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Videocon Story: पहली बार यह कंपनी भारत में लेकर आई थी कलर टेलीविजन, भारतीयों को दिए थे फ्रिज, एसी जैसे प्रॉडक्ट्स

सीबीआई ने सोमवार को व्यवसायी और वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत को आईसीआईसीआई बैंक से 3,250 करोड़ रुपये के ऋण से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया.

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हाइलाइट्स
  • नंदलाल माधवलाल धूत ने शुरू की थी कंपनी

  • कलर टीवी के लिए वीडियोकॉन का बनाया ब्रांड

वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ICICI लोन केस में गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को वीडियोकॉन समूह को दिए गए 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन के केस में गिरफ्तार किया गया था. 

साल 2010 में दिए गए इस लोन के बाद से ही कंपनी के बुरे दिन शुरू हो गए थे. आपको बता दें कि आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस (ICICI Videocon Loan Fraud Case) कॉर्पोरेट जगत में फ्रॉड का एक बड़ा मामला है. एक समय था जब वेणुगोपाल धूत भारत के अमीरों की सूची में 61वें स्‍थान पर थे. 

हालांकि, आज वीडियोकॉन कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है. टीवी, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन जैसे व्हाइट गुड्स के मामले में जिस कंपनी का कभी कोई प्रतिद्वंदी नहीं था, आज वह कंपनी बर्बादी की कगार पर है. आपको शायद ही पता हो लेकिन भारत में पहला कलर टेलीविजन लाने का श्रेय वीडियोकॉन को जाता है. 

पिता ने की थी शुरुआत
कंपनी की शुरुआत धूत के पिता स्वर्गीय "नंदलाल माधवलाल धूत" के साथ हुई. उन्होंने एक भारतीय उद्योगपति के रूप में अपना करियर शुरू किया. सबसे पहले नंदलाल ने गन्ना और कपास उद्योग में हाथ आजमाया. साल 1955 में उन्होंने अपना गंगापुर साखर कारखाना (चीनी मिल) स्थापित करने के लिए यूरोप से मशीनरी आयात की. उस जमाने में यह करना आसान नहीं था लेकिन नंदलाल को खुद पर विश्वास था.

अब भले ही उन्होंने मिल खोल ली, लेकिन आस-पास के गांवों में बिजली की भारी समस्या थी और उस समस्या को हल करने का कोई उपाय नहीं था. इस समस्या के हल के लिए, नंदलालजी ने कई अन्य लोगों के साथ महाराष्ट्र में पहली बार औद्योगिक क्रांति शुरू की. सालों की मेहनत के बाद नंदलालजी कामयाब हुए और उन्हें महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में 'द पायनियर ऑफ़ इंडस्ट्रियल एक्टिविटी' की प्रतिष्ठा मिली. यह नंदलाल ही थे जिन्होंने महाराष्ट्र को भारत में इंडस्ट्रियल हब बना दिया. 

बेटों के साथ मिलकर रखी वीडियोकॉन की नींव
नंदलालजी ने अपने तीन बेटों - वेणुगोपाल, राजकुमार और प्रदीप कुमार को भी 80 के दशक की शुरुआत में बिजनेस में शामिल किया. अपने तीन बेटों की मदद से, नंदलालजी ने जापान स्थित तोशिबा कॉर्पोरेशन के तकनीकी सहयोग के साथ - 1984 में वीडियोकॉन की स्थापना की!

स्पष्ट रूप से, उनका यह विचार क्रांतिकारी था और दिलचस्प बात यह थी कि इसके साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए कई कंपनियां भी नहीं थीं. शुरुआत के कुछ ही समय में, उन्हें अपनी पहली बड़ी सफलता मिली, जब उन्हें रंगीन टेलीविजन बनाने के लिए भारत का पहला लाइसेंस प्राप्त हुआ. और उसके साथ ही वीडियोकॉन ने ब्लैक एंड वाइट और रंगीन टीवी का निर्माण भी शुरू कर दिया!

कलर टीवी के लिए वीडियोकॉन का बनाया ब्रांड
1989 में, कंपनी ने होम एंटरटेनमेंट सिस्टम और एयर कंडीशनर भी लॉन्च किए, जिसके बाद 90 के दशक के मध्य में गुजरात में CRT ग्लास शेल का निर्माण किया गया. और वर्ष 1995 तक, कंपनी ने रेफ्रिजरेटर और कूलर भी बनाना शुरू कर दिया था. 

सिर्फ एक दशक में वेणुगोपाल ने कंपनी को अपने हाथों में ले लिया और कंपनी को भारत के रंगीन टेलीविजन के अग्रणी ब्रांड के रूप में खड़ा किया. यहां से कंपनी का विस्तार होना शुरू हुआ. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों के कारोबार में सफलता प्राप्त करने के बाद, धूत ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को तेल और गैस, सेलुलर सेवाओं जैसे अन्य क्षेत्रों में विस्तारित किया. 

वेणुगोपाल ने वीडियोकॉन का कारोबार काफी आगे बढ़ाया. कंपनी ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि चीन, मैक्सिको, पोलैंड और इटली में भी अपना बिजनेस सेटअप किया. हालांकि, साल 2010 के बाद से कंपनी घाटे में जाना शुरू हो गई. 

कर्ज ज्यादा, मुनाफा कम 
कई सेक्टर्स में विस्तार करने वाली वीडियोकॉन कंपनी के पतन का मुख्य कारण था कि कंपनी ने दूरसंचार सेवाओं पर जितना खर्च किया, वह उतना कमाई नहीं कर सकी. कंपनी ने अलग-अलग बिजनेस सेटअप करने के लिए कर्ज लिया. यह कर्ज बढ़ता रहा लेकिन वीडियोकॉन को मुनाफा नहीं हुआ. 

इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में कई प्रतिद्वंदी आ जाने से कंपनी संभल नहीं पाई और धीरे-धीरे घाटे में जाने लगी. साथ ही, कंपनी पर कर्ज लगातार बढ़ता रहा. वेणुगोपाल ने कर्ज के कारण अपनी कई कंपनियां बेच दीं लेकिन फिर भी वे कंपनी को डूबने से नहीं बचा सके.