हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) को गर्भवती महिलाओं के लिए अपने नए नियमों के कारण सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद SBI ने प्रेग्नेंट महिला कैंडिडेट्स की भर्ती को लेकर नियमों में किए गए बदलाव पर रोक लगा दी है. SBI ने अपनी उन गाइडलाइंस को वापस ले लिया है, जिसमें कहा गया था कि तीन महीने से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को नियुक्ति के लिए अनफिट समझा जाएगा.
हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भर्ती से जुड़े नियमों में बदलाव करते हुए तीन महीने से ज्यादा की प्रेग्नेंट महिलाओं को टेम्पररी अनफिट बताया था. बैंक ने कहा था कि प्रेग्नेंट महिलाओं को डिलिवरी के चार महीने के अंदर बैंक ज्वॉइन करने की परमिशन दी जा सकती है. बैंक के इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी. इससे पहले एसबीआई में नियुक्ति के लिए छह महीने तक की गर्भवती महिलाओं को योग्य समझा जाता था. हालांकि, उन्हें डॉक्टर के सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती थी. लेकिन 31 दिसंबर को बैंक ने ऐलान किया कि तीन महीने से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को सर्विस के लिए अस्थाई तौर पर अनफिट माना जाएगा. एसबीआई का कहना था कि ऐसे आवेदक बच्चो को जन्म देने के चार महीने के अंदर ज्वॉइन कर सकते हैं.
SBI ने जारी किया स्टेटमेंट
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘SBI ने बैंक में नियुक्ति से जुड़े फिटनेस के स्टैंडर्ड की हाल में समीक्षा की. इसमें प्रेग्नेंट महिला कैंडिडेट्स से जुड़े नियम भी शामिल थे.' संबंधित प्रेस रिलीज में कहा गया कि गर्भवती महिला उम्मीदवारों की भर्ती के बारे में संशोधित निर्देश वापस लिए जाते हैं. बैंक ने कहा है कि नियमों में किए गए हालिया बदलाव को मीडिया के कुछ हलकों में महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया गया. SBI ने बयान में आगे कहा, ‘लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए SBI ने प्रेग्नेंट महिलाओं की भर्ती को लेकर नियमों में किए गए बदलाव के अमल पर रोक लगा दी है. इस संबंध में पुराने नियम ही लागू रहेंगे.’
दिल्ली महिला आयोग ने जारी किया था SBI को नोटिस
इससे पहले मामले के तूल पकड़ते ही दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने शनिवार को SBI को नोटिस जारी कर बैंक की नई भर्ती और पदोन्नति नीति को महिला वरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग की थी. आयोग को पता चला था कि एसबीआई ने 31 दिसंबर 2021 को जारी एक परिपत्र के माध्यम से अपनी भर्ती और पदोन्नति नीति में बदलाव किया था. जिसमें कहा गया था कि 3 महीने से ज्यादा की गर्भवती महिला कैंडीडेट को ज्वाइनिंग के लिए 'अस्थायी रूप से अयोग्य' माना जाएगा और उसे डिलिवरी के चार महीने के बाद ही ज्वाइनिंग दी जा सकती है.