क्वांट म्यूचुअल फंड (Quant Mutual Fund) ने सेबी (Sebi) की जांच में सहयोग की बात कही है. फंड हाउस ने कहा कि वह सेबी को सभी जरूरी डेटा मुहैया कराएगा और पारदर्शिता बनाए रखेगा. इससे पहले सेबी ने फ्रंट-रनिंग के संदेह में क्वांट म्यूचुअल फंड (Quant Mutual Fund) के ठिकानों पर छापेमारी की थी. जिसमें सभी डिजिटल सबूत जब्त कर लिए थे. बीते सप्ताह इस मामले में क्वांट डीलर्स और मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ भी की गई थी.
क्वांट ने अपने इंवेस्टर्स को भेजे नोट में कहा, 'हम अपने सभी हितधारकों के साथ पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन कुछ बिंदुओं को स्पष्ट कर रहे हैं. हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि क्वांट म्यूचुअल फंड एक विनियमित इकाई है, और हम किसी भी समीक्षा के दौरान नियामक के साथ सहयोग करने के लिए हमेशा पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. हम जरूरत के मुताबिक सेबी जरूरी डेटा उपलब्ध कराते रहेंगे. क्वांट म्यूचुअल फंड देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाले और अधिकांश योजनाओं में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंड हाउसों में से एक बनकर उभरा है. क्वांट म्यूचुअल फंड में आपका विश्वास हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है. हम 80 लाख से अधिक फोलियो और 93,000 AUM के आत्मविश्वास, विश्वास और ताकत की सराहना करते हैं.'
सेबी को क्यों हुआ संदेह
सेबी की निगरानी प्रणाली के अलर्ट के मुताबिक कुछ संस्थाओं के लेनदेन क्वांट म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के लेनदेन से काफी मेल खा रहे हैं, जिससे जानकारी लीक होने का शक पैदा हो गया है. जांच से जुड़े एक सूत्र ने बताया, सेबी की निगरानी प्रणाली ने अलर्ट जारी किया कि संदिग्ध संस्थाओं के लेनदेन क्वांट म्यूचुअल फंड के लेनदेन से मेल खा रहे हैं. इसलिए, सेबी को संदेह है कि क्वांट के किसी डीलर या फंड के ऑर्डर संभालने वाली ब्रोकिंग फर्म ने ट्रेड संबंधी जानकारी लीक की होगी.
पोर्टफोलियो में शामिल हैं ये शेयर
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड
जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
भारतीय जीवन बीमा निगम
अडानी पावर लिमिटेड
पंजाब नेशनल बैंक
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
क्या है क्वांट म्यूचुअल फंड
क्वांट म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) की शुरुआत संदीप टंडन ने की थी. इस फंड को साल 2017 में सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी से लाइसेंस मिला था. यह देश का तेजी से बढ़ने वाला म्यूचुअल फंड है. इसमें लाखों लोग सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए पैसे लगाते हैं. अभी इस फंड हाउस की एसेट्स 90 हजार करोड़ रुपये है.
सेबी ने अप्रैल 2024 में म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी थी, जिसका उद्देश्य फ्रंट-रनिंग और धोखाधड़ी वाले लेनदेन पर अंकुश लगाने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना था. ये नियम ऐसी गतिविधियों को रोकने और म्यूचुअल फंड बाजार की अखंडता सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं. सेबी फ्रंट रनिंग को खत्म करने के लिए म्यूचुअल फंडों पर आक्रामक तरीके से कार्रवाई कर रही है.
क्या होती है फ्रंट रनिंग?
फ्रंट रनिंग का मतलब अवैध तरीके से शेयरों में खरीदी-बिक्री करने से है. फ्रंट रनिंग (Front Running) तब होती है जब किसी ब्रोकर के पास बड़ी मात्रा में खरीदे या बेचे जाने वाले स्टॉक की अंदर की जानकारी हो और वो उसका फायदा उठाने के लिए ट्रेड करता हो. यानी ब्रोकर स्टॉक से संबधित जानकारी पहले खुद देता है उसके बाद उसी के आधार पर फायदा कमाता है. फ्रंट रनिंग भारत में अवैध है. फ्रंट-रनिंग इसलिए अवैध मानी जाती है क्योंकि यह प्रॉफिट कमाने के लिए निजी जानकारी का लाभ उठाता है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है.
आसान भाषा में समझें तो फ्रंट रनिंग का मतलब है अंदर की जानकारी निकालकर उसका फायदा उठाने के लिए शेयर की खरीद बिक्री करना.
गैरकानूनी धंधा है Front Running
स्टॉक मार्केट में Front Running का मतलब ये है मार्केट से आगे रन करना. फ्रंट रनिंग गैरकानूनी धंधा है, जिसमें कोई ब्रोकर बड़े ऑर्डर से पहले गोपनीय सूचनाओं के आधार पर किसी कंपनी के शेयर खरीदता या बेचता है, ताकि वह प्राइस मूवमेंट से मुनाफा कमा सके. फ्रंट रनिंग कई प्रकार की होती है. अगर आप ब्रोकर्स की रिसर्च फॉलो करते हैं तो पहले विचार कर लें कि वो जानकारी कितनी सही है. किसी भी स्टॉक में आंख बंद करके पैसा मत लगाएं.