यह कहानी है महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाली शर्मिल जैन ओसवाल की. Good Energy Foundation नामक संगठन और Gud Mom स्टार्टअप चलाने वाली शर्मिला लाखों किसानों की जिंदगी संवार रही हैं. कनाडा में अपनी नौकरी छोड़कर भारत लौटने, किसानों का सर्वे करके उनकी मदद के लिए एक एनजीओ और मिलेट स्टार्टअप शुरू करने वाली शर्मिला आज हम सबके लिए एक प्रेरणा है. लोगों को अक्सर यह जानकर हैरानी होती है कि वह कनाडा से अपनी अच्छी-खासी जॉब छोड़कर पुणे आ गईं ताकि किसानों के लिए कुछ कर सकें.
गांव में पली-बढ़ी लड़की ने की लॉ की पढ़ाई
शर्मिला ने द बेटर इंडिया को एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका परिवार मूल रूप से राजस्थान से ताल्लुक रखता है. लेकिन उनके पिता अलीबाग के पास एक छोटे से गांव में आटे की मिल चलाते थे, जहां ज्यादातर मिलेट्स यानी मोटे अनाज पिसते थे. उनका परिवार बहुत अमीर नहीं था लेकिन उनके पिता ने उन्हें हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित किया. उनका कहना है कि उन्हें मिलेट्स के बारे में और समाज के लिए कुछ करने की जिम्मेदारी के बारे में उनके पिता ने सिखाया. और आज वह अपने पिता की सीख से प्रेरित होकर ही काम कर रही हैं.
बचपन में शर्मिला ने अपने परिवार में बहुत सी महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होते देखा, इसलिए उन्होंने वकालत करने का फैसला किया. हालांकि, हालातों के चलते उनकी शादी जल्दी कर दी गई. लेकिन वह खुशनसीब रहीं कि उनके पति ने उनकी पढ़ाई को सपोर्ट किया. जिंदगी में बहुत सी मुश्किलों का सामना करते हुए उन्होंने इंग्लैंड से पर्यावरण और कृषि कानून में डिग्री हासिल की. इसके बाद वह कनाडा में रहकर जॉब करने लगीं.
किसानों की मदद के लिए लौटीं वतन
एक Ted Talk में बात करते हुए शर्मिला ने बताया कि साल 2004 और 2006 के बीच विशेष रूप से महाराष्ट्र में बहुत से किसानों ने आत्महत्याएं कीं. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2006 में 17,060 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें से 1,427 महाराष्ट्र से थे और राज्य के कपास उगाने वाले क्षेत्र विदर्भ में इनमें से 1,065 मौतें हुईं. शर्मिला उस समय कनाडा में थीं लेकिन इन आंकड़ों ने उन्हें इतना विचलित कर दिया कि उन्होंने किसानों के लिए कुछ करने की सोची.
शर्मिला ने लगभग एक दशक तक कनाडा में जॉब करने के बाद साल 2008 में भारत लौटने का फैसला किया. वह पुणे आ गईं और इसके बाद उन्होंने राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दों के बारे में ज्यादा जानने के लिए सर्वे किया. उन्होंने ग्रीन एनर्जी फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक एनजीओ है और किसानों की मदद करता है. इस फाउंडेशन का मिशन खेती के लिए पानी की सुविधाएं बहाल करना और स्मार्ट फार्मिंग तकनीकों का इस्तेमाल करना है.
डेढ़ लाख किसानों की मदद की
शर्मिला ने एनजीओ शुरू करने के बाद 2010 में महाराष्ट्र के बुचकेवाड़ी में पहला सस्टेनेबल वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट किया. इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें नाबार्ड से 10 लाख रुपये का अनुदान मिला. उन्होंने गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में अपना काम जारी रखा. उन्होंने राजस्थान के डूंगरपुर में किसानों की मदद की. यहां किसान सिर्फ मक्का उगाते थे लेकिन शर्मिला ने उन्हें और भी फसलें उगाने के लिए तैयार किया.
शर्मिला के मुताबिक, उन्होंने इतने सालों में पांच राज्यों में 1.5 लाख से ज्यादा किसानों की सहायता की है. जिस कारण इन किसानों की आजीविका पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है. शर्मिला ने किसानों को मिलेट्स उगाने की सलाह दी. मिलेट्स कार्बन न्यूट्रल, पर्यावरण के अनुकूल और क्लाइमेट फ्रेंडली होते हैं. इन्हें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. उन्होंने किसानों को रागी, ज्वार, प्रोसो मिलेट, और पर्ल मिलेट्स के साथ-साथ सब्जियां उगाना सिखाया है.
शुरू किया Millets Business
शर्मिला ने अपने बेटे शुभम के साथ मिलकर अपना मिलेट बिजनेस- Gud Mom शुरू किया. शुभम ने अशोका विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री की है. मां-बेटे की यह जोड़ी लोगों को मिलेट्स से बने तरह-तरह के प्रोडक्ट्स खिला रही है. यह फर्म अब देश भर मिलेट्स उगाने वाले 5,000 से ज्यादा किसानों को रोजगार देती है और कंपनी का टर्नओवर 16 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
शर्मिला को उनके काम के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सराहना मिल चुकी है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च से "गुड मॉम" को "पोषक अनाज अवार्ड 2022" और "बेस्ट स्टार्टअप इन ऑर्गेनिक फार्मिंग 2021" मिल चुका है.