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Britannia Company: मात्र 295 रुपए के साथ हुई थी शुरुआत, आज भारत की सबसे बड़ी FMCG कंपनियों में एक है ब्रिटानिया

Britannia कंपनी की शुरुआत मात्र 295 रुपए के साथ हुई थी. तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह एक दिन देश की सबसे बड़ी FMCG कंपनियों में से एक होगी. जानिए कहानी सबसे बड़ी बिस्कुट कंपनियों में से एक ब्रिटानिया की कहानी.

Britannia Success Story Britannia Success Story

आज भले ही कितने भी अच्छे कुकीज़ मार्केट में क्यों न मौजूद हों लेकिन क्लासिक फ्रूट केक की हो या शुगर कोटेड लिटिल हार्ट्स बिस्किट्स की जगह कोई चीज नहीं ले सकती हैं. जी हां, अगर आप 80s या 90s के हैं तो आपको नाम लेते ही इनका स्वाद आ गया होगा. और इस स्वाद को परोसने वाली कंपनी है ब्रिटानिया. जी हां, आज हम आपको बता रहे हैं देश की सबसे बड़ी और पुरानी बेकरी प्रोडक्ट्स कंपनियों में से एक, Britannia कंपनी के बारे में. 

आपको जानकर शायद हैरानी होगी लेकिन साल 1892 में ब्रिटिश व्यापारियों के एक समूह ने कोलकाता के एक छोटे से घर के एक कमरे में सिर्फ 295 रुपये से एक कंपनी शुरू की थी. और अब, 132 साल बाद, यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी FMCG कंपनियों में से एक है. 

कैसे हुई इस कंपनी की शुरुआत
ब्रिटानिया की स्थापना 1892 में कुछ ब्रिटिश व्यापारियों ने मात्र 295 रुपये के निवेश के साथ की थी. शुरुआत में, मध्य कोलकाता के एक छोटे से घर में बिस्कुट बनाए जाते थे. बाद में, इस काम को गुप्ता ब्रदर्स, मुख्य रूप से नलिन चंद्र गुप्ता ने टेकओवर कर लिया. नलिन पेशे से वकील थे. उन्होंने इस उद्यम को "वी.एस. ब्रदर्स" नाम से चलाया. साल 1918 में कोलकाता में रहने वाले एक अंग्रेजी व्यवसायी, सी.एच. होम्स ने बतौर पार्टनर कंपनी को जॉइन किया और आखिरकार, ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी लिमिटेड (BBCo) को लॉन्च किया गया. इसकी मुंबई फैक्ट्री की स्थापना 1924 में हुई थी, और पीक फ़्रीन्स यूके ने BBCo में एक नियंत्रित हिस्सेदारी हासिल कर ली थी. 

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दूसरे विश्व युद्ध में भूमिका 
दूसरे विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान बिस्कुट की बहुत ज्यादा मांग थी. इससे ब्रिटानिया की बिक्री में बढ़ने लगी क्योंकि यह ब्रिटिश सेना को बिस्कुट की आपूर्ति करता था. 1982 में, अमेरिकी कंपनी नैबिस्को ब्रांड्स, इंक. ने पीक फ़्रीन्स की मूल कंपनी का अधिग्रहण कर लिया और यह एक प्रमुख विदेशी शेयरहोल्डर बन गई.

साल 1979 के बाद, बिस्कुट और ब्रेड की बिक्री में  लगातार हो रही बढ़ोतरी से कंपनी को अच्छा फायदा होने लगा. हालांकि, ब्रांड की लोकप्रियता अभी भी देश के प्रमुख शहरों तक ही सीमित थी. तब कंपनी को एहसास हुआ कि अगर वे रोजमर्रा की खाने-पीने की चीजें उपलब्ध कराएंगे तो बिजनेस और चलेगा. यही कारण है कि 1997 में ब्रिटानिया के डेयरी उत्पाद निर्माण की शुरुआत हुई. इसके साथ ही, वे देश भर में कई मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट्स शुरू करने में कामयाब रहे. 

ये हैं ब्रिटानिया के बिस्कुट
साल 1997 में ही कंपनी ने टाइगर बिस्कुट, चेकर्स और जिम जैम्स जैसे उत्पाद पेश किए, जो अब भी लोकप्रिय हैं. ब्रिटानिया के बिस्कुट के अन्य ब्रांड नामों में 50-50, न्यूट्रीचॉइस, गुड डे, प्योर मैजिक और मिल्क बिकिस, बॉर्बन, नाइस टाइम और लिटिल हार्ट्स शामिल हैं. आज ब्रिटानिया का ऑपरेशन 80 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है. 

आपको बता दें कि मुंबई स्थित कपड़ा कंपनी बॉम्बे डाइंग के नुस्ली वाडिया ने 1983 में फ्रांसीसी फूड कंपनी, डैनोन की मदद से ब्रिटानिया के तत्कालीन अध्यक्ष राजन पिल्लई से कंपनी का नियंत्रण ले लिया था. साल 2009 में, डैनोन ग्रुप की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के बाद वाडिया समूह कंपनी में सबसे बड़ा शेयरधारक बन गया. पश्चिम बंगाल के अलावा, कंपनी के पूर्वी राज्यों बिहार, ओडिशा और असम में तीन अन्य बिस्कुट मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट्स हैं.