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Success Story: मशरूम की खेती से मालामाल हुआ किसान, हर दिन कर रहा 40 हजार रु की कमाई

जीतू थॉमस की कहानी एक छोटे से विचार से लेकर शुरू हुई थी. उनके एक संकल्प ने दिखाया कि कैसे इस छोटे से विचार को भी एक बड़े बिजनेस में बदला जा सकता है. सही समर्थन और संकल्प के साथ सभी चुनौतियां पार की जा सकती हैं. 

Mushroom Farming (Photo: Jithu Thomas/Instagram) Mushroom Farming (Photo: Jithu Thomas/Instagram)
हाइलाइट्स
  • महीने में हो रही लाखों की कमाई

  • मिला मेहनत का फल 

भारतीय रसोई में पिछले एक दशक में मशरूम ने अपनी खास जगह बनाई है. ये सूप से लेकर बिरयानी तक में आपको नजर आ जाएगा. लेकिन मशरूम न केवल स्वाद के लिए बल्कि अब भारत के कई लोगों के लिए मशरूम की खेती अब आमदनी का जरिया बन गई है.  

केरल के जीतू थॉमस ने 20 साल की उम्र में खेती शुरू की थी. कृषि में रुचि और अपनी पहचान बनाने की इच्छा से प्रेरित जीतू ने मशरूम खेती का सफर शुरू किया, जिसने उनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया. 

सपने की शुरुआत
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जीतू का सफर एक साधारण विचार और उनकी मां लीना थॉमस के सहयोग से शुरू हुआ. दोनों ने मशरूम की खेती की संभावनाओं को तलाशने का निर्णय लिया. छोटे स्तर पर शुरुआत करते हुए, जीतू ने मशरूम के बीज पैकेट में बोए और इसे लेकर अपनी सीखने और बढ़ने की यात्रा शुरू की.

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जीतू कहते हैं, "मशरूम को बढ़ने के लिए एक नियंत्रित जलवायु की जरूरत होती है. तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाना चाहिए. इसलिए, सही कूलिंग सिस्टम होना बेहद जरूरी है." इसी समझ के साथ, दोनों ने 20,000 मशरूम बेड बनाने के लिए एक विशेष जगह खेती के लिए तैयार की. 

मशरूम खेती की चुनौतियां
मशरूम खेती जितनी आकर्षक लगती है, उतनी ही चुनौतियों से भरी हुई है. जीतू कहते हैं, "मशरूम खेती के कई फायदे हैं, जैसे इसका कम समय में तैयार होना. लेकिन यह आसान काम नहीं है. मशरूम बेहद नाजुक होते हैं और थोड़ी सी तापमान गड़बड़ी या कीड़ों का प्रकोप पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है."

इन कठिनाइयों के बावजूद, जीतू और लीना ने अपनी मेहनत और सावधानी से इन बाधाओं को पार किया. आज, उनका फार्म 5,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है और हर दिन 100 किलो से अधिक मशरूम का प्रोडक्शन होता है. 

मिला मेहनत का फल 
उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा अविश्वसनीय है. खुदरा विक्रेताओं को सीधे मशरूम बेचकर और बिचौलियों को हटाकर, उन्होंने लागत कम रखी और मुनाफा बढ़ाया. औसतन, वे प्रतिदिन ₹40,000 की कमाई कर रहे हैं.

मशरूम उगाने के अलावा, जीतू अन्य लोगों को भी इस खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जीतू कहते हैं, "अब तक, कम से कम 1,000 लोग मेरी क्लास में शामिल हुए हैं. मुझे नहीं पता कि कितने लोगों ने खेती शुरू की है, लेकिन मैं और अधिक लोगों को इस लाभकारी काम के लिए प्रेरित करना चाहता हूं,". 

भारत में मशरूम खेती का बढ़ता चलन
भारत, अपनी विविध जलवायु और प्रचुर कृषि संसाधनों के साथ, मशरूम खेती के लिए उभरता हुआ केंद्र बन रहा है. हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल, और तमिलनाडु जैसे राज्य प्रमुख उत्पादक हैं. बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, और शिटाके मशरूम जैसी किस्में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं.

जीतू के लिए, यह यात्रा अभी शुरुआत है. उनका सपना है कि वे अपने फार्म का विस्तार करें और नई पीढ़ी के किसानों को मशरूम खेती की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित करें. वे मशरूम उत्पादकों का एक नेटवर्क बनाना चाहते हैं, जो भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में योगदान कर सके और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा दे सके. वे कहते हैं, "मशरूम ने मेरी जिंदगी बदल दी, और मैं इस अवसर को दूसरों के साथ साझा करना चाहता हूं.”

जीतू थॉमस की कहानी एक छोटे से विचार से लेकर शुरू हुई थी. उनके एक संकल्प ने दिखाया कि कैसे इस छोटे से विचार को भी एक बड़े बिजनेस में बदला जा सकता है. सही समर्थन और संकल्प के साथ सभी चुनौतियां पार की जा सकती हैं.