यदि आप बैंकों में पैसे जमा करके सालों से भूल गए हैं तो यह खबर आपके काम की है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से देश के बैंकों में बिना दावे वाली रकम के मालिकों को खोजने के लिए 100 दिनों का अभियान चलाएगा. इस अभियान को 100 डेज-100 पेज नाम दिया गया है. देश के सभी बैंक 1 जून 2023 से बिना दावे वाली रकम के मालिकों को खोजने के लिए अभियान शुरू करेंगे.
वित्त मंत्री ने दिए थे निर्देश
हाल ही में एक बैठक के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिना दावे के रकम को लेकर नियामकों से कहा था कि वे बैंकिंग, शेयर, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड या इंश्योरेंस के रूप में जहां भी बिना दावे वाली रकम पड़ी है, उसके निपटारे के लिए विशेष अभियान संचालित करें.
खातों में पड़े ऐसे रुपए माने जाते हैं लावारिस
जिस भी बचत या चालू खाता को 10 साल तक नहीं चलाया जाता है या कोई टर्म जमा का खाता है जिसमें 10 साल तक कोई दावा नहीं करता है, ऐसे खातों में पड़ी रकम को लावारिस या बिना दावे वाली रकम माना जाता है. बैंक ऐसे ग्राहकों से संपर्क करने की कोशिश करते हैं. इसके बावजूद अगर कोई दावेदार नहीं मिलता तो यह रकम एक विशेष खाते में चली जाती है.
किस बैंक में बिना दावे के कितने जमा हैं रुपए
सरकारी बैंकों में करीब 35,000 करोड़ रुपए की रकम ऐसी है जिस पर किसी ने अपना दावा नहीं किया है. सरकारी बैंकों ने इस पैसे को रिजर्व बैंक को ट्रांसफर कर दिया है. एसबीआई ने 8,086 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक ने 5,340 करोड़ रुपए, केनरा बैंक ने 4,558 करोड़ रुपए और बैंक ऑफ बड़ौदा ने 3,904 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं. इन रुपए के कोई दावेदार नहीं हैं.
एलआईसी के पास भी पड़े हैं ऐसे पैसे
आरबीआई के मुताबिक तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बैंकों में बिना दावे वाली रकम सबसे ज्यादा है. जीवन बीमा कंपनियों में 31 मार्च, 2021 तक 22,043 करोड़ रुपए और गैर जीवन बीमा कंपनियों के पास 1,241.81 करोड़ रुपए बिना दावे के पड़े हैं. सिर्फ एलआईसी के पास बिना दावे के 21,538.93 करोड़ रुपए पड़े हैं.