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I Love you Rasna: जब गर्मियों की छुट्टियों का मतलब होता था 'रसना,' जानिए कहानी भारत के इस Iconic Brand की

यह कहानी है रसना की, जिसे मार्केट करने के लिए I love you Rasna, Rasna Girl और Life mein rasna milaofy जैसी कैंपेन्स का इस्तेमाल किया गया और इनके जिंगल्स एक जमाने में सबकी जुबान पर होते थे. आज भी रसना बहुत से लोगों की यादों का अहम हिस्सा है.

Story of Rasna Story of Rasna

रसना एक ऐसा ब्रांड है जिसके साथ कई पीढ़ियों की यादें जुड़ी हुई है. आज भी लोगों को रसना के विज्ञापनों के जिंगल जैसे I love you Rasna आदि याद हैं. रसना ने भारतीय बाज़ार में उस समय प्रवेश किया जब लिम्का और थम्प्स अप जैसे कार्बोनेटेड ड्रिंक भारतीय बाज़ार में हावी थे. लेकिन कोई भी ड्रिंक विशेष रूप से बच्चों के लिए नहीं था. इसलिए, 70 के दशक के अंत से लेकर 90 के दशक की शुरुआत तक रसना, घर और बड़े समारोहों में परोसा जाने वाला ड्रिंक बन गया. 

अपने दो दशक से ज्यादा के इतिहास में, रसना को काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा है. एक समय पर, यह ब्रांड टेलीविज़न पर सबसे ज्यादा दिखता था. आज इसे कोका-कोला जैसी बड़ी कंपनियों और ट्रॉपिकाना जैसे फलों के जूस से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन एक समय पर रसना मार्केट को डोमिनेट कर रहा था. 

किसने की इसकी शुरुआत 
रसना ब्रांड की शुरुआत में खंबाटा परिवार ने 'जाफ' के रूप में की थी और गुजरात में क्षेत्रीय रूप से वितरित किया गया था. इसे बाद में 1979 में रसना के रूप में रिलॉन्च किया गया, और इसे वोल्टास ने डिस्ट्रिब्यूट किया, जिसने 1983 में रसना प्राइवेट लिमिटेड में शामिल होने के बाद इसकी मार्केटिंग भी शुरू की. 18 साल की उम्र में, बायोकैमिस्ट्री में स्नातक की डिग्री, कानून में एक और डिग्री और व्हार्टन और आईआईएम से कई प्रबंधन प्रमाणपत्रों के साथ, पिरुज़ खंबाटा 1998 में कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बने. 

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कैसे मिली सफलता
'आई लव यू, रसना' जैसे कैंपेन ने बच्चों और अभिभावकों दोनों को टारगेट किया. साथी ही, इस बात पर जोर दिया गया कि एक पैक से 32 गिलास कैसे बनाए जा सकते हैं. यह ब्रांड का प्रमुख मूल्य प्रस्ताव बन गया. इसके अलावा, ब्रांड ने ढेर सारे स्वाद पेश किए. इनमें केसर, इलाइची, खू और जलजीरा शामिल थे, जो भारतीय दर्शकों के लिए बतौर फ्लेवर नए थे. 2000 में, ब्रांड में अमरूद, लीची, तरबूज और अनानास जैसे नए स्वाद जोड़े गए.

जहां सॉफ्ट ड्रिंक का 1982 में 13 करोड़ रुपये से बढ़कर 2015 में 14,000 करोड़ रुपये हो गया था, वहीं, रसना ने इसका केवल 2.4 प्रतिशत हिस्सा बनाया. रसना के लिए असली मुसीबत तब शुरू हुई जब बाज़ार में कार्बोनेटेड पेय और फलों के रस की बाढ़ आ गई और ये और भी सस्ते हो गए. घर ले जाने वाली बोतलें और टेट्रा-पैक ने उपभोक्ताओं के लिए इनका फायदा उठाना आसान बना दिया है. 

53 देशों में रसना 
भारत के प्रतिष्ठित पेय ब्रांडों में से एक, रसना ने पिछले तीन दशकों में अपने लिए एक विशिष्ट बाजार बनाया है. रसना ने निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों को, जो कार्बोनेटेड पेय नहीं खरीद सकते थे, ऐसी कीमत पर कुछ ऐसा ही, जिससे उनकी जेब ज्यादा खर्च न हो. ब्रांड आगे बढ़ गया है और 5 रुपये की कीमत वाले पाउच पेश किए हैं. रसना इंटरनेशनल (पाउडर) के जरिए कंपनी एक्सपोर्ट में उतरी. इसका निर्यात प्रभाग भारतीय बाज़ार की तुलना में अधिक बिक्री करता है, विशेषकर प्रीमियम पाउडर के लिए; सस्ते पाउडर के लिए भारत एक बड़ा बाजार है. वर्तमान में, यह मध्य पूर्व और अफ्रीका सहित 53 देशों को निर्यात करता है.