अब भारतीयों को इंटरनेशनल ट्रेड करते हुए कोई परेशानी नहीं होगी, वे इसे रुपये में कर सकेंगे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने ग्लोबल ट्रेड ग्रुप्स की दिलचस्पी को देखते हुए वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की अनुमति दी है. इसके बारे में बताते हुए सरकार ने बुधवार को कहा कि रिजर्व बैंक ने लोकल करेंसी को बढ़ावा देने के लिए देश में कार्यरत 20 बैंकों को 22 देशों के साझेदार बैंकों के साथ वोस्ट्रो अकाउंट (एसआरवीए) खोलने की अनुमति दी है.
सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई के साथ किया है समझौता
ट्रेड सेटलमेंट के लिए वोस्ट्रो अकाउंट (Vostro Account) की मदद ले सकेंगे और रुपये में ये ट्रेड कर सकेंगे. लोकसभा में एक लिखित उत्तर में, वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने बताया कि 15 जुलाई को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
22 देशों में खुलेंगे वोस्ट्रो अकाउंट
इससे निर्यातकों और आयातकों को अपनी-अपनी लोकल करेंसी में बिल बनाने और पेमेंट करने में मदद मिलेगी. इससे फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपये की वैल्यू भी बढ़ेगी. 23 जुलाई तक, भारत के 20 बैंकों को बांग्लादेश, बेलारूस, बोत्सवाना, फिजी, जर्मनी, गुयाना और इज़राइल सहित 22 देशों के भागीदार बैंकों के वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की अनुमति दी गई है. इसमें दूसरे देश हैं कजाकिस्तान, केन्या, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, रूस, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, तंजानिया, युगांडा और यूनाइटेड किंगडम.
क्या है वोस्ट्रो अकाउंट?
"वोस्ट्रो" लैटिन शब्द "वोस्टर" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "तुम्हारा." यानी यह भारत में रखे गए विदेशी बैंक के अकाउंट को दिखाता करता है.वोस्ट्रो अकाउंट एक ऐसा अकाउंट है जिसे घरेलू बैंक (Domestic Bank) किसी दूसरे देश में विदेशी बैंकों के रूप में रखते हैं. लेकिन इसमें घरेलू बैंक की ही मुद्रा या करेंसी होती है. घरेलू बैंक इसका उपयोग अपने उन ग्राहकों को इंटरनेशनल बैंकिंग सर्विस देने के लिए करते हैं. ये वो लोग होते हैं जिनकी ग्लोबल बैंकिंग जरूरतें होती हैं. यह एक तरह की करेस्पोंडेंट बैंकिंग की एक अलग ब्रांच है जिसमें एक बैंक (या एक मध्यस्थ) शामिल होता है जो वायर ट्रांसफर की सुविधा देता है, व्यावसायिक लेनदेन करता है, सेविंग्स रखता है और दूसरे बैंक की ओर से दस्तावेज इकट्ठा करता है. यह इंटरनेशनल ग्राहकों को सुविधा देता है की वे आसानी से विदेश में रह कर भी रुपये में ट्रेड कर सकें.
क्या है वोस्ट्रो अकाउंट खोलने का क्राइटेरिया?
इसमें जो भी भागीदार देश होते हैं उनके बैंकों को वोस्ट्रो अकाउंट खोलने के लिए ऑथोराइज़्ड डोमेस्टिक डीलर बैंक से संपर्क करना होता है. इसके बाद घरेलू बैंक अपैक्स बैंकिंग रेगुलेटर से मंजूरी मांगता है. हालांकि, इसमें यह सुनिश्चित करना घरेलू बैंकों की जिम्मेदारी होती है कि कोरेस्पोंडेंट FATF की लिस्ट में न हो. अधिकृत बैंक एक ही देश के अलग-अलग बैंकों के लिए एक से ज्यादा वोस्ट्रो अकाउंट खोल सकते हैं.
वोस्ट्रो बैंक अकाउंट कैसे काम करते हैं?
-जब अलग-अलग देशों के दो बैंक कोरेस्पोंडेंट बैंकिंग में आना चाहते हैं तो वे वोस्ट्रो अकाउंट खोलते हैं. विदेशी बैंक भारत में अपने ग्राहकों के लिए लेनदेन की सुविधा और सेवाएं प्रदान करने के लिए एक भारतीय बैंक (कोरेस्पोंडेंट बैंक) के साथ एक वोस्ट्रो अकाउंट खोलता है.
-डिपॉजिट और ट्रांजेक्शन: विदेशी बैंक अपने पैसे को कोरेस्पोंडेंट बैंक के वोस्ट्रो अकाउंट में जमा करता है. यह अक्सों विदेशी बैंक को भारत में अलग-अलग वित्तीय गतिविधियां करने की अनुमति देता है. जैसे पेमेंट करना, व्यापार करते हुए ट्रांजेक्शन करना, भारत में अपने ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करना.
-कोरेस्पोंडेंट बैंकिंग सर्विस: कोरेस्पोंडेंटबैंक विदेशी बैंक के लिए एक तरह के लोकल एजेंट के रूप में काम करता है. यह अलग-अलग कोरेस्पोंडेंट बैंकिंग सेवाएं प्रदान करता है, जैसे चेक क्लियर करना, ट्रांजेक्शन करना, फाइनेंस ट्रेडिंग करना आदि.
भारतीयों को क्या फायदा होगा?
भारत में वोस्ट्रो अकाउंट वाले विदेशी बैंक भारतीय निवेशकों को ज्यादा निवेश के अवसर प्रदान कर सकते हैं. इससे वे ग्लोबल इन्वेस्टमेंट मार्केट तक आसानी से पहुंच सकते हैं और इससे उनके पोर्टफोलियो में भी कई चीजें ऐड हो जाएंगी. जिसका फायदा उन्हें ट्रेडिंग में मिल सकता है. इसके अलावा, वोस्ट्रो अकाउंट इंटरनेशनल सर्विस तक भारतीय लोगों की पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी. इसमें विदेशी करेंसी में ट्रांजेक्शन, व्यापार करते हुए आर्थिक मदद, और इंटरनेशनल पैसे के लाभ शामिल होते हैं. वोस्ट्रो अकाउंट अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाने का काम भी करेगा. इसके माध्यम से इंटरनेशनल पेमेंट और भी आसान तरीके से की जा सकेगी.