भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक नया हल्का और पोर्टेबल पेमेंट और सेटेलमेंट सिस्टम (LPSS) बना रहा है. ये सिस्टम पारंपरिक तकनीकों से स्वतंत्र होगा और इसे कम कर्मचारियों की संख्या के साथ कहीं से भी संचालित किया जा सकेगा. न्यूनतम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हुए ये पेमेंट सिस्टम "बंकर-जैसा" हल्का और पोर्टेबल होगा. इसे तभी सक्रिय किया जाएगा जब इसकी जरूरत होगी, जैसे प्राकृतिक आपदा या दूसरी आपदाजनक घटना के दौरान. गौरतलब है कि RBI ने 30 मई को 2022-23 की अपनी एनुअल रिपोर्ट पब्लिश की है. इसी में आरबीआई ने एक लाइटवेट और पोर्टेबल पेमेंट सिस्टम का जिक्र किया है.
अभी कौन-कौन से पेमेंट सिस्टम हैं?
ये लाइटवेट पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम कम से कम संसाधन के साथ भी काम करेगा. इसकी मदद से यूजर्स को पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा मिलेगी. हालांकि, RBI ने फिलहाल ये नहीं बताया है कि ये सिस्टम लॉन्च कब किया जाएगा.
भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) जैसे पेमेंट सिस्टम बड़ी मात्रा में लेनदेन को संभालने और निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. हालांकि, ये सिस्टम प्राकृतिक आपदाओं या युद्ध जैसी स्थितियों के दौरान बंद हो सकते हैं. जो अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है.
आपदा जैसी स्थिति के लिए तैयार रहें
अचानक से आने वाली अस्थिर स्थितियों के लिए तैयार रहने के महत्व को समझते हुए, RBI ने LPSS को एक हल्के और पोर्टेबल पेमेंट सिस्टम के रूप में लॉन्च करने का सोचा है. एलपीएसएस को न्यूनतर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया है, केवल जरूरत पड़ने पर ही सक्रिय होता है. RBI के मुताबिक, ये सिस्टम किसी भी तरह की परिस्थिति में देश के पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम को रुकने नहीं देगा. और इसी तरह इकॉनमी की लिक्विडिटी पाइपलाइन को बचाए रखेगा साथ ही जरूरी पेमेंट सर्विस में रुकावट नहीं आएगी.