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Bhavish Aggarwal Success Story: टैक्सी ड्राइवर से हुई बहस तो आया कैब सर्विसेज का आइडिया, Microsoft की जॉब छोड़कर खड़ी की Ola Cabs कंपनी

भाविश अग्रवाल का EV स्टार्टअप Ola Electric ने इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज करा लिया है, जो आईपीओ लॉन्च करने वाला भारत का पहला ईवी स्टार्टअप बन गया है. यह IPO 6 अगस्त 2024 तक खुला रहेगा.

Ola company success story (Photo: X.Com) Ola company success story (Photo: X.Com)

भारत में Ola कंपनी को किसी परिचय की जरूरत नहीं है. पहली भारतीय कैब एग्रीगेटर कंपनी ओला ने कैब सर्विसेज के उपयोग को सरल बना दिया है. देश के लगभग सभी बड़े शहरों में ओला कैब सर्विसेज लोगों के लिए उपलब्ध है. ओला को पहले ओलाकैब्स के नाम से जाना जाता था और इसकी स्थापना दिसंबर 2010 में IIT बॉम्बे से ग्रेजुएट भाविश अग्रवाल ने अपने दोस्त, अंकित भाटी के साथ मिलकर की थी. 

भाविश अग्रवाल एक भारतीय उद्यमी और "ओला कैब्स" के सह-संस्थापक हैं, जो पंजाब, लुधियाना के रहने वाले हैं. उन्होंने 2008 में IIT बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. पढ़ाई के बाद भाविश ने "माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च" से अपने करियर की शुरुआत की. दो साल कर उन्होंने यहां पर असिस्टेंट रिसर्चर के तौर पर काम किया. साथ ही, उन्होंने 2 पेटेंट दाखिल करके इंटरनेशनल मैग्जीन्स में 3 पेपर पब्लिश किए. जॉब में सबकुछ सही था लेकिन टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रखने वाले भाविश कुछ अलग करना चाहते थे. 

कैसे मिला कैब सर्विसेज का आइडिया 
अब सवाल है कि भाविश को कैब सर्विसेज का आइडिया कैसे मिला. दरअसल, इस आइडिया का जन्म के पीछे उनका अपना अनुभव था. एक बार बेंगलुरु से बांदीपुर की यात्रा करते समय किराए को लेकर उनका टैक्सी ड्राइवर से झगड़ा हो गया था क्योंकि ड्राइवर रास्ते में उनसे तय किराए से ज्यादा पैसे मांगने लगा. बहस बढ़ने पर टैक्सी वाले ने उन्हें बीच रास्ते में उतार दिया. तब उनके दिमाग में आइडिया आया कि भारत में भी कोई ऐसी कैब सर्विस होनी चाहिए जो सही किराए में लोगों को जिम्मेदारी के साथ उनकी मंजिल तक पहुंचाए. 

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हालांकि, अपने इस आइडिया के लिए उन्हें शुरू में बहुत ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. साल 2010 में आख़िरकार, उन्होंने और सह-संस्थापक अंकित भाटी ने में अपना लक्ष्य पूरा किया. भाविश ने माइक्रोसॉफट में अपनी नौकरी छोड़ दी और ऑनलाइन रेंटल कैब सर्विस का बिजनेस शुरू किया. स्टार्ट-अप का शुरुआती दौर बिल्कुल भी आसान नहीं था. शुरुआत में उन्होंने कस्टमर्स की कॉल्स सुनने के अलावा, खुद कैब चलाकर ग्राहकों को एक-दो बार खुद कैब सर्विस भी दी.

सोशल इक्वलिटी पर भी है फोकस 
ओला कैब्स की सफलता के बाद भाविश और उनकी टीम ने कुछ साल पहले इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट पर भी फोकस किया. उन्होंने इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किए, जिनकी भारत में आज मांग बढ़ रही है. तमिलनाडु के कृष्णागिरी में ओला इलेक्ट्रिक की फ्यूचरफैक्ट्री में 10,000 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं. 500 एकड़ की मैन्यूफैक्चरिंग सर्विस, जिसमें सालाना 10 मिलियन इलेक्ट्रिक स्कूटर का उत्पादन करने की क्षमता है, पूरी तरह से महिलाएं इस यूनिक का संचालन कर रही हैं.  

भाविश का कहना है कि यह विश्व स्तर पर एकमात्र महिला ऑटोमोटिव मैन्यूफैक्चरिंग सर्विस है. केवल महिलाओं के लिए फैक्ट्री बनाने के पीछे का कारण यह है कि वह महिलाओं को आर्थिक अवसरों के साथ सक्षम बनाना चाहते थे जिससे न केवल उनके जीवन में सुधार होगा, बल्कि उनके परिवार और पूरे समुदाय का जीवन बेहतर होगा.

मिल चुके हैं कई अवॉर्ड्स 
भाविश को अब तक उनके काम के लिए कई अवॉर्ड्स और पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. उनका नाम फोर्ब्स की "30 अंडर 30" लिस्ट में शामिल हो चुका है. उन्हें इकोनॉमिक टाइम्स से ऑन्ट्रप्रिन्योर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिला है.

साल 2022 तक अग्रवाल की कुल संपत्ति 11700 करोड़ थी. उनका बिजनेस ओला 6.5 अरब डॉलर का है. भारत के सबसे युवा अरबपतियों में से एक भाविश हैं. भाविश खुद रोल्स रॉयस फैंटम, बुगाटी वेरॉन, मर्सिडीज S600 और कई अन्य हाई-एंड ऑटोमोबाइल चलाते हैं.