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शेयर बाजार क्रैश! अभी स्टॉक बेच दें, या और खरीदें... जिनका नुकसान हुआ उनके लिए क्या है सही कदम, एक्सपर्ट से समझिए ज़रूरी बातें

Stock Market Crash: क्या ट्रम्प की टैरिफ नीति के कारण आपका भी भारी नुकसान हुआ है? क्या आपका पोर्टफोलिया भी ताज़े तरबूज़ जैसा लाल है? क्या आप भी निवेश से जुड़े फैसलों को लेकर चिंतित हैं? आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स के अनुसार क्या होना चाहिए आपका अगला कदम.

अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद बाज़ार में भारी गिरावट देखने को मिली अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद बाज़ार में भारी गिरावट देखने को मिली

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नई टैरिफ दरें लागू करके दुनियाभर के शेयर बाजारों को नीचे गिरा दिया है. भारतीय बाजार में सोमवार को निवेशकों  का 14 लाख करोड़ का नुकसान हुआ. अगर आप एक निवेशक हैं तो ऐन मुमकिन है कि आपका पोर्टफोलिया सोवियत संघ के झंडे से ज्यादा लाल हो. लेकिन ऐसे समय में घबराने से कोई फायदा नहीं. 

ट्रम्प की टैरिफ नीति के बाद बाजार का भविष्य क्या है. आपको अब अपने निवेश किए गए पैसे निकालने हैं, या छोड़ देने हैं. आपको और शेयर खरीदने हैं या अपने पास मौजूद शेयर भी बेच देने हैं, इन सब सवालों के जवाब जानना जरूरी है.

"आपने घबराना नहीं है" 
स्टॉक्सकार्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रणय अग्रवाल कहते हैं कि निवेशकों को इस समय गहरी सांस लेनी है. घबराना नहीं है. और भावनाओं में बहकर कोई फैसला नहीं लेना है. अग्रवाल कहते हैं, "आज  के ब्लैक मंडे ने भारतीय बाजारों को हिलाकर रख दिया है लेकिन निवेशकों और व्यापारियों को शांत रहने की जरूरत है."

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उन्होंने कहा, "निवेशकों को पैनिक करके कुछ बेचना नहीं है. एसआईपी करते रहना है. कम दामों पर अच्छे स्टॉक्स खरीदने की कोशिश करनी चाहिए. उन्हें अपने पोर्टफोलियो रिव्यू करने चाहिए और उसमें विविधीकरण बरकरार रखना चाहिए." उन्होंने कहा कि व्यापारियों को अपना कैपिटल बचाकर रखना चाहिए. अपनी ट्रेडिंग की योजनाओं पर अडिग रहना चाहिए और ज्यादा उठापटक से बचना चाहिए. 

उन्होंने कहा, "इस तरह की उथल-पुथल में कमाई की संभावनाएं होती हैं लेकिन उसके लिए रिस्क-मैनेजमेंट जरूरी है. अमेरिकी बाजार और तेल जैसे वैश्विक संकेतों पर नज़र बनाए रखें. यह न भूलें कि यह वक्त भी गुजर जाएगा. प्रॉफिट से ज्यादा प्रोसेस पर ध्यान दें. ऐसे समय में चीजों को समझने के लिए भरोसेमंद समुदायों और विशेषज्ञों का सहारा लेने में कोई हर्ज नहीं." 

"होशियार रहें ट्रेडर"
इस बीच, मिराए असेट कैमिटल मार्केट्स के डायरेक्ट मनीष जैन का कहना है कि ट्रेडिंग करने वालों को पैनिक करने की जरूरत नहीं है, लेकिन अपनी इनवेस्टमेंट के साथ होशियार रहने की जरूरत है. जैन ने कहा, "अस्थिरता यहां कीवर्ड है. अभी हम एक अस्थिर दुनिया में रह रहे हैं इसलिए हो सकता है कि ट्रेडिंग की पारंपरिक तकनीकें और फंडामेंटल तरीके चीजों से निपटने का सही तरीका न हों."

कुल मिलाकर अग्रवाल का कहना है कि वह ऐसे अनिश्चितता के समय में कोई बड़ी इनवेस्टमेंट नहीं करना चाहेंगे. उन्होंने कहा, "मेरा व्यवस्थित निवेश जारी रहेगा. लेकिन अभी एकमुश्त निवेश नहीं करूंगा. इस अस्थिर समय में मुझे बेहतर अवसर मिलेंगे. हमारे आस-पास की अनिश्चितता को देखते हुए हमें सतर्क रुख अपनाना चाहिए." 

ट्रम्प की टैरिफ नीति से हुए नुकसान के बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत विकास की राह पर आगे बढ़ता रहेगा. मिसाल के तौर पर, आने वाले वित्त वर्ष के लिए भारत की अनुमानित जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत है. 2024-25 से 2030-31 तक जीडीपी और कर्ज का अनुपात कम से कम 5.1 प्रतिशत गिरने की उम्मीद है. 

अभी और कितना गिरेगा बाज़ार?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के डॉ. वीके विजयकुमार का मानना ​​है कि ट्रंप के टैरिफ भले ही खतरनाक हैं लग रहे हैं लेकिन ये लंबे समय तक नहीं टिकेंगे. उन्होंने ट्रम्प की टैरिफ नीति पर कहा, "कुछ चीजें हैं जो निवेशकों को ध्यान में रखनी चाहिए. एक तो यह कि ट्रंप के तर्कहीन टैरिफ लंबे वक्त तक जारी नहीं रहेंगे." 

उन्होंने कहा, "दूसरा यह कि भारत अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है क्योंकि भारत का अमेरिका को निर्यात जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सिर्फ दो प्रतिशत के आसपास है. इसलिए भारत की वृद्धि पर ज्यादा प्रभाव नहीं होगा. तीसरी बात यह कि भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है. यह सफल होने की संभावना है. नतीजतन भारत के लिए टैरिफ कम होंगे." 

विजयकुमार ने यह भी कहा कि वित्तीय, विमानन, होटल, चुनिंदा ऑटो, सीमेंट, रक्षा और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म कंपनियों जैसे घरेलू उपभोग विषय चल रहे संकट से अपेक्षाकृत अप्रभावित रहने की संभावना है. 

निष्कर्ष यह है कि बाजार में उथल-पुथल है. कोई रोडमैप नहीं है. टैरिफ, मुद्रास्फीति और युद्ध जैसे तनाव अराजकता को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन इस सब के बीच विशेषज्ञ एक बात पर एकमत हैं: कि आपको घबराना नहीं है. अपनी इनवेस्टमेंट वापस न खींचें. सतर्क रहें और क्वालिटी पर ध्यान दें. आय पर बारीकी से नज़र रखें और अगर आप ट्रेडिंग कर रहे हैं तो पहले अपना कैपिटल सुरक्षित करें और बाद में मुनाफ़े के पीछे भागें.