महाराष्ट्र में पुणे के रहने वाले ज्ञानेश्वर बोडके को पैसों की कमी के चलते 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. उन्होंने ऑफिस ब्वॉय का काम किया. जिससे घर-परिवार का खर्च चलने लगा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वो लगातार कोशिश करते रहे. जब वो ऑफिस ब्वॉय की नौकरी कर रहे थे तो उन्होंने एक अखबार में एक किसान की सफलता की कहानी पढ़ी. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पॉलीहाउस की खेती शुरू की. आज ज्ञानेश्वर की लाखों रुपए की कमाई होती है. चलिए उनकी सफलता की कहानी बताते हैं.
आर्थिक तंगी सी वजह से छोड़नी पड़ी पढ़ाई-
ज्ञानेश्वर बोडके महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले हैं. उनका बपचन तंगहाली में बीता. उनके परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. परिवार के पास थोड़ी सी जमीन थी. जिसपर खेती करके उनका परिवार गुजारा करता था. शुरुआत में ज्ञानेश्वर की पढ़ाई-लिखाई गांव में ही हुई. लेकिन परिवार की आर्थिक हालत खराब होने की वजह से वो पढ़ाई जारी नहीं रख पाए. किसी तरह से उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई की. उसके बाद परिवार को आर्थिक सपोर्ट करने से लिए नौकरी करने चले गए.
सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक करते थे काम-
ज्ञानेश्वर नौकरी की तलाश मे पुणे गए. किसी परिचित की मदद से उनको ऑफिस ब्वॉय की नौकरी मिल गई. घर का खर्च चलने लगा. उनको सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक काम करना पड़ता था. वो ये नौकरी नहीं करना चाहते थे. लेकिन परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी, इसलिए किसी तरह से वो नौकरी करते रहे.
अखबार में पढ़ी खबर, फिर बदली किस्मत-
ज्ञानेश्वर बोडके पुणे में ऑफिस ब्वॉय के तौर पर काम कर रहे थे. एक दिन उन्होंने अखबार में एक किसान की सफलता की कहानी पढ़ी. उस खबर के मुताबिक एक किसान ने एक हजार वर्ग फुट क्षेत्र में पॉलीहाउस खेती की और 12 लाख रुपए सालाना की कमाई कर रहा था. इस खबर को पढ़ने के बाद ज्ञानेश्वर ने भी खेती करने की सोची और नौकरी छोड़ दी. उन्होंने पॉलीहाउस खेती पर दो दिन का वर्कशॉप किया. लेकिन उनको कुछ समझ नहीं आया. इसके बाद भी ज्ञानेश्वर ने हार नहीं मानी.
एक साल में चुकाया 10 लाख का लोन-
ज्ञानेश्वर ने फिर से पॉलीहाउस खेती की ट्रेनिंग ली और खेती करने का प्लान बनाया. वो ट्रेनिंग के लिए 17 किलोमीटर साइकिल से जाते थे. इसके बाद उन्होंने बैंक से लोन लिया और एक हजार स्क्वॉयर फीट में पॉलीहाउस खेती शुरू की. उन्होंने साल 1999 में गुलनार और गुलाब की खेती शुरू की. इस खेती से ज्ञानेश्वर ने एक साल में ही 10 लाख रुपए का लोन चुका दिया. फिलहाल ज्ञानेश्वर संतरे, आम, केले, पपीते, अंजीर और सब्जियां उगा रहे हैं. इसके अलावा वो पैकेट में दूध भरकर लोगों के घरों में डिलीवरी करते हैं. उन्होंने ज्ञानेश्वर ऐप लॉन्च भी किया. उन्होंने अभिनव फॉर्मिंग क्लब नाम से एक ग्रुप बनाया है. इसमें 300 से अधिक किसान जुड़े हैं.
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