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Om Prakash Munjal: पाकिस्तान से आए भारत, सड़कों पर साइकिल के बेचे पार्ट्स, कर्ज लेकर शुरू की Hero कंपनी, जानें कैसे पहुंचे बुलंदियों पर

Happy Birthday Om Prakash Munjal: ओम प्रकाश मुंजाल का जीवन बहुत लोगों को प्रेरणा देता है. उन्होंने सड़कों पर साइकिल के छोटे-छोटे पार्ट्स बेचने से शुरुआत की और अपनी सोच और दूरदर्शिता से दुनिया की सबसे ज्यादा साइकिल बनाने वाली हीरो कंपनी खड़ी कर दी.

हीरो साइकिल कंपनी के जनक ओम प्रकाश मुंजाल हीरो साइकिल कंपनी के जनक ओम प्रकाश मुंजाल
हाइलाइट्स
  • ओपी मुंजाल का जन्म 26 अगस्त 1928 को हुआ था

  • 1956 में साइकिल के पा‌र्ट्स बनाने की पहली यूनिट लगाई

Hero Cycle: ओम प्रकाश मुंजाल उर्फ ओपी मुंजाल को साइकिल उद्योग का जनक कहा जाता है. ओपी मुंजाल का जन्म आज ही के दिन 26 अगस्त 1928 को कमालिया (पाकिस्तान) में हुआ था. आइए आज जानते हैं कैसे ओपी मुंजाल ने सड़कों पर साइकिल के पार्ट्स बेचते-बेचते हीरो साइकिल्स कंपनी की शुरुआत की और बना दिया साइकिल उत्पादन का रिकॉर्ड?

साइकिल के पुर्जे सप्लाई करने का शुरू किया काम 
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले ओपी मुंजाल का परिवार कमालिया (अब पाकिस्तान में) में रहता था. इनके पिता बहादुर चंद मुजाल एक अनाज की दुकान चलाते थे और मां ठाकुर देवी हाउस वाइफ थीं. 1944 में इनका परिवार पाकिस्तान को छोड़कर अमृतसर आ गया. 

यहां आकर ओपी मुंजाल अपने तीन भाइयों ब्रजमोहन लाल मुंजाल, दयानंद मुंजाल और सत्यानंद मुंजाल के साथ अमृतसर की गलियों, फुटपाथों पर साइकिल के पुर्जे सप्लाई करने का काम शुरू किया. ओपी शहर-शहर घूमकर पुर्जों के ठेके लेते थे. ये वो समय था जब यह कारोबार आसान नहीं था, लेकिन ओपी मुजाल हार मानने वालों में से नहीं थे. किसी तरह दिन-रात मेहनत करके इन्होंने कारोबार को खड़ा किया.

अमृतसर से कारोबार लुधियाना शिफ्ट करना पड़ा
मुंजाल ब्रदर्स का कारोबार चल ही रहा था कि फिर 1947 में देश का बंटवारा हो गया. इस दौरान अमृतसर में कारोबारी माहौल काफी प्रभावित हुआ. कारोबार में मुश्किल हुई तो चारों भाइयों ने अपना कारोबार लुधियाना में शिफ्ट कर लिया. 

ऐसे की हीरो साइकिल की शुरुआत
जब काम थोड़ा चल निकला तो 1956 में ओपी मुंजाल ने बैंक से 50 हजार रुपए का कर्ज लिया और लुधियाना में साइकिल के पा‌र्ट्स बनाने की पहली यूनिट लगाई. कंपनी का नाम रखा हीरो साइकिल्स. उसी साल उन्होंने पूरी साइकिल असेम्बल करना शुरू कर दिया. शुरुआत में 25 साइकिलें रोज बनती थीं.

हीरो साइकिल को बनाया नंबर वन
हीरो साइकिल्स शुरुआत में एक दिन में 25 साइकिलें बनाने लगी थी. इसके बाद उनकी साइकिल बनाने की स्पीड बढ़ने लगी. ये कंपनी मात्र 10 सालों में एक साल में एक लाख साइकिल तैयार करने लगी थी. 1986 तक आते आते कंपनी ने हर साल 22 लाख से अधिक साइकिलों का उत्पादन कर एक नया इतिहास रच दिया था. हीरो अब साइकिल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी थी. 

गिनीज बुक में कंपनी का नाम दर्ज 
1986 में हीरो साइकिल्स का नाम गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल उत्पादक कंपनी के रूप में दर्ज किया गया था. वर्तमान में देश के साइकिल बाजार में हीरो साइकिल्स की हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी है. यह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के 89 देशों में साइकिल निर्यात करती है.

जब कर्मचारी हड़ताल छोड़कर लौटे काम पर
ओम प्रकाश मुंजाल को धुन का पक्का कहा जाता था. एक बार ये जो ठान लेते थे उसे करके ही दम लेते. वह कस्टमर के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी मेहनत से निभाने में यकीन रखते थे. एक बार हीरो साइकिल्स की फैक्ट्री में हड़ताल हो गई थी. दरअसल हुआ यह कि पंजाब में आम हड़ताल थी, जिसकी वजह से हीरो साइकिल्स की फैक्ट्री में भी हड़ताल हो गई. कामगार जाने लगे. ओपी मुंजाल वहीं थे. वह केबिन से निकले और आवाज देकर कहा, आप चाहें तो घर जा सकते हैं, पर मैं काम करूंगा. मेरे पास ऑर्डर हैं. ये कहते हुए वह मशीनें चालू करने लगे और खुद साइकिल असेंबल करने में जुट गए. 

बच्चे कैसे समझेंगे
जब लोगों ने उन्हें रोका तो वह बोले थे कि डीलर तो समझ सकते हैं कि हड़ताल के कारण काम नहीं हो रहा है, लेकिन जिस बच्चे को उसके माता-पिता ने जन्मदिन पर साइकिल दिलाने का वादा किया है वो कैसे समझेगा, उसे साइकिल कैसे मिलेगी. उन्होंने कहा कि वो जितनी साइकिल बना सकते हैं बनाएंगे. इसके बाद सभी कर्मचारी वापस काम पर लौट आए और उस दिन के जितने भी आर्डर पेंडिंग थे सब पूरे किए.

बसों से पहुंचाई साइकिलें
एक बार जब हड़ताल की वजह से ट्रक नहीं चल रहे थे तो ओपी मुंजाल ने बसों का इस्तेमाल साइकिलें पहुंचाने के लिए किया. उन्होंने किसी हाल में साइकिलों की डिलीवरी रुकने नहीं दी.

पुरस्कार और सम्मान
पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, वीवी गिरि, जैल सिंह और एपीजे अब्दुल कलाम ओपी मुंजाल को सम्मानित कर चुके हैं. 1990 में उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता अवॉर्ड दिया गया. ओपी को उर्दू शायरी काफी पसंद थी. 1994 में उन्हें साहित्य सेवा के लिए साहिर पुरस्कार दिया गया. वह बड़े परोपकारी थे. उन्होंने कई स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थानों को दान किया. उन्हें पंजाब रत्न अवॉर्ड भी दिया गया था.

2300 करोड़ रुपए से ऊपर है टर्नओवर
ओपी मुंजाल का 13 अगस्त 2015 को निधन हो गया. अपने बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए उन्होंने कुछ दिन पहले ही कंपनी की बागडोर अपने बेटे पंकज मुंजाल को सौंप दी थी. वर्तमान में पंकज मुंजाल हीरो साइकिल्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. इस ग्रुप में हीरो मोटर्स लिमिटेड, जेडएफ हीरो चेसिस सिस्टम्स एवं मुंजाल किरियू इंडस्ट्रीज और मुंजाल हास्पिटैलिटी और घर के सजावटी सामान बनाने वाली कंपनी ओमा लिविंग्स शामिल हैं. वर्तमान में हीरो साइकिल का टर्नओवर 2300 करोड़ रुपए से ऊपर है.