

हिसार के आजाद नगर में रहने वाले नवीन सिंधु और प्रवीन सिंधु नाम के दो पढ़े-लिखे किसान भाइयों ने घर के एक कमरे में ऐरोफोनिक तकनीक से केसर की खेती कर पूरे देश के किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है. ये दोनों भाई पिछले 6 सालों से कमरे में ही केसर उगा रहे हैं, और अब तक 100 से ज्यादा युवाओं को इसकी फ्री ट्रेनिंग भी दे चुके हैं.
नवीन और प्रवीन ने अपने घर की छत पर बने 14x10 फीट के कमरे में एक लैब तैयार की है जहां वो साल में तीन महीने केसर (saffron) की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि एक बार की फसल से लगभग तीन किलो तक शुद्ध केसर तैयार होती है, जिसकी बाजार में कीमत साढ़े पांच लाख रुपये प्रति किलो तक है.
इनका तैयार किया गया केसर कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश और भारत के कई राज्यों में सप्लाई होता है. इन्होंने साफ किया कि ये 100% प्योर केसर तैयार करते हैं, जिसकी पहचान यह है कि पानी में डालने पर इसका रंग धीरे-धीरे पीला होता है और इसका स्वाद कड़वा होता है.
कौन हैं ये किसान भाई?
नवीन सिंधु ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. प्रवीन सिंधु ने बीटेक (B.Tech) किया है. दोनों भाइयों ने इंटरनेट और यूट्यूब के जरिए ये जानकारी हासिल की कि गर्म इलाकों में भी केसर की खेती की जा सकती है. इसके बाद उन्होंने ऐरोफोनिक पद्धति को अपनाया, जो एक आधुनिक खेती तकनीक है, जिसमें मिट्टी की बजाय हवा और पानी के जरिए पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं.
ऐसे होती है ऐरोफोनिक केसर की खेती
बाजार में बिखरती खुशबू और कमाई की बौछार
प्रवीन सिंधु बताते हैं कि एक बार में जब फसल तैयार होती है, तो उससे 3 किलो केसर तैयार होती है. केसर पट्टी (पीला हिस्सा)- ₹20,000 प्रति किलो, फूल- ₹2,500 से ₹3,000 प्रति किलो. बता दें, असली केसर की पूंछ होती है, और फूल का इस्तेमाल मोगरे की तरह भी किया जाता है.
अब तक 100 से ज्यादा युवाओं को दे चुके हैं ट्रेनिंग
दोनों भाइयों का कहना है कि अगर कोई युवा किसान इस तकनीक को अपनाता है, तो वह साल में ₹10 से ₹20 लाख तक कमा सकता है. उन्होंने अब तक देशभर के 100 से अधिक युवाओं को मुफ्त ट्रेनिंग दी है. अगर कोई युवा किसान केसर की खेती सीखना चाहता है तो वो उनसे संपर्क कर सकता है
(प्रवीण कुमार की रिपोर्ट)