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आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश, बैंक जल्द कर लें जोखिम से बचाव के उपाय

RBI ने कहा है कि ईसीएआई द्वारा प्रकटीकरण के बिना बैंक ऋण रेटिंग बैंकों द्वारा पूंजी गणना के लिए योग्य नहीं होगी. बैंक ऐसे एक्सपोजर को अनारक्षित मानेंगे. जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)
हाइलाइट्स
  • इसका मकसद विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है.

  • संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे

भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिए अपने कुछ दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. इसका मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि बैंकों को उन सभी प्रतिपक्षकारों के बिना हेज्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोजर का आकलन करने की आवश्यकता होगी, जिनके पास किसी भी मुद्रा का एक्सपोजर है.

एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.

इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 11% गिरा है और हाल के हफ्तों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आरबीआई ने कहा कि बैंकों को कम से कम सालाना सभी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एक्सपोजर (एफसीई) का पता लगाना होगा. संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे. आरबीआई के अनुसार यदि किसी इकाई के यूएफसीई से संभावित नुकसान 75% से अधिक है, तो बैंकों को उस इकाई के लिए कुल जोखिम भार में 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि प्रदान करने की आवश्यकता होगी.

आरबीआई ने कहा कि "जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ये बैंकिंग प्रणाली से लिए गए ऋणों को चुकाने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं और उनके डिफ़ॉल्ट की संभावना को बढ़ा सकते हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.''