
आजकल कई किसान परंपरागत खेती की जगह आधुनिक खेती को तरजीह दे रहे हैं. जिससे उनको काफी मुनाफा भी हो रहा है. कई किसान सब्जियों की खेती में रुचि दिखा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक किसान मदन चंद्र वर्मा हैं, जो हाइब्रिड टमाटर की खेती करते हैं. इससे वो लाखों रुपए की कमाई करते हैं.
हाइब्रिड टमाटर की खेती-
किसान मदन चंद्र वर्मा बाराबंकी के कुरौली गांव के रहने वाले हैं. हिंदू न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक मदन चंद्र 5 बीघा में टमाटर की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि टमाटर की डिमांड बाजार में हमेशा बनी रहती है. इसलिए इसकी अच्छी कीमत मिलती है. मदन चंद्र हाइब्रिड किस्म का टमाटर उगाते हैं. दूसरे किस्मों के मुकाबले इसकी पैदावार ज्यादा होती है और इसका साइज भी बड़ा होता है.
लाखों की होती है कमाई-
मदन चंद्र कई सब्जियों की खेती करते हैं. इसमें आलू से लेकर फूलगोभी तक शामिल है. इस साल उन्होंने 5 बीघे में हाइब्रिड किस्म के टमाटर की खेती की है. इस टमाटर की खेती में एक बीघे में 20 से 25 हजार रुपए की लागत आती है. जबकि एक बीघे में डेढ़ से 2 लाख रुपए तक की कमाई होती है.
60-65 दिन में होती है फसल-
टमाटर की हाइब्रिड किस्म की खेती में खर्च भी थोड़ा ज्यादा होता है. इसमें कीटनाशक दवाइयों पर खर्च ज्यादा होता है. हालांकि इससे मुनाफा भी ज्यादा होता है. हाइब्रिड किस्म के टमाटर की खेती मल्च विधि से करते हैं.
सबसे पहले टमाटर के बीजों की नर्सरी तैयार करते हैं. इसमें 15 से 20 दिनों का समय लगता है. इसके बाद खेत को तैयार किया जाता है. खेत में गोबर या वर्मी कंपोस्ट खाद डाला जाता है और 2-3 बार जुताई की जाती है. इसके बाद खेत में बेड बनाकर मल्च बिछाया जाता है. इसके बाद इसपर टमाटर के पौधों की रोपाई की जाती है. रोपाई के बाद सिंचाई करनी जरूरी होती है. जब पौधा बड़ा हो जाता है तो इसको बांस डोरी के सहारे बांध दिया जाता है. 60-65 दिनों के बाद फल मिलने लगते हैं.
खेती के लिए क्या है जरूरी-
एक हेक्टेयर में हाइब्रिड टमाटर के लिए 250-300 ग्राम बीज की जरूरत होती है. हाइब्रिड टमाटर की खेती के लिए उपजाऊ दोमट की जरूरत होती है. इसमें पौधे को रस्सी या बांस की मदद से चढ़ाना होता है. खेतों में अच्छ देखरेख की जरूरत होती है.
मल्चिंग विधि में प्लास्टिक शीट की वजह से मिट्टी को धूप कम लगती है. इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है. इससे पौधों की जड़ों का विकास अच्छे से होता है. तेज हवाओं और बारिश से पौधों का बचाव होता है.
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