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Microsoft में कर्मचारी करते हैं कम काम, 85% मैनेजर्स का यही है मानना, सीईओ Satya Nadella ने इंटरव्यू में और क्या-क्या कहा?

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ (CEO) सत्या नडेला (Satya Nadela) ने बताया है कि वर्तमान में प्रोडक्टिविटी पैराडॉक्स कंपनी को प्रभावित कर रही है.

Satya Nadella Satya Nadella
हाइलाइट्स
  • 85% मैनेजर मानते हैं कि कर्मचारी मेहनत नहीं करते

  • लीडरशिप के लिए आशावादी और ऊर्जावान होना जरूरी

मैनेजर्स और कर्मचारियों के बीच सोच का अंतर तो हमेशा से जगजाहिर है. नौकरीपेशा लोगों की दिली ख्वाहिश होती है कि कोई उनकी माइक्रोमैनेजिंग न करे. एक तरफ जहां कंपनी को लगता है कर्मचारी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं तो वहीं कर्मचारी पहले से ही खुद को काम के बोझ से दबा हुआ समझते हैं.

इस बारे में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ (CEO) सत्या नडेला (Satya Nadela) ने भी बात की है. उन्होंने बताया है कि वर्तमान में प्रोडक्टिविटी पैराडॉक्स कंपनी को प्रभावित कर रही है. नडेला ने इस प्रोडक्टिविटी पैराडॉक्स को दूर करने के लिए Data-driven अप्रोच पर जोर दिया. जब बड़ा निवेश करने के बावजूद, प्रोडक्टिविटी में वृद्धि न हो या बहुत कम वृद्धि हो तो इसे प्रोडक्टिविटी पैराडॉक्स कह सकते हैं. इसे सोलो पैराडॉक्स भी कहा जाता है. 

85% मैनेजर मानते हैं कि कर्मचारी मेहनत नहीं करते
लिंक्डइन के सहसंस्थापक रीड हॉफमैन (Reid Hoffman) से बातचीत में नडेला ने कहा कि 85% मैनेजर मानते हैं कि कर्मचारी पर्याप्त मेहनत नहीं करते हैं. जबकि इसके विपरीत कर्मचारियों का मानना है कि वो जरूरत से ज्यादा काम कर रहे हैं.

इमोशनल इंटेलिजेंस बॉस के लिए सबसे जरूरी गुण
नडेला EQ यानी इमोशनल इंटेलिजेंस को बॉस के लिए सबसे जरूरी गुण मानते हैं. नडेला ने कहा, यह असली डेटा है! हमारे यहां यह विरोधाभास है कि आप इन चीजों को दो अलग-अलग तरीकों से कैसे देख सकते हैं और मेरे लिए इसका एकमात्र तरीका यह है कि आपको डेटा का इस्तेमाल करना होगा. सिर्फ एक तरह की राय रखने से कोई मदद नहीं मिलने वाली है.

Microsoft
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ऐसे दूर हो सकते हैं मैनेजर और एम्पलॉई के बीच मतभेद
प्रोडक्टिविटी पैराडॉक्स को दूर करने के लिए लीडर्स को गोल और क्लियैरिटी के साथ काम करना चाहिए. बतौर लीडर हमें यह सीखना होगा कि आप जो आउटपुट चाहते हैं, उसमें क्लियैरिटी कैसे लाएं. क्लियैरिटी लाने के लिए क्या किया जा सकता है और फिर इसका इस्तेमाल करके यह देखना कि यह ठीक से काम कर रहा है या नहीं. इसके बाद ही मानक (norms) बनाने चाहिए. इस नजरिए का मकसद मैनेजर और एम्पलॉई के बीच आ रहे सोच के अंतर को दूर करना है.

लीडरशिप के लिए आशावादी और ऊर्जावान होना जरूरी
नडेला ने आज के लीडर्स में सॉफ्ट स्किल के महत्व पर भी जोर डाला. वर्क एनवायरमेंट को बदलने के लिए ये बेहद जरूरी है. हर बात पर निराश होना आसान है, लेकिन असली लीडर वो है जो चीजों में स्पष्टता लाए, एनर्जी लाए, परेशानियों को दूर करे और किसी भी परिस्थिति में खुद को ढाल सके. उनका मानना है कि लीडरशिप के लिए आशावादी होना और ऊर्जावान होना बेहद जरूरी है.

मैनेजर मोटिवेट करने वाला होना चाहिए
इसी तरह के निष्कर्ष Gallup के एक सर्वे में भी सामने आए थे. इसमें कहा गया था कि कोई भी एम्पलॉई कितना अच्छा या बुरा काम करेगा, यह 70% इस बात पर निर्भर करता है कि उसका बॉस कैसा है. वह उससे किस तरह काम लेता है. Towers Watson की रिसर्च बताती है कि अगर मैनेजर मोटिवेट करने वाला होता है तो एम्पलॉई का वर्क एंगेजमेंट 91% तक बढ़ जाता है.