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Tax Regime: ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम... Income Tax Return भरने के लिए टैक्सपेयर्स के लिए कौन सी कर व्यवस्था बेहतर... यहां जानिए

Old vs New Tax Regime: टैक्सपेयर्स के लिए न्यू या ओल्ड टैक्स रिजीम में से कौन सा विकल्प सही है ये उनकी फाइनेंशियल सिचुएशन पर निर्भर करता है. न्यू टैक्स रिजीम में 1 अप्रैल 2025 से संशोधित टैक्स स्लैब शामिल होंगे. इसके तहत जिन लोगों की आय 12 लाख से कम है, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. ओल्ड टैक्स रिजीम में कई तरह की कटौतियां और छूट मिलती हैं.

Income Tax Return Income Tax Return
हाइलाइट्स
  • न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख तक की आय पर नहीं लगेगा कोई टैक्स

  • ओल्ड टैक्स रिजीम में कई तरह की कटौतियां और मिलती हैं छूट 

टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को 31 मार्च तक इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करना होता है. आईटीआर (ITR) दाखिल करने के ढेर सारे फायदे हैं. करदाताओं के लिए दो टैक्स रिजीम है. पहला ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) और दूसरा न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime). आइए जानते हैं इन दोनों टैक्स रिजीम में से टैक्सपेयर्स के लिए कौन बेहतर हैं?

न्यू टैक्स रिजीम में इनको नहीं देना होगा टैक्स 
न्यू टैक्स रिजीम को साल 2020 में लेकर सरकार आई थी. इसे शुरू में करदाताओं ने पसंद नहीं किया. इसके बाद सरकार ने इसे लोकप्रिय बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए. न्यू टैक्स रिजीम में 1 अप्रैल 2025 से संशोधित टैक्स स्लैब शामिल होंगे. इसके तहत जिन लोगों की आय (Income) 12 लाख से कम है, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. हालांकि, यह तभी संभव है जब व्यक्ति न्यू टैक्स रिजीम चुनता है. न्यू टैक्स रिजीम सीमित कटौती प्रदान करती है, लेकिन इसमें वेतन आय से एक स्टैंडर्ड कटौती और NPS में नियोक्ता के योगदान के लिए धारा 80CCD (2) के तहत कटौती होती है. कार लीजिंग की तरह ही टेलीफोन और वाहन प्रतिपूर्ति दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत टैक्स फ्री है.

ओल्ड टैक्स रिजीम में इनती कटौतियां उपलब्ध 
1. ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होता है. 
2. पुरानी कर व्यवस्था में आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट दी जाती है.
3. धारा 80C के तहत कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारी का योगदान.
4. एक निश्चित सीमा तक यात्रा भत्ता पर छूट.
5. किराए के अपार्टमेंट में रहने पर मकान किराया भत्ता पर छूट.
6. धारा 80CCD (2) के तहत राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में नियोक्ता का योगदान.
7. 2200 रुपए प्रति माह या 26400 रुपए प्रति वर्ष के सोडेक्सो जैसे खाद्य कूपन वाउचर.
8. धारा 80CCD (1b) के तहत NPS निवेश के लिए 50000 रुपए की कटौती.
9. स्वयं, परिवार और माता-पिता के लिए भुगतान किए गए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए धारा 80D कटौती.
10. बचत खाते से अर्जित ब्याज पर धारा 80TTA कटौती.
11. दिव्यांग के मामले, छूट प्राप्त संस्थानों को दान आदि पर भी कटौती की अनुमति दी जा सकती है.

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आपके लिए कौन सा टैक्स रिजीम फायदेमंद
करदाता ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम में से किसे चुनें. यह फैसला उनकी आय, खर्चों और टैक्स बचाने की योजनाओं पर निर्भर करता है. ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम दोनों में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) खाते में नियोक्ता का योगदान अलग-अलग होगा. पुरानी कर व्यवस्था में मूल वेतन का 10 प्रतिशत तक धारा 80CCD (2) के तहत कटौती के रूप में दिया जाता है. उधर, नई कर व्यवस्था में मूल वेतन का 14 प्रतिशत धारा 80CCD (2) कटौती के रूप में दिया जाता है. ऐसे मामलों में जहां करदाताओं के पास कटौती या छूट का दावा करने के सीमित साधन हैं, संशोधित कर स्लैब वाली नई कर व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अधिक कर बचत प्रदान करेगी. जो लोग टैक्स का भुगतान सरल तरीके से करना चाहते हैं, उन्हें न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा फायदेमंद हो सकता है.

पुरानी व्यवस्था का इस्तेमाल करने वाले कई लोग नई व्यवस्था पर स्विच करने पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि केंद्रीय बजट 2025 में 24 लाख रुपए तक की इनकम के लिए स्लैब रेट को काफी हद तक कम कर दिया गया है. जो लोग सालाना 24 लाख रुपए से ज्यादा कमाते हैं और 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, उनके लिए न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा आकर्षक विकल्प नहीं है. क्योंकि जैसे-जैसे इनकम बढ़ती है, न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स बेनिफिट कम होते जाते हैं, जिससे ऐसे लोगों के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम टैक्स बचाने का ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है. आपके लिए कौन सा विकल्प सही है, समझने के बाद ही कोई फैसला लें. फैसला करने के लिए आप फाइनेंशियल एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं या टैक्स कैलकुलेशन टूल का यूज कर सकते हैं. ज्यादा हाउस रेंट अलाउंस पाने वाले एम्प्लॉई , खासतौर पर हर महीने 1 लाख रुपए तक पाने वाले एम्प्लॉई , ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. जबकि न्यू टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स को यह फायदा नहीं मिलता है.