जज्बा और जुनून हो तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है, चाहे कितनी भी गरीबी क्यों ना हो. बचपन में इस लड़के की फैमिली के पास स्कूल की फीस भरने के भी पैसे नहीं थे. जैसे-तैसे पढ़ाई पूरी की और नौकरी करने लगा. इस दौरान उसे सिर्फ 6000 रुपए मिलते थे. काम करने के दौरान ही उसकी मुलाकात कुछ और लोगों से हुई. इसके बाद 3 दोस्तों ने मिलकर कंपनी की शुरुआथ की. धीरे-धीरे कंपनी तरक्की करती गई. उस लड़के का नाम जयंती कनानी (Jaynti Kanani) है और पॉलीगॉन (PolyGon) कंपनी आज हजारों करोड़ की बन गई है.
आर्थिक तंगी में गुजरा जयंती का बचपन-
जयंती कनानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था. कनानी का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर था. उनका परिवार एक छोटे से फ्लैट में रहता था. जयंती के पिता एक डायमंड फैक्टरी में मजदूरी करते थे. पिता के पास जयंती के स्कूल की फीस भरने के भी पैसे नहीं होते थे. जयंती के पिता ने उसकी बहन की शादी के लिए कर्ज लिए थे. उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा कर्ज को वापस करने में चला जाता था.
पढ़ाई पूरी करने के बाद मिली नौकरी-
किसी तरह से जयंती कनानी की स्कूल पढ़ाई पूरी हुई. इसके बाद नडियाद में धर्मसिंह देसाई विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी होने के बाद जयंती को 6000 रुपए की नौकरी मिल गई. लेकिन इतने कम पैसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल था. इसलिए जयंती दूसरी नौकरी की तलाश करने लगे. काफी तलाश के बाद उनको एक कंपनी में डाटा एनालिस्ट के तौर पर काम मिल गया. इस दौरान ही उनकी मुलाकात ऐसे लोगों से हुई, जिनके बाद उनकी किस्मत खुल गई.
3 दोस्तों ने शुरू की कंपनी-
डाटा कंपनी में काम करने के दौरान जयंती की मुलाकात संदीप नेलवाल औऱ अनुराग अर्जुन से हुई. तीनों में पैसा कमाने की ललक थी. तीनों कुछ बड़ा करने की सोच रहे थे. तीनों ने मिलकर साल 2017 में पॉलीगॉन की शुरुआत की. इसके बाद तीनों दोस्तों ने पीछे मुड़कर नहीं देखी. कंपनी का कारोबार तेजी से बढ़ता गया और कंपनी सफलता की बुलंदियों पर पहुंच गई.
कंपनी का कारोबार-
PolyGon कंपनी की मौजूदा वैल्यू 55 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कंपनी भारत के बाहर भी लोकप्रिय हो रही है. इसमें अमेरिका के अरबपति एंटरप्रेन्योर मार्क क्यूबन ने भी निवेश किया है. जयंती कनानी कंपनी को को-फाउंडर और CEO हैं. जबकि संदीप नेलवाल को-फाउंडर हैं और अनुराज अर्जुन भी को-फाउंडर हैं. PolyGon कंपनी को मूल रूप से मैटिक नेटवर्क के नाम से जाना जाता था.
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