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नेत्रहीन होने के कारण नहीं पूरा हो सका था IIT में पढ़ने का सपना, पर आज हैं करोड़ों की कंपनी के मालिक, बॉलीवुड बना रहा है फिल्म

अक्सर अपने आसपास नेत्रहीन लोगों को देखकर हमारे मन में ख्याल आता है कि ये भला अपना जीवन कैसे जीते होंगे? लेकिन यह हमारी छोटी सोच है क्योंकि अगर सही मौके दिए जाएं तो नेत्रहीन भी अपनी दिव्यांगता से ऊपर उठकर खुद को साबित कर सकते हैं. जैसा कि आंध्र प्रदेश के श्रीकांत बोल्ला ने किया है. जन्म से ही नेत्रहीन श्रीकांत बोल्ला आज एक इंडस्ट्रियलिस्ट हैं. उनकी कंपनी बोल्लांत इंडस्ट्रीज का टर्नओवर आज 50 करोड़ से भी ऊपर है और 650 से ज्यादा लोग उनकी अलग-अलग पांच फैक्ट्री में काम करते हैं. 

श्रीकांत बोल्ला श्रीकांत बोल्ला
हाइलाइट्स
  • किसान परिवार में जन्मे श्रीकांत

  • बने MIT में पढ़ने वाले पहले इंटरनेशनल नेत्रहीन छात्र

  • खड़ी की करोड़ों की कंपनी

अक्सर अपने आसपास नेत्रहीन लोगों को देखकर हमारे मन में ख्याल आता है कि ये भला अपना जीवन कैसे जीते होंगे? लेकिन यह हमारी छोटी सोच है क्योंकि अगर सही मौके दिए जाएं तो नेत्रहीन भी अपनी दिव्यांगता से ऊपर उठकर खुद को साबित कर सकते हैं. 

जैसा कि आंध्र प्रदेश के श्रीकांत बोल्ला ने किया है. जन्म से ही नेत्रहीन श्रीकांत बोल्ला आज एक इंडस्ट्रियलिस्ट हैं. उनकी कंपनी बोल्लांत इंडस्ट्रीज का टर्नओवर आज 50 करोड़ से भी ऊपर है और 650 से ज्यादा लोग उनकी अलग-अलग पांच फैक्ट्री में काम करते हैं. 

हालांकि उनके आसपास के लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ कर पाएंगे लेकिन श्रीकांत को हमेशा खुद पर भरोसा था. इसलिए बचपन में जब हर कोई उनपर तरस खाता था तब उनकी पूरी कोशिश इसी में रहती थी कि वह कैसे ज्यादा से ज्यादा पढ़ सकते हैं. और खुद पर उनके विश्वास ने ही आज उन्हें एक सफल बिजनेसमैन बनाया है. 

किसान परिवार में जन्मे: 

श्रीकांत का जन्म आंध्र प्रदेश के मछलीपट्नम में एक किसान परिवार में हुआ. उनके आसपास के लोगों के लिए भले ही उनका नेत्रहीन होना दया और तरस की बात थी लेकिन श्रीकांत के माता-पिता ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.

श्रीकांत की पढ़ाई में रूचि देखकर ही उनके पिता ने उन्हें हैदराबाद के ब्लाइंड स्कूल में भेजा ताकि वह अच्छी तरह से पढ़ सकें. यहां आकर श्रीकांत को बहुत अच्छा लगा क्योंकि यहां उनके हिसाब से सभी साधन उपलब्ध थे. स्कूल का स्टाफ भी बहुत अच्छा था. 

लेकिन दसवीं के बाद उन्हें एक झटका लगा क्योंकि वह मैथ और साइंस जैसे विषय पढ़ना चाहते थे. लेकिन उन्हें बताया गया कि स्टेट बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन आंध्र प्रदेश में नेत्रहीन छात्रों को मैथ और साइंस पढ़ने की अनुमति नहीं है क्योंकि यह माना जाता है कि मैथ और साइंस के बहुत से कॉन्सेप्ट उन्हें समझाना मुश्किल हो जाएगा. 

यह 2007 की बात है और श्रीकांत इस मनमाने कानून से निराश थे जो सभी स्कूलों के लिए समान नहीं था. बहुत संघर्षों के बाद उन्होंने अपने एक शिक्षक और एक वकील की मदद से इस नियम के मुताबिक कोर्ट में केस किया. और श्रीकंत के प्रयासों से वह केस जीत गए. इस तरह से उन्होंने अपने बाद आने वाली कई पीढ़ियों की मदद की है. 

IIT नहीं तो MIT सही, खुद बनाई राह: 

श्रीकांत को मैथ और साइंस से स्कूल पास करने का मौका मिल गया. उन्होंने 12वीं कक्षा बहुत अच्छे अंकों से पास की. आगे वह इंजीनियरिंग पढ़ना चाहते थे लेकिन उन्हें कहीं किसी कोचिंग में दाखिला नहीं मिला. उन्हें कहा गया कि उनके लिए इतना सिलेबस पढ़ना बहुत मुश्किल होगा.

लेकिन श्रीकांत ने हार नहीं मानी और उन्होंने सोचा कि IIT नहीं तो कुछ और सही. इसलिए उन्होंने अमेरिका में विश्वविद्यालयों में आवेदन किया और उन्हें पांच जगह से ऑफर मिले. उन्होंने कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में एमआईटी को चुना. जहां वे पहले अंतरराष्ट्रीय नेत्रहीन छात्र बने. 

वह 2009 में MIT पहुंचे और वहां दिन-रात मेहनत करके, कई तरह की चुनौतियों को पार करके अपनी पहचान बनाई. अपनी डिग्री पूरी करने के बाद उनके पास अमेरिका में काम करने का मौका था लेकिन वह भारत में कुछ करना चाहते थे ताकि दिव्यांगों के लिए देश में स्थिति को बदल सकें.

शुरू की अपनी कंपनी: 

श्रीकांत 2012 में हैदराबाद लौटे और बोल्लांत इंडस्ट्रीज की स्थापना की. यह एक पैकेजिंग कंपनी है जो सुपारी के पत्तों से पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद, जैसे पैकेजिंग मटेरियल का निर्माण करती है. और आज कंपनी की वैल्यूएशन करोड़ों में है. 

उनकी कंपनी में ज्यादा से ज्यादा दिव्यांग लोगों को नौकरी दी जाती है. उनका कहना है कि पहले उन्होंने देश में दिव्यांगों एक लिए सही शिक्षा पर काम करना चाहा था. लेकिन फिर उन्होंने देखा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी दिव्यांगों के लिए अच्छे रोजगार के विकल्प नहीं हैं. इसलिए उन्होंने रोजगार पर फोकस किया.

पिछले साल श्रीकांत ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की यंग ग्लोबल लीडर्स 2021 की सूची में जगह बनाई थी और उन्हें उम्मीद है कि तीन साल के भीतर उनकी कंपनी बोल्लांत इंडस्ट्रीज ग्लोबल आईपीओ बन जाएगी. उनके संघर्ष और सफलता पर अब जल्द ही बॉलीवुड फिल्म भी बनने जा रही है. 

बताया जा रहा है कि जाने-माने अभिनेता राजकुमार राव उनकी बायोपिक में उनका किरदार निभाएंगे. फिल्म की शूटिंग जुलाई में शुरू होगी. श्रीकांत को उम्मीद है कि इस फिल्म के बाद लोग नेत्रहीन या अन्य दिव्यांग लोगों को कम आंकना बंद कर देंगे.