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रूस और यूक्रेन के युद्ध में हो रही है भारत के किसानों और आढ़तियों की बल्ले-बल्ले, विदेशों में पहुंच रहा देश का गेहूं

युद्ध के चलते रूस और यूक्रेन दुनिया को गेहूं की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में, भारत को अच्छा मौका मिला है और इस कारण किसानों और आढ़तियों की बल्ले बल्ले हो रही है.

Farmers supplying wheat Farmers supplying wheat
हाइलाइट्स
  • पहली बार लग रही गेहूं की खुली बोली

  • गेहूं के प्राइवेट रेट से खुश हैं किसान

चीन के बाद दुनियां में गेहूं निर्यात करने में दूसरा स्थान रखने वाला रूस इन दिनों यूक्रेन से जंग लड़ रहा है. इसके चलते रूस और यूक्रेन दुनिया मे गेहूं का निर्यात नहीं कर पा रहे है. और इसका फायदा भारत के किसानों को मिल रहा है. दुनिया के देशों में भारत के गेहूं की मांग बढ़ी है.

मिनी पंजाब कहे जाने वाले पीलीभीत से पहली बार गेहूं कांडला पोर्ट गुजरात भेजा जा रहा है. जहां से गेहूं विदेश भेजा जाएगा. इसलिए किसान अपना गेहूं आढ़तियों को समर्थन मूल्य से ऊपर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. 

पहली बार लग रही गेहूं की खुली बोली

गेहूं की फसल को काट कर किसान मंडी लाने लगे है. लेकिन मंडी में लगे क्रय केंद्रों पर गेहूं का ढेर लगाने की बजाय आढ़तियों के फड़ पर ढेर लगाया जा रहा है. हर बार किसान अपना गेहूं सरकारी केंद्रों पर बेचते थे, लेकिन इस बार क्रय केंद्रों पर गेहूं न बेच कर आढ़तियों के फड़ पर गेहूं डाल कर खुली बोली लगवा रहे हैं. 

खुली बोली इसलिए क्योंकि सरकारी खरीद मूल्य 2015 रुपए है पर बोली में किसानों को इससे ज्यादा का रेट मिल रहा है. इसलिये आज क्रय केंद्र सुने पड़े है और क्रय केंद्र प्रभारी खाली बैठे टाइम पास कर रहे हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है. महिपाल गंगवार, क्षेत्रीय विपणन अधिकारी (क्रय क्रेंद प्रभारी/MO मंडी ) ने बताया कि किसानों को समर्थन मूल्य से ऊपर रेट मिल रहा है इसलिए वह प्राइवेट रूप से गेहूं बेच रहे हैं.

वहीं, जहीर मलिक, मंडी नीलामी प्रभारी ने बताया कि माल विदेश जा रहा है इसलिए किसानों को समर्थन रेट से ऊपर रेट मिल रहे हैं. अनाज का कटोरा कहे जाने वाले पीलीभीत से वैसे तो हर साल गेहूं विदेश भेजा जाता है लेकिन रैक से पहली बार भेजा जा रहा है.

आढ़तियों को बेच रहे गेहूं

गल्ला व्यापारियों के अनुसार अप्रैल में ही गेहूं की 30 रैक जा रही हैं. एक रैक में 27 हज़ार कुन्तल गेहूं जायगा. पीलीभीत जिले में 128 क्रय केंद्र बनाए गए हैं और एक अप्रैल से खरीद शुरू हुई. निजी आढ़त पर कई हज़ार कुन्तल गेहूं पहुंच चुका है. यहाँ किसानों को नकद भुगतान भी मिल रहा है. 

कीमत की बात करे तो सरकारी समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति कुन्तल है. वहीं व्यापारी नकद 2000 से 2020, 2030, 2050  रुपये प्रति कुन्तल तक खरीद रहे हैं. बिना झंझट के पूरा और नकद भुगतान मिलने से किसानों के चेहरे भी खिल रहे हैं. गेहूं की विदेश से डिमांड आने से आढ़ती ऊंचे दाम पर किसानो से गेहूं खरीद रहे हैं. और विदेश भेज रहे है. जिससे किसानों को सीधा फायदा मिल रहा है और सरकारी केंद्र सुने पड़े हैं. 

किसानों के साथ-साथ आढ़तियों की भी बल्ले बल्ले हो रही है. राघव, आढ़ती, पीलीभीत मंडी ने बताया कि यूक्रेन व रूस दुनिया को  25%  गेहूं की आपूर्ति करता था, लेकिन इस बार युद्ध के चलते वह दुनिया को गेहूं नही दे पा रहा है तो भारत इसकी पूर्ति कर रहा है. जिस वजह से किसानों को अच्छा रेट मिल पा रहा है और सबको फायदा हो रहा है. 

सरकार की भी पूरी तैयारी 

जिला अधिकारी पुलकित खरे ने बताया कि किसानों को फायदा होना हमारी प्राथमिकता है. अभी समय है हम प्रयास कर रहे हैं कि किसान केंद्र पर अपना गेहूं लाएं. जनपद में सभी क्रय केंद्रों पर तैयारी पूरी है. अभी प्रारंभिक दौर है और अभी गेहूं कटना शुरु हुआ है. उम्मीद है कि किसानों को वाजिब मूल्य मिले इसलिए सभी एसडीएम और लेखपालों को लगा दिया गया है. 

किसानों को नहीं मालूम था की रूस और यूक्रेन की लड़ाई में उनको फायदा होगा. खैर जो भी हो कोविड काल और किसान आंदोलन के बाद किसानों को उनकी फसल का वाजिव मूल्य मिल रहा है और किसान भाई खुश नजर आ रहे हैं.

(सौरभ पांडेय की रिपोर्ट)