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Satyanarayan Nandlal Nuwal Success Story: पैसे की कमी के चलते छोड़नी पड़ी पढ़ाई, रेलवे स्टेशनों पर गुजारी कई रातें... हजारों करोड़ की कंपनी Solar Industries India के मालिक हैं सत्यनारायण नंदलाल नुवाल

Solar Industries India Success Story: सत्यनारायण नंदलाल नुवाल (Satyanarayan Nandlal Nuwal) का बचपन संघर्षों में बीता. नुवाल को पैसों की कमी के चलते 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी और घर की आर्थिक मदद के लिए काम करना पड़ा. 18 साल की उम्र में नुवाल ने पहली बार कारोबार में हाथ आजमाया था. लेकिन सफलता नहीं मिली. कई असफलताओं के बाद साल 1995 में उन्होंने सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया की शुरुआत की और आज कंपनी हजारों करोड़ की बन गई है.

Solar Industries India founder Satyanarayan Nandlal Nuwal Solar Industries India founder Satyanarayan Nandlal Nuwal

राजस्थान के एक मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुए एक लड़के को 10वीं की के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. फैमिली की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. वो फैमिली की आर्थिक मदद करने लगा. लेकिन वो लड़का बिजनेस करना चाहता था और 18 साल की उम्र में उसे अपने सपनों को पूरा करने का मौका मिला. उसने एक स्याही प्लांट लगाया. लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली. इसके बावजूद उस लड़के ने हार नहीं मानी और लगातार कोशिश करता रहा. कई दिक्कतों का सामना किया. लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और उनको बड़ी सफलता मिली. चलिए आपको सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया (Solar Industries India) के फाउंडर सत्यनारायण नंदलाल नुवाल (Satyanarayan Nandlal Nuwal) की कहानी बताते हैं.

संघर्ष में बीता बचपन-
सत्यनारायण नंदलाल नुवाल का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा में एक मध्यवर्गीय फैमिली में हुआ था. उनका बचपन काफी संघर्षों में बीता. उनके पिता पटवारी थे. उनके दादा छोटी सी किराना की दुकान चलाते थे. साल 1971 में जब पिता रिटायर हो गए तो परिवार की आर्थिक हालत खराब हो गई. उनको पैसों की कमी के चलते 10वीं के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा और उन्होंने फैमिली की जिम्मेदारी उठाई. 19 साल की उम्र में नुवाल की शादी हो गई थी.

कारोबार में कई बार मिली असफलता-
नुवाल हमेशा से कारोबार करना चाहते थे. उन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए 18 साल की उम्र में एक स्याही उत्पादन प्लांट लगाया. लेकिन ये कारोबार चल नहीं पाया. इसके बाद उन्होंने कई उद्योगों में हाथ आजमाया. लेकिन बार-बार असफलता मिलती रही. नुवाल को मुश्किल दौर से भी गुजरा पड़ा. उनको रेलवे स्टेशन पर सोना पड़ा.

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नुवाल की बदली किस्मत-
साल 1977 में नुवाल महाराष्ट्र के चंद्रपुर के बलहारशाह आए. बलहारशाह में उनकी मुलाकात अब्दुल सत्तार अल्लाहभाई से हुई. अब्दुल सत्तार सड़क बनाने और खदान खोदने में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटकों के डीलर थे. नुवाल ने विस्फोटक बेचने के अपने लाइसेंस का इस्तेमाल करते हुए सत्तार के साथ 1000 रुपए महीने का भुगतान करके कारोबार शुरू किया. शुरुआत में नुवाल 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से विस्फोटक खरीदते थे और उसे 800 रुपए में बेचे थे. साल 1995 में नुवाल ने एसबीआई से 60 लाख का लोन लिया और विस्फोटक बनाने का एक प्लांट लगाया. उन्होंने सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया नाम से कंपनी की शुरुआत की.

कंपनी का कारोबार-
सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया का मार्केट कैपिटलाइजेशन पूंजीकरण 92000 करोड़ रुपए है. अभी ये कंपनी मेक इन इंडिया के तहत विस्फोटक और प्रोपेलेंट से लेकर ग्रेनेड, ड्रोन और वॉरहेड तक बनाती है. कंपनी की मार्केट वैल्यू एक दशक में 1700 फीसदी बढ़ गई है. कंपनी की मार्केट वैल्यू साल 2022 तक 35 हजार करोड़ रुपए को पार कर गया था. सत्यनारायण नंदलाल नुवाल सोलर इंडस्ट्रीज के फाउंडर हैं और कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 73 फीसदी है.

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