थ्री इडियट्स फ़िल्म तो आपने देखी ही होगी. अलग सोच रखने वालों की राह उनके अपने मन की आवाज़ पर चलती है. कुछ ऐसी ही कहानी है IIT कानपुर से PhD कर रहे छात्र निकी कुमार झा की. निकी झा को उनके स्टार्ट अप ‘Sabzi Kothi’ की वजह से WWF (world wide fund-for nature ) द्वारा क्लाइमेट सॉल्वर का सम्मान मिला है. यानि पर्यावरण के लिए उनके start up का ख़ास महत्व है.
दुनिया में मनवाया लोहा
बिहार के भागलपुर के छोटे से गांव से आने वाले निकी झा ने अपनी तरकीब और अपने अभिनव सोच से भारत ही नहीं दुनिया भर में लोहा मनवाया है. भागलपुर के गांव से IIT और यूरोप तक का सफ़र तय करने वाले निकी झा को आज तकनीकी क्षेत्र के लोग सब्ज़ी कोठी के निर्माता के नाम से भी जानते हैं. सब्ज़ी कोठी एक ऐसा कोल्ड स्टोरेज है जिसे किसान अपने घर में, खेत में, छत पर, कहीं भी लगा सकता है. इसे टेम्पो, ट्रॉली, रिक्शा किसी भी चीज़ से सुगमता से कहीं भी ले जाया जा सकता है.
सिर्फ लगता है 20 वॉट बिजली खर्च
दरअसल, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कोई नया डिवाइस(उपकरण) बनाना तो आम बात है लेकिन निकी को हमेशा ये बात परेशान करती थी कि किसानों की आधी सब्ज़ी और फल खेतों में ही या फिर बाज़ार पहुंचने के दौरान ही सड़ जाते हैं. उसका वजन कम हो जाता है. उसका वैज्ञानिक कारण है. निकी झा ने ये प्रोडक्ट किसान की हर ज़रूरत को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसमें सिर्फ़ 20 वॉट की बिजली का खर्चा आता है और 1 लीटर पानी लगता है. इसे बहुत छोटी बैटरी से भी चार्ज किया जा सकता है और ये किसी भी तापमान में काम करता है. यानि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, गुजरात से बंगाल तक देश के किसी भी कोने में, किसी भी भौगोलिक परिस्थिति में ये सब्ज़ी कोठी किसानों के लिए उतना ही कारगर उपाय है. इसकी पहुंच ज़्यादा से ज़्यादा छोटे किसानों तक हो इसके लिए इसकी लागत भी कम रखी गयी है. सिर्फ़ 10 हज़ार रुपए में ये सब्ज़ी कोठी किसानों को मिल सकती है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल चुकी है मान्यता
IIT कानपुर के इंक्युबेशन सेंटर में बना ये स्टार्टअप इसलिए भी ख़ास है क्योंकि इसे पर्यावरण के लिए बहुत मुफ़ीद माना गया है. World wide fund-for nature(wwf) ने निकी झा को इस अभिनव प्रोडक्ट के लिए Climate solver India का ख़िताब दिया है यानि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसको मान्यता मिल चुकी है. वजह ये है कि जब फल या सब्ज़ी सड़ती है तो ‘मीथेन’ गैस वातावरण में फैलता है. अगर हम बड़ी संख्या में फल और सब्ज़ी को सड़ने से बचा लें तो हमें वातावरण को इतना नुकसान नहीं होगा. निकी झा की कंपनी www.saptkrishi.com पर भी इसके लिए संपर्क किया जा सकता है. निकी झा ने इसको बनाने की फ़ैक्ट्री भी अपने ज़िले भागलपुर में लगाई है ताकि वो अपनी मिट्टी, अपनी ज़मीन, अपने ज़िले को कुछ लौटा सकें. निकी झा की अब कोशिश है कि ज़्यादा से ज़्यादा किसानों तक ये पहुंचे.