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Success Story: कई बिजनेस में नाकाम होने के बाद कैसे Radhakishan Damani ने खड़ी की DMart कंपनी, जानिए पूरी कहानी

DMart Success Story: देश में 300 स्टोर्स से ज्यादा चलाने वाली कंपनी डीमार्ट की नींव 20 साल पहले साल 2002 में रखी गई थी. राधाकृष्ण दमाणी ने डीमार्ट का पहला स्टोर मुंबई के पवई में खोला था. उसके बाद से लगातार डीमार्ट देशभर में फैल रहा है.

डीमार्ट का करोड़ों का साम्राज्य बनने की कहानी (Photo/dmartindia) डीमार्ट का करोड़ों का साम्राज्य बनने की कहानी (Photo/dmartindia)

देशभर में डीमार्ट के 300 से ज्यादा स्टोर्स हैं. इसमें से सबसे ज्यादा स्टोर्स महाराष्ट्र में हैं. फाउंडर राधाकृष्ण दमाणी ने 20 सालों में इस कंपनी को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया है. दमाणी के पास अरबों का साम्राज्य है. लेकिन इस बुलंदी तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था, इसके लिए दमाणी ने दिन-रात मेहनत की. कंपनी नींव रखी. रणनीति बनाई और उसपर अमल किया. इसके बाद डीमार्ट का इतना बड़ा कारोबार खड़ा हुआ है. दमाणी दुनिया के 500 अमीरों की लिस्ट में जगह बना चुके हैं. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे दमाणी ने डीमार्ट की नींव रखी और कंपनी को खड़ा किया.

डीमार्ट से पहले दमाणी का सफर-
डीमार्ट के फाउंडर राधाकृष्ण दमाणी का जन्म साल 1954 में मुंबई के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था. बीकॉम के लिए उनका दाखिला मुंबई यूनिवर्सिटी में हुआ. लेकिन एक साल बाद ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और बिजनेस करने लगे. दमाणी ने पहले बॉल बियरिंग बिजनेस शुरू किया. लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली. उन्होंने इस बिजनेस को छोड़ दिया. इस दौरान उनके पिता का निधन हो गया. दमाणी ने 5 हजार रुपए स्टॉक मार्केट में लगाए. उन्होंने पहले इस बिजनेस को समझा और छोटी-छोटी कंपनियों में इंवेस्ट करना शुरू किया. दमाणी ने इससे काफी पैसा कमाया. साल 1999 में उन्होंने मुंबई के नेरूल में बाजार की एक फ्रेंचाइजी शुरू की. लेकिन इसमें उनको सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने डीमार्ट की तरफ से कदम बढ़ाया.

डीमार्ट की शुरुआत-
साल 2002 में दमाणी ने मुंबई के पवई में डीमार्ट के नाम से एक स्टोर शुरू किया. इसमें उनका सफलता मिली. इसके बाद उन्होंने स्टोर्स की संख्या बढ़ाने का काम शुरू किया. दमाणी ने एक पॉलिसी अपनाई कि कोई भी स्टोर किराए पर नहीं लेंगे. उन्होंने जहां भी स्टोर खोला, वो उनका अपना होता. आज देश में 300 से ज्यादा हैं और सभी कंपनी के अपने हैं. डीमार्ट कंपनी का डिस्काउंड का आइडिया काम कर गया. लोगों ने इसे खूब पसंद किया. लेकिन इसके बावजूद आज भी कंपनी फूंक-फूंककर कदम रखी है. फिलहाल डीमार्ट आम लोगों की पसंद बन गई है. यहां पर सामान भारी डिस्काउंट पर मिलता है.

कंपनी की सफलता का राज-
डीमार्ट में सालभर ऑफर रहता है. लेकिन इसके बावजूद कंपनी घाटे में क्यों नहीं जाती है? इसके पीछे दमाणी का आइडिया काम करता है. कंपनी ने कभी भी किराए पर डीमार्ट का स्टोर नहीं खोला. इसके अलावा कंपनी कुछ ही ब्रांड का सामान रखती है. इतना ही नहीं, कंपनी अपने ब्रांड को सामानों को ज्यादा प्रमोट करती है. कंपनी का मानना है कि कम से कम ब्रांड के सामान होने पर ग्राहक कन्फ्यूज नहीं होते हैं. इसके अलावा डीमार्ट जल्द से जल्द स्टॉक को खत्म करता है. कंपनी का इंवेंटरी टर्न ओवर टाइम करीब 30 दिन का है. जबकि ज्यादातर कंपनियों का 70 दिन का होता है. इसके अलावा कंपनी का स्टोर किसी मॉल में नहीं होता है. कंपनी वेंडर्स का भी ख्याल रखती है. डीमार्ट में सामान दूसरे स्टोर्स के मुकाबले 6 फीसदी सस्ता होता है. डीमार्ट ने ये मार्केट वैल्यू कस्टमर्स को ध्यान में रखकर बनाई है.

14 राज्यों में फैला है कारोबार-
डीमार्ट कंपनी का कारोबार देश के 14 राज्यों में फैला है. कंपनी का हेडक्वार्टर मुंबई में है. देशभर में कंपनी के 300 से ज्यादा स्टोर्स हैं. इसमें 10 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं. कंपनी कॉन्ट्रैक्ट पर भी कर्मचारी रखती है. इस वक्त 58 हजार से ज्यादा कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं. डीमार्ट के ज्यादातर स्टोर उन इलाकों में मिलेंगे, जहां मिडिल क्लास के लोग रहते हैं. इन इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमत भी कम होती है.

बेटियों के हाथ में कमान-
डीमार्ट रिटेल चेन चलाने वाले राधाकृष्ण दमाणी 67 साल के हो गए हैं और उनकी तीन बेटियां मधु, मंजरी और ज्योति हैं. डीमार्ट रिटेल चेन का कारोबार उनकी बेटियां मधु और मंजरी की देखरेख में चलता है. उनकी बड़ी बेटी मधु की शादी अभय चांडक से हुई है. चांडक परिवार मुंबई के रईस परिवारों में से एक है.

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