था जो हमें पूरे भारत में सेवा प्रदान कर सकें और मुझे कोई नहीं मिला. तब मुझे एहसास हुआ कि इस बिजनेस में अवसर है और मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी."
UClean कैसे बढ़ा
थोड़ा प्रॉडक्ट और मार्केट रिसर्च करने के बाद अरुणाभ ने जनवरी 2017 में दिल्ली एनसीआर में यूक्लीन की शुरुआत की. अरुणाभ बताते हैं, "शुरुआत में हम बिजनेस के निर्माण, चुनौतियों को समझने और समाधान खोजने पर फोकस्ड थे. हमने अपना खुद का प्लेटफॉर्म और बैकएंड सॉफ्टवेयर भी बनाया. 2017 के मिड तक मुझे यकीन हो गया था कि यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे एक फ्रैंचाइज़ मॉडल के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है."
2017 के अंत तक, UClean ने हैदराबाद और पुणे में फ्रेंचाइजी काम करना शुरू कर दिया, जो अब देश भर के 104 शहरों में 350 से अधिक स्टोर हो गए हैं. UClean पहले ही बांग्लादेश, और नेपाल तक एक्सपैंड हो चुका है, और अफ्रीका और मध्य पूर्व के कुछ और देशों में अपनी फ्रेंचाइजी खोलने के लिए तैयार है. अरुणाभ बताते हैं कि, "हम माइक्रो-बिजनेस के साथ काम कर रहे हैं और उनके यूक्लीन स्टोर शुरू करने में उनकी मदद कर रहे हैं. हम इन फ्रेंचाइजी को रिक्रूट, ट्रेन, मैनपॉवर और सप्लाई सब कुछ दे रहे है. यहां तक की हमारे यहां इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी और डिटर्जेंट भी हम ही खरीदते हैं, क्योंकि ताकि यूक्लीन के हर स्टोर पर एक जैसी सर्विस दी जा सके.
महामारी में काफी बढ़ा बिजनेस
UClean अपना रेवेन्यू फ़्रैंचाइज़ी फीस और मन्थली रॉयल्टी से कमाता है, जो कि फ़्रैंचाइज़ी की तरफ किए जाने वाले रेवेन्यू का 7 प्रतिशत है. महामारी का समय काफी सारे स्टार्टअप्स के लिए काफी चैलेंजिंग था. उस वक्त कई सारे स्टार्टअप बंद भी हो गए, लेकिन यूक्लीन के लिए ये आपदा में अवसर की तरह था. उन्होंने कहा, "इस तरह के चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद, हमारे व्यवसाय की प्रकृति के कारण, हमने जितना खोया उससे अधिक फ्रेंचाइजी को COVID-19 के दौरान जोड़ा. दुनिया स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में अधिक जागरूक होने से भी हमें बढ़ने में मदद मिली."
लॉन्ड्री किलो के हिसाब से
उनके अनुसार, सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक जो UClean को सबसे अलग बनाती है वह है किलो के हिसाब से कपड़े धोना. अरुणाभ बताते हैं कि, "हमारी खासियत किलो के हिसाब से कपड़े धोना है- जिसमें अगर आप हमारी वेबसाइट, ऐप या कॉल सेंटर के माध्यम से ऑर्डर करते हैं, तो हमारे निकटतम फ्रेंचाइजी के प्रतिनिधि आपके दरवाजे पर पहुंचेंगे, कपड़े को डिजिटल पैमाने पर तौलेंगे और प्रति किलो चार्ज करेंगे. धुले हुए कपड़े 24 घंटे के भीतर ग्राहक को वापस कर दिए जाएंगे."
पानी की बर्बादी और प्रदूषण का भी रखते हैं ख्याल
आमतौर पर कॉर्मशियल लेवल पर जो धुलाई होती है, उसमें बहुत सारा पानी बर्बाद होता है. इसके अलावा इस बिजनेस पर हमेशा जल निकायों में बड़ी मात्रा में रसायनों को छोड़ने और पर्यावरण को प्रदूषित करने का आरोप लगाया गया है. अरुणाभ ने बताया कि दुनिया में सबसे अच्छी औद्योगिक लॉन्ड्री मशीनों का उपयोग करके, यूक्लीन पानी की खपत को कम करने में सक्षम है और एंजाइम-आधारित डिटर्जेंट का उपयोग करके वे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा, "एक औसत घरेलू वाशिंग मशीन एक किलो कपड़े साफ करने के लिए 14 लीटर पानी का उपयोग करती है, हमारे मामले में हम समान मात्रा के लिए लगभग 6 लीटर पानी का उपयोग करते हैं. हम एक घर में विकसित एंजाइम-आधारित डिटर्जेंट का उपयोग कर रहे हैं जो पानी में आसानी से तीन घंटे में घुल जाता है.
इसके अलावा, UClean ने दावा किया है कि मार्च 2023 के अंत तक सभी स्टोर प्लास्टिक-मुक्त हो गए हैं. पैकेजिंग को कॉर्न-बेस्ड पैकेजिंग में बदल दिया गया है, और प्लास्टिक की टोकरियों को धातु की टोकरियों से बदल दिया गया है.