इस दुनिया में बहुत सी ऐसी कहानियां हैं जो दूसरों को प्रेरित करने की ताकत रखती हैं. मन में अगर चाह हो तो कोई भी मुकाम पाया जा सकता है. मेहनत और लगन की कुछ ऐसी ही कहानी है ओयो रूम्स सीईओ रितेश अग्रवाल की. रितेश का जन्म ओडिशा के मारवाड़ी परिवार में हुआ था. उनका परिवार वहीं एक छोटी से दुकान चलाता था. माता-पिता चाहते थे कि बेटा पढ़ लिख कर इंजीनियर बने लेकिन बेटे की चाहत थी कुछ ऐसा करने की जिसपर उसका कंट्रोल हो.
ऐसे आया आइडिया
10वीं की पढ़ाई के बाद रितेश दिल्ली आ गए. उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था. शुरुआत में उन्होंने खर्च के लिए सड़कों पर घूम-घूमकर सिम कार्ड बेचे. सोचिए अगर रितेश के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा नहीं होता तो क्या वे आज इतनी बड़ी कंपनी के मालिक बनते. रितेश कॉलेज ड्रॉपआउट हैं. जब वह घूमने जाते तो होटलों के अंदर का एक्सपीरिएंस हमेशा खराब रहता. अच्छे होटल के लिए मोटे दाम वसूले जाते कई बार अच्छे पैसे देकर भी वो क्वालिटी नहीं मिल पाती जो एक कस्टमर को मिलनी चाहिए. बस फिर क्या था रितेश ने कस्टमर्स की दिक्कतों को समझा और एक ऐसा एप लेकर आए जो सस्ते दामों में ऑनलाइन होटलों की बुकिंग करता था. साल 2013 में रितेश ने OREVAL STAYS नाम की एक ऑनलाइन रूम बुकिंग करने की कंपनी खोली. बाद में इसका नाम बदलकर ओयो रूम्स कर दिया क्योंकि नाम की वजह उनक बिजनेस को पहचान मिलने में दिक्कत हो रही थी. उसके बाद वह मेहनत करते गए और आज उनकी कंपनी और दोनों बेटों का दुनिया भर में नाम है.
हजारों करोड़ की कंपनी के मालिक हैं रितेश
ओयो रूम्स (On Your Own room) वास्तव में इस वक्त भी दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता होटल चेन है. इनके 35 से ज्यादा देशों में 1.5 लाख से ज्यादा होटल्स हैं. Oyo के जरिए लोग बेहतरीन सुविधाओं के साथ अपना पसंदीदा होटल कम कीमत पर बुक कर पाते हैं. ये इंडिया का बेस्ट ऑनलाइन होटल बुकिंग प्लेटफार्म है. ओयो रूम्स में होटल्स के साथ पार्टनरशिप की जाती है. उसमें निवेश किया जाता है. प्रॉफिट का आधा हिस्सा ओयो अपने पास रखती है, आधा हिस्सा होटल के मालिक को मिलता है. आज रितेश हजारों करोड़ की कंपनी के मालिक हैं.
रितेश ने 20 साल से भी कम उम्र में Oyo Rooms नाम की कंपनी की शुरुआत कर बड़े-बड़े अनुभवी बिजनेसमैन को सोचने पर मजबूर कर दिया. कपल्स फ्रेंडली होने के कारण ओयो को अपना बिजनेस जमाने में काफी मदद मिली.
रितेश कहते हैं फेल होने का रिस्क तो हर जगह है, लाइफ में करियर में, स्टार्टअप में...जल्दी सीखने का सबसे अच्छा तरीका है फेल होना लेकिन अपने फेलियर से कुछ न सीखना फेल होने का सबसे आसान तरीका है.