
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 35 आधार अंकों (bps) से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी घोषणा की. आरबीआई की नीतिगत दर अब अगस्त 2018 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है.
पांचवी बार हुई बढ़ोतरी
इस वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक द्वारा यह पांचवीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी है. इससे पहले, आरबीआई ने मई में ऑफ-साइकिल बैठक में रेपो दर में 40 बीपीएस और जून, अगस्त और सितंबर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी की थी.
अधिकांश बाजार विशेषज्ञों ने उम्मीद की थी कि एमपीसी इस बैठक में रेपो दर में 35 बीपीएस की वृद्धि करेगी ताकि बढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू पाया जा सके जो अक्टूबर में सीधे 10वें महीने के लिए 6 प्रतिशत के स्तर से ऊपर बनी हुई है.
इस वित्त वर्ष में 6.8 फीसदी जीडीपी का अनुमान
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी अनुमान जताया है. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने पहले 7 फीसदी का अनुमान जताया था. दास के मुताबिक, कई तरह की ग्लोबल चुनौतियां के बावजूद भारत की ग्रोथ रेट संतुलित है. लेकिन डिमांड में बढ़ोतरी हुई है, खासकर ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ी है, जिससे अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिल रहा है.
आरबीआई गवर्नर ने आगे घोषणा की कि स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर को 6.00 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर को 6.50 प्रतिशत एडजस्ट किया गया है. अपने भाषण के दौरान, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि नीतिगत दर उदार बनी हुई है और नोट किया कि मुख्य मुद्रास्फीति स्थिरता का संकेत दे रही है