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Chamar Brand Story: जाति के नाम पर लोग उड़ाते थे मजाक, अब उसी जाति के नाम से चला रहे हैं करोड़ों का ब्रांड

मिलिए सुधीर राजभर से, जिन्होंने जातिवाद सिस्टम पर चोट करते हुए गाली के तौर पर इस्तेमाल होने वाले शब्द को लेकर करोड़ों का ब्रांड खड़ा कर दिया है. उनका 'Chamar Studio' आज दलित चमड़ा श्रमिकों को न सिर्फ काम दे रहा है बल्कि उनके सम्मान को भी सहेज रहा है.

Chamar Studio (Photo: Instagram/@chamarstudio) Chamar Studio (Photo: Instagram/@chamarstudio)

21वीं सदी में भी भारतीय समाज के कई हिस्सों में आज भी जातिगत भेदभाव प्रचलित है. आज भी अगर गांव-देहात के इलाकों में आप जाएंगे तो देखेंगे की लोगों को जाति के आधार पर नीचा दिखाया जाता है और कुछ जातियों को तो लोगों ने स्लैंग बना लिया है. हालांकि, इसके खिलाफ कई कानून मौजूद हैं लेकिन फिर भी जातिवाद के मामले देखने को मिलते हैं. इस सबके बीच, मुंबई के एक युवा उद्यमी ने जाति व्यवस्था को करारा जवाब देते हुए कुछ ऐसा कर दिखाया है कि ग्लोबल लेवल पर उन्हें जाना जा रहा है.  

यह कहानी है सुधीर राजभर की, जिन्होंने अपने काम के माध्यम से जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ लड़ने को अपना मिशन बना लिया है. उनका स्टार्टअप, चमार स्टूडियो, एक ऐसी दुनिया बनाने के प्रयासों में जुटा है जहां जाति कोई मायने नहीं रखती. अपने कई मीडिया इंटरव्यूज में सुधीर ने बताया कि भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘चमार’ एक जातीय गाली है जिसका इस्तेमाल इस समुदाय को नीचा दिखाने के लिए होता आया है. लेकिन चमार स्टूडियो में, सुधीर और उनकी टीम इसे गर्व के रूप में अपनाते हैं. 

कैसे हुई चमार स्टूडियो की शुरुआत 
उत्तर प्रदेश के जौनपुर से ताल्लुक रखने वाले सुधीर जब भी वह अपने गांव जाते थे, तो उन्हें "चमार" जैसे अपमानजनक नामों से बुलाया जाता था. यह शब्द चमड़े का काम करने वाली जाति को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. उन्हें एहसास हुआ कि उनके और उनके समुदाय के अन्य लोगों के साथ उनकी जाति के कारण भेदभाव किया जा रहा है. लेकिन इस भेदभाव के आगे झुकने के बजाय, सुधीर ने इसे चुनौती देने का फैसला किया. 
 
उन्होंने चमार स्टूडियो की स्थापना की, जिसका नाम उसी शब्द के नाम पर रखा गया जिसका इस्तेमाल उन्हें अपमानित करने के लिए किया गया था. वह मुंबई के धारावी गए और ऐसे लोगों से जुड़े जिनके पास बैग और बेल्ट बनाने का अनुभव था. उन्होंने रिसायकल्ड मैटेरियल का इस्तेमाल करके हाई-क्वालिटी, सस्टेनेबल, और स्टाइलिश बैग और जूते बनाना शुरू किया. 

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बाकी ब्रांड्स से हटकर हैं इनके प्रोडक्ट्स 
फ़ास्ट फ़ैशन के जमाने में मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री से बड़ी मात्रा में वेस्ट निकलता है और प्रदूषण में योगदान देता है. लेकिन चमार स्टूडियो अपने प्रोडक्ट्स बनाने के लिए सस्टेनेबल मैटेरियल और तकनीकों का उपयोग कर रहा है. जैसे वे अपने जूतों के तलवों के लिए रिसायकल्ड रबर का उपयोग करते हैं, और अपने बैग की लेयरिंग के लिए रिसायकल्ड प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग करते हैं. 

यहां तक ​​कि उनके उत्पादों में इस्तेमाल किया जाने वाला धागा भी रिसायकल्ड प्लास्टिक की बोतलों से बनाया जाता है. चमार स्टूडियो के प्रोडक्ट्स न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि सस्टेनेबल और स्टाइलिश भी हैं. उनके बैग और जूते लंबे समय तक चलने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.

दूसरे देशों में भी पहुंचा उनका ब्रांड 
फैशन के प्रति चमार स्टूडियो के अलग दृष्टिकोण ने इसे उद्योग में एक प्रसिद्ध नाम बना दिया है. उनके पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद अमेरिका, जर्मनी और जापान सहित पूरी दुनिया में जा रहे हैं. अपने ब्रांड के माध्यम से, सुधीर ने अपने समुदाय के लोगों को रोजगार का मौका दिया है. उन्होंने एक सामाजिक मुद्दे पर काम करते हुए अपना बिजनेस खड़ा किया है जिसका टर्नओवर आज करोड़ों में है. उनके प्रोडक्ट्स इस समुदाय को एक अलग पहचान दे रहे हैं.