आज के जमाने में जहां लोग नौकरी के लिए खेती छोड़कर शहर में बस जाते हैं, वहीं एक शख्स ने अलग मिसाल पेश की है. यह कहानी है केवी रामा सुब्बा रेड्डी की, जिन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती करनी शुरू की और सबसे दिलचस्प बात यह है कि खेती से आज उन्होंने अपनी कंपनी खड़ी की है.
आंध्र प्रदेश के मिलेट मैन (Millet Man of Andhra) के नाम से जाने जाने वाले रेड्डी दिल्ली में अपनी कॉस्ट अकाउंटेंट की नौकरी छोड़कर अपने पैतृक जिले, नंद्याल वापस लौट आए. यहां उन्होंने अपने दोनों भाइयों के साथ अपनी पैतृक जमीन पर मिलेट्स की खेती शुरू की. थोड़े ही समय में, वह एक उद्यमी बन गए और अब मिलेट्स के उत्पाद भी बना रहे हैं. उनकी एग्रो फर्म मरीजों को पौष्टिक आहार देने के लिए अपोलो हॉस्पिटल्स को मिलेट्स सप्लाई कर रही है.
27 साल किया कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम
टीएनआईई के साथ बात करते हुए रेड्डी ने बताया कि उनके पास एमबीए और एफसीएमए की डिग्री है और कॉर्पोरेट क्षेत्र उन्हें 27 वर्षों का अनुभव है. वह नई दिल्ली स्थित श्रवंती ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज और लैंको ग्रुप के मुख्य वित्त अधिकारी और कार्यकारी निदेशक (वित्त) के रूप में काम कर रहे थे. लेकिन उनका मन खेती की तरफ खींच रहा था.
साल 2014 में, उन्होंने पण्यम मंडल के अनुपुरु गांव में 20 एकड़ ज़मीन खरीदी, जो अब नांदयाल जिले में स्थित है. कुछ समय तक उन्होंने इस जमीन पर पार्टटाइम किसान की तरह काम किया और प्राकृतिक खेती के तरीकों से अनार, अमरूद, और केला जैसी बागवानी फसलों को उगाया. हालांकि, 2017 में, उन्होंने पूरी तरह से कॉर्पोरेट को छोड़कर किसानी का रुख किया.
शुरू की मिलेट्स की खेती
दिल्ली से अनूपुरु गांव आने के बाद, खादर वल्ली (भारत के मिलेट मैन) से प्रेरित होकर, सुब्बा रेड्डी ने मेजर और माइनर मिलेट्स पर अपना ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने अपने दो भाइयों के साथ 70 एकड़ में अलग-अलग मिलेट्स की खेती शुरू की.यह पूरी तरह से प्राकृतिक खेती थी और उन्होंने रागी, ज्वार और बाजरा के अलावा ब्राउनटॉप मिलेट, फॉक्सटेल मिलेट, समा, कोदो आदि की खेती की.
मिलेट्स की खेती करने और अन्य किसानों को इसे बड़े पैमाने पर लाने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा, उन्होंने बिचौलियों को भी खेती से दूर करने के प्रयास किए. मिलेट्स की खेती को स्थिर और लाभदायक बनाने के लिए, उन्होंने अपनी एग्री-इंडस्ट्रियल युनिट शुरू करने का फैसला किया. इसमें उनकी मदद श्रावंती ग्रुप में उनके बॉस डीवी राव ने की.
कोविड-19 के कारण बंद हुआ काम
राव की मदद से उन्होंने लगभग 1.5 करोड़ रुपये की फंडिंग से राम शुरू किया लेकिन मार्च 2020 में कोविड प्रतिबंधों के कारण उन्हें काम बंद करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने कच्चे माल की आपूर्ति से लेकर एफपीओ के साथ अनुबंध करने, गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने और ग्राहक आधार बढ़ाने जैसे नियमों को अपनाकर 2021-22 में वापसी की.
उन्होंने साबुत अनाज के अलावा, मिलेट, उपमा रवा, ज्वार से बना इडली रवा पेश किया गया. उन्होंने अपनी कंपनी- Sattva Millets and Food products के तहत दो अलग-अलग ब्रांड्स- Renadu और Mibbles पर काम किया. रेनाडु के जरिए उन्होंने मिलेट्स को प्रमोट किया और मिबल्स ब्रांड के तहत उत्पाद लाइनअप में फॉक्सटेल बिस्कुट, ब्राउनटॉप बिस्कुट, ज्वार बिस्कुट, रागी बिस्कुट, मुरुकु, चिड़वा, रागी माल्ट, मल्टी-बाजरा लड्डू, हेल्थ मिक्स, मल्टी-बाजरा खिचड़ी मिक्स जैसे प्रोडक्ट्स को प्रमोट कर रहे हैं.
मिले हैं अवॉर्ड
रेड्डी को देश भर में बड़े पैमाने पर मिलेट्स उत्पादन और आपूर्ति के लिए ANGRAU- RARS नंदयाल से 'सर्वश्रेष्ठ प्रगतिशील किसान' पुरस्कार और हैदराबाद के ICAR-II MR से 'सर्वश्रेष्ठ स्टार्टअप किसान कनेक्ट' पुरस्कार मिला. टीएनआईए को उन्होंने बताया कि उनके उत्पाद उनकी बेटी श्वेता द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं और व्यंजनों को उनकी पत्नी प्रभावती ने घर पर बनाया है. उनका अंतिम उद्देश्य मिलेट्स और इनके उत्पादों को लोकप्रिय बनाना है, क्योंकि ये किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद हैं.