पंजाब पुलिस अब संगरूर की महिलाओं के हाथ की बनी यूनिफॉर्म पहनने वाली है. संगरूर के अकालगढ़ गांव की महिलाएं पंजाब पुलिस के लिए वर्दी सिलाई कर रही हैं. जहां पुलिस कर्मियों को ₹1100 में पुलिस वर्दी मिल रही है. वहीं इन महिलाओं को एक बार सिलाई करने के ₹500 मिल रहे हैं. सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरे पंजाब में लेकर जा रही है.
महिलाओं की दी गई है हाइटेक मशीनें
अकालगढ़ गांव में पहल आजीविका होजरी के नाम से लोकल प्रशासन की ओर से एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इसमें सरकारी जगह पर महिलाएं इकट्ठी होकर कपड़े सिलाई का काम कर रही हैं. जिसमें वह स्कूलों की वर्दी और खासतौर पर इस बार पंजाब पुलिस के लिए वर्दी भी तैयार कर रही है. प्रशासन की ओर से इन महिलाओं को अत्याधुनिक हाईटेक मशीन सिलाई करने के लिए दी गई है जो घंटे का काम चुटकी में कर देती है.
वर्दी की संख्या के हिसाब से मिलते हैं पैसे
इस पहल के लिए एक ही छत नीचे अलग-अलग गांव की महिलाएं इकट्ठी होकर सरकारी स्कूलों और पंजाब पुलिस के लिए वर्दी तैयार कर रही हैं. संगरूर के गांव में सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाए गए हैं, जिन महिलाओं का उसमें नाम है वह वहां काम कर सकती हैं. महिलाओं को हर वर्दी के हिसाब से सिलाई करने के पैसे मिलते हैं. साथ ही जो मशीन है वह प्रशासन की ओर से लगाई गई है. इन मशीनों की कीमत 30000 से लेकर 250000 रुपए तक है. इन मशीनों पर काम कर महिलाएं 10000 से लेकर 20000 पर प्रति महीना कमा लेती हैं. अब इसी प्रोजेक्ट को पूरे पंजाब में लागू किया जाएगा जिसके चलते महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं.
एक वर्दी के मिलते हैं 500 रुपये
पहल होजरी में पुलिस वर्दी की सिलाई करने वाली जसबीर कौर ने बताया वह संगरूर के जखेपल गांव की रहने वाली हैं. उनके पति ड्राइवर हैं और बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. वह जहां पर सिलाई का काम करती हैं पहले बच्चों की यूनिफॉर्म और अब पुलिस के लिए वर्दी सिल रही हैं. वह गांव में बने सेल्फ हेल्प ग्रुप में काम करती थीं, जिसके चलते अब वे एक महीने में 11 से 12 हजार कमा लेती हैं. पुलिस की एक वर्दी सिलाई करने के लिए उन्हें ₹500 मिलते हैं.
गांव की महिलाएं हैं खुश
गांव अकालगढ़ की रहने वाली जसबीर कौर ने भी बताया कि पहले वह सेल्फ हेल्प ग्रुप में अपने घर में ही काम करती थी. उस समय वह ₹5000 महीना कमा लेती थीं. लेकिन उसके बाद जब पता चला कि सरकार की ओर से अत्याधुनिक मशीन जहां पर लगाई गई हैं वहां भी बैठकर काम कर सकते हैं, तो वे वहीं आ गईं. अब मैं 18 से ₹20000 प्रति महीना कमा लेती हूं और जहां पर अभी हमें पंजाब पुलिस की वर्दी सिलाई करने का एक बड़ा ऑर्डर मिला हुआ है. हमें एक वर्दी के ₹500 मिलते हैं और जहां पर हम इसके साथ-साथ स्कूल के बच्चों की वर्दी भी सिलते हैं.
वर्दी को बटन लगाने का काम अमरदीप कौर करती हैं. वे बताती हैं कि इससे उनकी अच्छी कमाई हो जाती है.
पुलिस को भी मिल रही है सस्ती और अच्छी वर्दी
जो महिलाएं पंजाब पुलिस के लिए यूनिफॉर्म तैयार कर रही हैं वहीं तैयार हुई यूनिफॉर्म का ट्रायल देने आए पुलिस कांस्टेबल गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि उन्हें अब कम दाम में वर्दी मिल रही है. वे कहते हैं कि पहले हमें सरकार की ओर से ₹1100 एक जोड़ी यूनिफॉर्म मिलती थी, जिसमें हमें खुद कपड़ा लेकर सिलाई करवाना पड़ता था. हमारी एक यूनिफॉर्म 3000 से ₹3500 में तैयार होती थी, लेकिन आज हमें ये कम पैसों में मिल रही है. हमें सिर्फ ₹1100 में ही यह यूनिफॉर्म तैयार होकर मिली है. इसमें सिलाई से लेकर कपड़ा तक सभी इन्हीं का है और हमारा भी ₹2500 का फायदा हुआ है. साथ ही इन महिलाओं को भी रोजगार मिला है.
2022 से हुई थी प्रोजेक्ट की शुरुआत
पहल आजीविका होजरी का निरीक्षण करने आए जिले के डिप्टी कमिश्नर जितेंद्र जोरवाल ने पुलिस यूनिफॉर्म तैयार करने वाली महिलाओं से बात की. साथ ही उन्होंने पुलिस कर्मियों से भी बात की. उन्होंने बताया कि हमने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2022 में संगरूर से की थी. जहां पर हमने स्कूलों के बच्चों की यूनिफॉर्म तैयार की थी. पंजाब के मुख्यमंत्री का कहना था कि गांव की महिलाओं को रोजगार दिया जाए. इसलिए हमने सेल्फ हेल्प ग्रुप चलाए. इसके बाद पहल होजरी नाम के प्रोजेक्ट की शुरुआत संगरूर से की. इस बार हमने पंजाब पुलिस के लिए वर्दी तैयार करने का फैसला लिया है.
(बलवंत सिंह विक्की की रिपोर्ट)