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Nandini Milk Story: 22 हजार गांव, रोजाना 84 लाख लीटर दूध की खरीद, 65 से अधिक प्रोडक्ट... ये है नंदिनी ब्रांड का साम्राज्य

Nandini Milk Success Story: साल 1974 में कर्नाटक डेयरी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट लागू हुआ था. यह वर्ल्ड बैंक फंडेड प्रोजेक्ट था. इसके एक साल बाद कर्नाटक डेयरी विकास निगम का गठन किया है. बाद में इसका नाम बदलकर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन कर दिया गया. साल 1983 में इसे कॉरपोरेट ब्रांड नाम नंदिनी दिया गया. जिसके नाम से कंपनी के उत्पाद मार्केट में बेचे जाते हैं.

नंदिनी ब्रांड के लिए 22 हजार गांवों से दूध खरीदा जाता है (फाइल फोटो) नंदिनी ब्रांड के लिए 22 हजार गांवों से दूध खरीदा जाता है (फाइल फोटो)

नंदिनी ब्रांड डेयरी उत्पाद का मशहूर ब्रांड है. नंदिनी ब्रांड का मालिकाना हक रखने वाली कर्नाटक मिल्क फेडरेशन देश का दूसरा और दक्षिण भारत का सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है. साउथ इंडिया में यह कंपनी खरीद और ब्रिकी में पहले स्थान पर है. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के दूध और दूध उत्पाद नंदिनी के नाम से बिकते हैं. इस तरह नंदिनी एक ब्रांड है, जो दक्षिण भारत में छाया हुआ है. चलिए आपको नंदिनी ब्रांड के उदय और विस्तार की कहानी बताते हैं.

कंपनी की शुरुआत कैसे हुई-
नंदिनी डेयरी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का ब्रांड है. जबकि फेडरेशन कर्नाटक डेयरी कोऑपरेटिव की अपेक्स बॉडी है. इसका गठन 1974 में किया गया था. कर्नाटक मिल्ड फेडरेशन अमूल के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है. इसकी पहचान दक्षिण भारत के सबसे बड़े डेयरी कोऑपेरेटिव के तौर पर भी है. इस कंपनी की 16 मिल्क यूनियन हैं, जो प्राइमरी डेयरी कोऑपरेटिव सोसायटी से दूध लेती हैं और कर्नाटक के अलग-अलग जगहों पर इसकी आपूर्ति करती हैं.
कंपनी ने साल 1955 में कर्नाटक के कोडगू जिले में पहली डेयरी स्थापित किया था. इसके बाद कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. लगातार इसके उत्पादन मे बढ़ोतरी होती गई. इस कंपनी के तेज रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 1965 में रोजाना 50 हजार लीटर दूध प्रोसेस की क्षमता कंपनी के पास थी. लेकिन साल 1994 तक ये आंकड़ा 3.5 लाख लीटर तक पहुंच गया था.

ब्रांड को कब मिला नंदिनी नाम-
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन बनने के बाद तेजी से बढ़ रहा था. इस दौरान कंपनी को एक ब्रांड नेम की जरूरत महसूस हुई. साल 1983 में कॉरपोरेट ब्रांड नाम नंदिनी दिया गया. कंपनी का पहला पशु चारा संयंत्र 21 मार्च 1983 में राजनुकुंटे में शुरू किया गया. 
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन साल 1976-77 के दौरान किसानों को रोजाना 0.09 करोड़ रुपए देता था. लेकिन साल 2022-23 में किसानों को रोजाना 23.93 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया. साल 1976-77 में केएमएफ यूनियनों का कुल कारोबार 8.82 करोड़ रुपए था, लेकिन साल 2022-23 में यह आंकड़ा 14018 करोड़ रुपए हो गया है.

22 हजार गांव से 84 लाख लीटर दूध की खरीद-
नंदिनी ब्रांड कर्नाटक का सबसे बड़ा ब्रांड है. सूबे के 22 हजार गांवों तक इसकी पहुंच है. इससे 24 लाख से अधिक मिल्क प्रोड्यूसर मेंबर जुड़े हैं. कंपनी रोजाना 84 लाख लीटर दूध खरीदती है. इस वक्त कंपनी 65 से अधिक उत्पाद बेचती है.

सस्ते क्यों हैं नंदिनी के प्रोडक्ट्स-
नंदिनी के प्रोडेक्ट्स काफी सस्ते हैं. नंदिनी ब्रांड का एक किलोग्राम दही का पैकेट 47 रुपए में आता है, जबकि अमूल का 450 ग्राम का पैकेट 30 रुपए में आता है. नंदिनी ब्रांड के प्रोडक्ट्स इतने सस्ते इसलिए हैं, क्योंकि कर्नाटक सरकार इसपर सब्सिडी देती है. साल 2008 में येदियुरप्पा की सरकार ने एक लीटर दूध पर 2 रुपए की सब्सिडी की शुरुआत की थी. उसके बाद सिद्धारमैया की सरकार ने इस सब्सिडी को दोगुना कर दिया. इसके बाद फिर साल 2013 में येदियुरप्पा की सरकार ने सब्सिडी 6 रुपए प्रति लीटर कर दिया. ज्यादा सब्सिडी मिलने की वजह से नंदिनी के प्रोडक्ट्स सस्ते मिलते हैं.

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