Advanced Technology के दौर में रहते हुए हम उस पर इतने ज्यादा निर्भर हो गए हैं कि हम अपना पूरा समय रियल वर्ल्ड में जीने के बजाए डिजिटल वर्ल्ड में जीते हैं. हमारा दिमाग अब टेक्नोलॉजी के कंट्रोल में है और यही हमें रूल कर रही है. इसी डिजिटल वर्ल्ड की एक उपज है ऑनलाइन गेमिंग. सोशल मीडिया पर कई सारे ऐसे ऐप्स मौजूद हैं जो मोबाइल गेमिंग को प्रमोट करके बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं. इन लोगों ने बच्चों को खुद पर इतना ज्यादा निर्भर बना लिया है कि कई बार इसकी लत में आकर वो कई हिंसक कदम भी उठा लेते हैं.
कुछ एडिक्टिव गेम जैसे PUBG, Fortnite और ब्लू वेल गेम बच्चों पर इस कदर हावी हैं कि अपना सारा दिन इसी में गुजार देते हैं. इसकी सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि बच्चे जो गेम खेलते हैं उसे सच मान लेते हैं और यही उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है. लगातार मोबाइल चलाने की वजह से बच्चों का व्यवहार बहुत एग्रेसिव हो गया है और चिड़चिड़ापन बढ़ गया है. बच्चे समाज और परिवार से दूर होते चले जा रहे हैं और ये गेमिंग ऐप्स उन्हें अपनी लत का शिकार बना रही हैं. आइए अब जानते हैं कि कैसे इस मोबाइल गेमिंग ऐप की शुरुआत हुई थी और कहां तक फैला है इसका मार्केट.
कब हुई शुरुआत?
साल 1997 में सबसे पहले स्नेक नाम के मोबाइल गेम की शुरुआत हुई थी. इस गेम को 2017 में आए नोकिया के 3310 मॉडल में शामिल किया गया. शायद हम और आप में से कई लोगों ने इसे उस वक्त खेला भी हो. यह नोकिया फोन का पॉपुलर गेम था. धीरे-धीरे नोकिया का सिंपल सा स्नेक गेम तो कही पीछे रह गया और कुछ बड़े-बड़े गेमों ने इसकी जगह ले ली. गोमिंग इंडस्ट्री में साल 2019-20 में लगभग 40 % की ग्रोथ देखने को मिली. यह किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म, टेलीविजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ज्यादा थी. गेमिंग इंडस्ट्री की 86 % कमाई मोबाइल गेमिंग से आती है.
समय बिताने में सबसे आगे भारतीय
2021 में स्ट्रीम करने वाले मोबाइल गेम में फ्री फायर, PUBG और मोबाइल लीजेंड्स बैंग-बैंग कुछ पॉपुलर मोबाइल गेम हैं. रिपोर्ट की मानें तो 2021 में सिर्फ भारतीयों ने मोबाइल पर 70 करोड़ से ज्यादा घंटे बिताए. जबकि ग्लोबल लेवल पर लोगों ने कुल 3.80 लाख करोड़ घंटे से भी ज्यादा का समय बिताया. उस हिसाब से भारतीयों का ये आंकला विश्व स्तर पर कई अधिक है. भारत गेम खेलने के मामले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है.
कितना बड़ा है मार्केट?
मार्केट की बात करें तो अभी भारत में मोबाइल गेमिंग का लगभग 150 करोड़ डॉलर (करीब 12 हजार करोड़ रुपए) का मार्केट है. वहीं उम्मीद है कि साल 2025 के आते-आते यह 500 करोड़ डॉलर (37 हजार करोड़ डॉलर) तक पहुंच जाएगा. दुनियाभर में यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर पर गेमिंग स्ट्रीम को देखने के लिए लोगों ने हर हफ्ते 66 करोड़ घंटे बिताए. इसमें तीसरे नंबर पर केवल फ्री फायर पर लोगों ने 123 करोड़ घंटे बिताए.