बायोफ्यूल को एनर्जी का सस्ता और टिकाऊ सोर्स माना जाता है. इसको लेकर भारत एक बड़ी पहल कर रहा है. भारत इसको लेकर ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस बनाने पर जोर दे रहा है. कई देशों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया है. इसको लेकर दुनिया के तमाम देशों से की तरफ से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है. कयास लगाया जा रहा है कि पीएम मोदी जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान GBA की शुरुआत कर सकते हैं.
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस का समर्थन-
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत प्राथमिकताओं में एक है. जीबीए के निर्माण के लिए अमेरिका और ब्राजील भारत का सहयोग कर रहे हैं. इन दोनों देशों का एथेनॉल उत्पादन में अहम भूमिका है. इसका समर्थन विश्व आर्थिक मंच, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी जैसे संगठन भी कर रहे हैं.
GBA का क्या है मकसद-
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस बनाने का मकसद टिकाऊ बायाफ्यूल का इस्तेमाल बढ़ाना है. इसके अलावा इसका मकसद बायोफ्यूल मार्केट को मजबूत करना, ग्लोबल बायोफ्यूल कारोबार को सुविधाजनक बनाना, तकनीकी सहायता प्रदान करने पर जोर देना है.
क्या है बोयफ्यूल-
बायोफ्यूल का मतलब पेड़-पौधों, अनाज, शैवाल, भूसी और फूड वेस्ट से बनने वाला ईंधन है. बायोफ्यूल्स को कई तरह के मायोमास से निकाला जाता है. इसमें कार्बन की कम मात्रा होती है. अगर इसका इस्तेमाल बढ़ेगा तो दुनिया में पारंपरिक ईंधन पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा.
पहली बार साल 1890 में रुडोल्फ डीजल ने खेती केलिए इंटरनल कंबशन इंजन को चलाने के लिए वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल किया था.
बायोफ्यूल कैसे बनता है-
बायोफ्यूल बनाने के लिए अलग तरह के रिफाइनरीज का इस्तेमाल किया जाता है. इसको फसलों के भंडार के आधार पर कैटेगराइज किया जाता है. फर्स्ट जेनरेशन बायोफ्यूल खाद्य फसलों के भंडार पर निर्भर करता है. फर्स्ट जेनरेशन यूनिट में गन्ने की फसल और ग्रेन स्टार्च को प्रोसेस किया जता है. जबकि सेकेंड जेनरेशन बायोफ्यूल को उन्नत बायोफ्यूल के तौर पर जाना जाता है. इसमें प्रोसेस नॉन-एडिबल प्लांट्स, वूडी बायोमास या भूसी में होता है. थर्ड जेनरेशन बायोमास एल्गी और माइक्रोब्स से बनाया जाता है. फोर्थ जेनरेशन बायोफ्यूल कॉर्बन डाई आक्साइड को अवशोषित करने वाली बायोमास सामग्री पर निर्भर करते हैं.
सबसे ज्यादा बायोफ्यूल कहां बनता है-
साल 2022 में दुनिया में सबसे ज्यादा एथेनॉल बनाने वाले देश अमेरिका और ब्राजील हैं. अमेरिका ने 57.5 अरब लीटर और ब्राजील ने 35.6 अरब लीटर एथेनॉल बनाया. जबकि बायोडीजल बनाने के मामले में यूरोप सबसे आगे रहा. वहां 17.7 अरब लीटर बायोडीजल का उत्पादन हुआ. उसके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका और तीसरे नंबर पर इंडोनेशिया है.
भारत में बायोफ्यूल का कितना उत्पादन-
भारत में बायोफ्यूल पॉलिसी साल 2009 में लॉन्च की गई थी. उसके बाद से भारत बायाफ्यूल को लेकर काफी एक्टिव है. लेकिन इसके उत्पादन के मामले में अभी काफी पीछे है. साल 2022 में भारत में 3 अरब लीटर एथेनॉल का उत्पादन हुआ. भारत में एथेनॉल बायोफ्यूल का उत्पादन होता है. इसे पेट्रोल में मिलाया जाता है. इसके अलावा बायोडीजल और कंप्रेस्ड बायोगैस का भी उत्पादन होता है. भारत ने साल 2025 तक 20 फीसदी एथेनॉल ब्लेंडिंग पेट्रोल का टारगेट रखा है.
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