हम कभी न कभी परिवार, दोस्त और रिश्तेदारों के साथ होटल या रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए जाते ही हैं. खाना खाने के बाद हजारों रुपए का बिल चुका देते हैं. लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि आप खाने का बिल भरते समय बिल में क्या देखते हैं? तो शायद आपका जवाब होगा टोटल बिल कितना हुआ. यहां पर आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आपको सर्विस चार्ज भी देखना चाहिए. नियमों के मुताबिक होटल और रेस्टोरेंट्स ग्राहकों से सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकते हैं.
दिल्ली, मुंबई हों या छोटे शहर, रेस्टोरेंट हो या बार हर जगह 10 से 20 प्रतिशत सर्विस चार्ज धड़ल्ले से ले लेते हैं. कुछ जगह आपको पहले से बताया जाता है और कुछ जगह नहीं, लेकिन सर्विस चार्ज लिया जा रहा है. सही जानकारी नहीं होने के कारण ग्राहक भी कुछ नहीं कर पाते. उन्हें मजबूरी में सर्विस चार्ज देना ही पड़ता है.
सीसीपीए ने किया हुआ है बैन
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने सर्विस चार्ज पर बैन लगाया हुआ है. जुलाई 2022 में सीसीपीए ने रेस्टोरेंट्स मैनेजमेंट को निर्देश दिये थे कि डिफॉल्ट रूप से भी सर्विस चार्ज नहीं लगाया जाए. इसके बावजूद रेस्टोरेंट्स मालिक फूड और बेवरेज बिल पर 10 से 20% तक सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ रेस्टोरेंट्स ने एंट्री गेट पर इस सूचना का बोर्ड भी लगा दिया है कि वे सर्विस चार्ज वसूलेंगे. सीसीपीए की गाइडलाइन्स ग्राहकों को यह अधिकार देती है कि वे कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के प्रावधानों के तहत इसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं.
आप क्या कर सकते हैं?
अगर कोई रेस्तरां या होटल संचालक आपके बिल में सर्विस चार्ज लगाता है, तो आप इसे हटवा सकते हैं. ध्यान रहे कि ग्राहक के बिना मर्जी के आप पर सर्विस चार्ज नहीं थोपा जा सकता है. ग्राहक की बिना मर्जी के उससे सर्विस चार्ज लेना 'अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस' में आता है. सीसीपीए की गाइडलाइन्स ग्राहकों को यह अधिकार देती है कि वे कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के प्रावधानों के तहत इसके खिलाफ उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत कर सकते हैं.
जीएसटी कम किया लेकिन खाना उतना ही महंगा
रेस्टोरेंट में खाने पर पहले 18 फीसदी जीएसटी लगता था. ग्राहकों को बड़ी राहत देते हुए इस दर को घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया. जीएसटी भले ही घट गया हो, लेकिन सर्विस चार्ज के चलते अभी भी रेस्टोरेंस्ट्स में खाना महंगा ही है.
कई बार लोग अपनी मर्जी से टिप देते हैं
पहले जब होटल और रेस्टोरेंट्स में लोग खाना खाने जाते थे, तो बिलिंग के समय वेटर को टिप के रूप में कुछ रुपए देते थे. यह टिप ग्राहक अपनी इच्छा से देते थे। सर्विस पसंद नहीं आती तो टिप देने का कोई मतलब नहीं होता था। लेकिन सर्विस चार्ज आने से आपको खाना अच्छा लगा हो या नहीं, सर्विस चार्ज के रूप में टिप देनी ही पड़ रही है.