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Microsoft: 4 अप्रैल को ही माइक्रोसॉफ्ट की बिल गेट्स और पॉल एलन ने रखी थी नींव, कैसे बनी आईटी जगत की दिग्गज कंपनी, जानिए पूरी कहानी

Microsoft Company Story: माइक्रोसॉफ्ट ने पूरे विश्व में कंप्यूटर की लोकप्रियता बढ़ाई है. इस कंपनी की स्थापना बिल गेट्स और पॉल एलन ने की थी. मार्केट में चुनौतियों के बावजूद यह कंपनी तेजी से आगे बढ़ी और आईटी जगत की दिग्गज कंपनी बन गई.

4 अप्रैल 1975 को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की स्थापना हुई थी. 4 अप्रैल 1975 को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की स्थापना हुई थी.
हाइलाइट्स
  • माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की स्थापना 4 अप्रैल 1975 को हुई थी

  • न्यू मैक्सिको से 1979 में वॉशिंगटन स्टेट में शिफ्ट हुई थी कंपनी

विश्व का हर कोई आज आईटी जगत की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट को जानता है. इस कंपनी की स्थापना बिल गेट्स और पॉल एलन ने 4 अप्रैल 1975 को की थी. इस कंपनी की शुरुआत होम मेड विंडो सॉफ्टवेयर के लिए हुई थी लेकिन आज यह अपने सॉफ्टवेयर के लिए दुनियाभर में फेमस है.

पहले कहा जाता था माइक्रो-सॉफ्ट 
माइक्रोसॉफ्ट को शुरू में माइक्रो-सॉफ्ट कहा जाता था. माइक्रोप्रोसेसर्स और सॉफ्टवेयर के शुरुआती शब्दों को मिलाकर माइक्रोसॉफ्ट नाम रखा गया. माइक्रोसॉफ्ट नाम इसलिए रखा गया, क्योंकि कंपनी के संस्थापकों का लक्ष्य माइक्रोकंप्यूटर किट के लिए प्रोग्राम बनाना था. जब माइक्रो-सॉफ्ट मार्केट में आई तो उसके सामने अल्टएयर 8800 के निर्माता एमआईटीएस की बड़ी चुनौती थी. लेकिन माइक्रोसॉफ्ट ने काफी तेजी से मार्केट पकड़ा. लगभग तीन सालों में ही यानी 1978 के अंत तक माइक्रोसॉफ्ट की सेल्स 10 लाख डॉलर से अधिक पहुंच गई. जुलाई 2022 को माइक्रोसॉफ्ट का अमेरिकी शेयर बाजार में मार्केट कैप 2.01 ट्रिलियन डॉलर था. 

वॉशिंगटन स्टेट में शिफ्ट हुई कंपनी 
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी न्यू मैक्सिको से 1979 में वॉशिंगटन स्टेट में शिफ्ट हुई. इस कंपनी को यहीं से बड़ी कंपनी के तौर पर पहचान मिली. उसके बाद कंपनी ने  MS-DOS ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और उसे IBM के पहले पर्सनल कंप्यूटर के लिए लाइसेंस लिया. ये कंप्यूटर 1981 में लॉन्च हुआ था. इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट के सामने अन्य कंपनियों की होड़ लग गई और अन्य कंपनियां भी MS-DOS का लाइसेंस लेने लगीं.

लंबी कानूनी लड़ाइयां लड़ीं
सॉफ्टवेयर कारोबार में मोनोपॉली और दबदबा कायम रखने के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने अमेरिकी सरकार और यूरोपियन कमीशन के साथ लंबी कानूनी लड़ाइयां लड़ीं. इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट को अपनी कारोबारी रणनीतियां बदलने के साथ करोड़ों डॉलर का जुर्माना भी भरना पड़ा, पर इसका फायदा भी उन्हें मिला. हर सॉफ्टवेयर की कीमत जमकर वसूल कर बिल गेट्स समेत 4 उद्यमियों को खरबपति और 12,000 से ज्यादा कर्मचारियों को अरबपति बनाने का श्रेय माइक्रोसॉफ्ट को मिले. 

विंडोज दिया नाम 
1980 में माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी पर्सनल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनी बन गई थी. माइक्रोसॉफ्ट ने 1985 में नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया, जिसे विंडोज नाम दिया. यह एक ग्राफिकल इंटरफेस था. इसमें ड्रॉप-डाउन मीनू और कई फीचर भी शामिल थे. 1987 में माइक्रोसॉफ्ट ने शेयर बाजार में एंट्री ली और बिल गेट्स दुनिया के सबसे युवा अरबपति बन गए.

1995 से इंटरनेट का बढ़ा इस्तेमाल 
1995 से पूरी दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने लगा था. कार्यालय और घरों में तेजी से पर्सनल कंप्यूटर का प्रयोग होने लगा. इसी समय माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 95 लॉन्च कर दिया. केवल 5 हफ्ते में ही 7 मिलियन कॉपी बिक गई. विंडोज 95 में पहली बार स्टर्ट मीनू का ऑप्शन आया था. माइक्रोसॉफ्ट ने 1995 में इंटरनेट एक्सप्लोरर के नाम से एक ब्राउजर भी लॉन्च किया. इसके कई कॉर्पोरेट अधिग्रहण किए जाने लगे. 2016 में 26.2 बिलियन डॉलर में लिंक्डइन का अधिग्रहण किया गया. वहीं, 2011 में 8.5 बिलियन डॉलर में स्काइप टेक्नोलॉजीज का अधिग्रहण किया गया. इस समय माइक्रोसॉफ्ट के पास सॉफ्टवेयर उत्पाद ऑपरेटिंग सिस्टम की विंडोज लाइन, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सूट और एज वेब ब्राउजर हैं.