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रेस्टोरेंट या होटल बिना आपकी मर्जी के नहीं वसूल सकते Service Charge, पढ़िए क्या कहती है इससे जुड़ी गाइडलाइन

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के मुताबिक, सर्विस चार्ज अनिवार्य नहीं है, ये ग्राहक की मर्ज़ी पर निर्भर है. साथ ही ये पूरी तरह से ग्राहक पर निर्भर करता है कि वह वेटर को कोई टिप देना चाहता है या नहीं.

Service charge Guidelines Service charge Guidelines
हाइलाइट्स
  • अप्रैल 2017 में सर्विस चार्ज को लेकर की थी गाइडलाइन जारी

  • कहीं भी ऑर्डर करने से पहले रखें कई बातों को ख्याल

देशभर में किसी भी रेस्टोरेंट और होटल में खाने-पीने के बिल के साथ अगर वे आपसे सर्विस चार्ज मांगते हैं तो यह आपकी मर्जी पर है कि आप उस सर्विस चार्ज को देना चाहते हैं या नहीं. रेस्तरां मालिक ग्राहक की मर्ज़ी के बगैर इस सर्विस चार्ज को लेता है, तो वह ग़ैरक़ानूनी है. सोमवार को एक ऐसे ही एक मामले में ग्राहक से ज़बरन सर्विस चार्ज लेने पर कंज्यूमर फोरम ने रेस्तरां मालिक को दोषी ठहराया है. 

कोर्ट ने लगाया रेस्टोरेंट पर जुर्माना 

दरअसल, ये मामला है हैदराबाद का, जहां कंज्यूमर फोरम ने एक रेस्तरां को 3000 रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया है. उस रेस्तरां ने पिछले साल एक ग्राहक से सर्विस टैक्स के रूप में ₹164.95 लिए थे, और साथ ही कहा है कि वे ग्राहक को भुगतान के तौर पर ₹3,000 का जुर्माना भरें और इसके साथ जो सर्विस चैक्स लिया है उसे भी वापिस करें.   बता दें, ग्राहक की शिकायत थी कि रेस्टोरेंट मैनेजर को सर्विस चार्ज दिशा-निर्देशों की जानकारी दिखाने के बाद भी उसे सर्विस चार्ज देने के लिए मजबूर किया गया था.

अप्रैल 2017 में सर्विस चार्ज को लेकर की थी गाइडलाइन जारी

आपको बताते चलें, अप्रैल 2017 में कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय ने सर्विस चार्ज को देखते हुए एक गाइडलाइन जारी की थी जिसमें कहा गया कि सर्विस चार्ज अनिवार्य नहीं है, ये ग्राहक की मर्ज़ी पर निर्भर है. साथ ही इसमें कहा गया था कि खाने-पीने के बिल में लेवी या सर्विस चार्ज वैध नहीं है. इसे देना है या नहीं ये पूरी तरह से ग्राहक की इच्छा पर निर्भर करता है. वह इस चार्ज को देना चाहे तो दे सकता है और न देना चाहे तो न दे. यह एक अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस है.

अगर कोई जबरदस्ती इस चार्ज को लेता है तो आप उसके खिलाफ कंज्यूमर फोरम जा सकते हैं.

क्या कहती है सर्विस चार्ज की गाइडलाइंस

-प्रोडक्ट या खाने के सामने जो  कीमत लिखी है उसमें सर्विस और उस सामान, दोनों का प्राइस होना चाहिए. यानी खाने की जो भी कीमत लिखी हुई है उसमें खाने की कीमत के साथ-साथ सर्विस की कीमत भी जुडी हुई है. 

-जब ग्राहक खाने के आइटम की कीमत देखता है तो उसमें टैक्स भी लिखा होता है और इसे ही देखकर  कंज्यूमर ऑर्डर करता है. लेकिन इसके अलावा अगर ग्राहक से अलग से और कीमत वसूली जा रही है   और बिना उसकी सहमति के है तो वो अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस है. 

- कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के मुताबिक, ये पूरी तरह से ग्राहक पर निर्भर करता है कि वह वेटर को कोई टिप देना चाहता है या नहीं. कई बार हम देखते हैं कि कंज्यूमर बिल में लगे सर्विस चार्ज देने के बाद भी वेटर को अलग से टिप देता है. 

-रेस्टोरेंट के बिल में यह साफ-साफ सर्विस चार्ज लिखा होना चाहिए. उसके आगे एक कॉलम खाली होना चाहिए जिसमें कंज्यूमर खुद भरे कि वह इसे देना चाहता है या नहीं. 

- कंज्यूमर को यह पूरा अधिकार है कि वह अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस में उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है. 

कहीं भी ऑर्डर करने से पहले रखें इन बातों को ख्याल

1. खाना ऑर्डर करने से पहले यह देख लें कि मेन्यू में सर्विस चार्ज का जिक्र है या नहीं. अगर यह उचित नहीं है तो इसके बारे में रेस्टोरेंट से पूछें. 

2. यदि रेस्तरां आपकी सहमति के बिना या आपको दी गई पूर्व सूचना के बिना सर्विस टैक्स ले रहा है, तो भुगतान करने से इंकार कर दें या क्षेत्राधिकार वाले उपभोक्ता फोरम में उस रेस्तरां के खिलाफ शिकायत दर्ज करें.

3. इस संबंध में किसी भी सहायता के लिए आप राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन - 1800-11-4000 पर संपर्क कर सकते हैं.