
पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के खरौरी गांव के रहने वाले 38 वर्षीय किसान सुखविंदर सिंह पटवारी को जब समय पर शुगर मिल से गन्ने की कीमत नहीं मिली, तो उन्होंने कुछ अलग करने का फैसला किया. उन्होंने अपनी जमीन के पास, सिरहिंद रोड पर एक छोटा सा गन्ने के रस का ठेला शुरू कर दिया और यही उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया.
सुखविंदर एक जमींदार परिवार से आते हैं, इसलिए उन्हें यह चिंता थी कि अगर उन्होंने सड़क किनारे गन्ने का जूस बेचना शुरू किया तो परिवार और समाज के लोग क्या कहेंगे. उन्होंने पहले एक जूस मशीन और कुछ बर्तन खरीदे, लेकिन उन्हें दो महीने तक छिपाकर रखा.
एक दिन उन्होंने चुपचाप पूरा दिन जूस बेचा और ₹3,000 कमाए. जब उन्होंने यह कमाई अपने परिवार को दिखाई तो सब हैरान रह गए. हालांकि, परिवार को डर था कि गांववाले क्या कहेंगे. लेकिन सुखविंदर ने ठान लिया था कि लोग तो हमेशा कुछ ना कुछ कहेंगे, लेकिन हमें अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा.
शुरू किया पटवारी जूस बार
आज उनका “पटवारी जूस बार” एक सफल और पॉपुलर स्टॉल बन गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां एक समय उन्हें गन्ने के एक क्विंटल से 350 रुपये मिलते थे, आज वे उसी से 3,500 से 4,000 रुपये तक कमा रहे हैं, यानी करीब 9 गुना ज्यादा. उनके काम की शुरुआत एक छोटी सी झोपड़ी से हुई, फिर उन्होंने एक पुरानी ट्रॉली को स्टॉल में बदल दिया. अब वह और मॉडर्न जूस आउटलेट बनाने की योजना पर काम कर रह हैं. वे गन्ने के जूस में आंवला, पुदीना, नींबू और अदरक भी मिलाते हैं जिससे इसका स्वाद और स्वास्थ्य दोनों बेहतर हो जाते हैं. ग्राहकों को उनका यह तरीका बहुत पसंद आता है.
अपना काम करके बने आत्मनिर्भर
पहले सुखविंदर अपने 1.25 एकड़ के गन्ने से 450 क्विंटल तक मिल को भेजते थे. तब उन्हें न सिर्फ कतार में लगना पड़ता था, बल्कि पैसे भी किश्तों में और काफी देर से मिलता था. गन्ने की कीमत 350 रुपये प्रति क्विंटल होने पर भी कुल आमदनी करीब 1.5 लाख रुपये होती थी, लेकिन लागत निकालने के बाद मुनाफा कभी 1 लाख रुपये तक नहीं पहुंचता था. अब उसी गन्ने वे खुद अपने ग्राहकों के लिए जूस बनाते हैं और प्रति क्विंटल लगभग 2,000 रुपये का मुनाफा कमाते हैं.
कम ज़मीन, ज्यादा मुनाफा
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पहले वे 6 एकड़ में गेहूं, धान और गन्ना उगाते थे, जिससे सालाना आमदनी 6-6.5 लाख रुपये होती थी और शुद्ध मुनाफा 3.5-4 लाख रुपये. अब वे सिर्फ 3 कनाल (लगभग 0.37 एकड़) में गन्ना उगाते हैं, जो सिर्फ जूस बार के लिए इस्तेमाल होता है. यहां से वे 125 क्विंटल गन्ना निकालते हैं और जूस बेचकर 2.5 लाख रुपये कमाते हैं.
नए प्रोडक्ट्स की शुरुआत
जूस के अलावा, अब वे गन्ने से सिरका भी बनाते हैं और 80 रुपये प्रति लीटर में बेचते हैं. यह भी बहुत मांग में है. साथ ही उन्होंने ग्राहकों की मांग पर कीनू जूस, केले का शेक और गाजर-चुकंदर जैसे हेल्दी ड्रिंक्स भी शुरू कर दिए हैं. लेकिन गन्ने के जूस की मांग अब भी सबसे ज्यादा है. सुखविंदर खुद ही दुकान संभालते हैं और साल भर में सिर्फ कुछ खास मौकों पर ही बंद करते हैं. उनका सपना है कि वह जूस बार को पूरा फूड जॉइंट बनाएं, जिसमें वह अपनी जमीन पर उगाई गई चीजों से बने सारे व्यंजन परोसें.