scorecardresearch

Success Story: मिलिए पंजाब के 'धीरूभाई अंबानी' से, कभी कमाते थे दिन के 30 रुपए, अब Rajinder Gupta ने खड़ा किया 17000 करोड़ का कारोबार

Rajinder Gupta Success Story: बिजनेसमैन राजिंदर गुप्ता ने शुरुआती दिनों में 30 रुपए पर दिहाड़ी मजदूरी की थी. लेकिन जब पंजाब हिंसक दौर से गुजर रहा था तो राजिंदर गुप्ता ने बड़ा जोखिम उठाया और आज वो पंजाब से सबसे अमीर बिजनेसमैन हैं.

पंजाब के सबसे अमीर बिजनेसमैन राजिंदर गुप्ता की कहानी पंजाब के सबसे अमीर बिजनेसमैन राजिंदर गुप्ता की कहानी

14 साल की उम्र में आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना किसी की भी हिम्मत तोड़ सकता है. लेकिन इस लड़का किस्मत से लड़ने की ठान ली. मोमबत्तियां और सीमेंट पाइप बनाने जैसे काम किए. इसकी एवज में 30 रुपए दिहाड़ी मिलती थी. धीरे-धीरे इसने खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत किया और 80 के दशक में एक फर्जिलाइजर फैक्ट्री की स्थापना की. उसके बाद इसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज वो लड़का एक सफल बिजनेसमैन है. वो 1.5 बिलियन डॉलर की संपत्ति का मालिक है. पंजाब के बिजनेस स्कूलों में उनकी कामयाबी को केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाता है. उस बिजनेसमैन का नाम राजिंदर गुप्ता है. उनको पंजाब का धीरुभाई अंबानी कहा जाता है. चलिए आपको सड़क से अरबों की संपत्ति बनाने वाले राजिंदर गुप्ता की पूरी कहानी बताते हैं.

कौन हैं राजिंदर गुप्ता-
कारोबारी राजिंदर गुप्ता ट्राइडेंट लिमिटेड के कॉरपोरेट एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष और ट्राइडेंट ग्रुप के चेयरमैन हैं. उन्होंने 17 हजार करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा किया है. राजिंदर गुप्ता को साल 2007 में पद्मश्री सम्मान मिल चुका है. वो फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ की सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के तौर पर काम करते हैं. राजिंदर गुप्ता के सक्सेस स्टोरी को पंजाब के बिजनेस स्कूलों में केस स्टडी के तौर पढ़ाया जाता है. उनको पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का चेयरमैन नियुक्ति किया गया है.

14 साल की उम्र में छोड़नी पड़ी पढ़ाई-
राजिंदर गुप्ता का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता कपास का कारोबार करते थे. लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. जब राजिंदर 14 साल के थे तो उनको पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस वक्त वो 9वीं क्लास में पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने पढ़ाई छोड़कर कमाई करना शुरू किया.

30 रुपए दिहाड़ी पर किया काम-
पढ़ाई छोड़ने के बाद राजिंदर गुप्ता ने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए काम करना शुरू किया. छोटी उम्र और अच्छी पढ़ाई नहीं होने के चलते उनको कोई ढंग का काम भी नहीं मिला. उन्होंने सीमेंट पाइप और मोमबत्तियां बनाने जैसे काम किए. इसके लिए उनको 30 रुपए दिहाड़ी मजबूरी मिलती थी. सालों तक यही सिलसिला चलता रहा. लेकिन धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरती चली गई.

फर्टिलाइजर फैक्ट्री की स्थापना-
80 के दशक में राजिंदर गुप्ता ने बड़ा फैसला किया. साल 1985 में उन्होंने अभिषेक इंडस्ट्रीज नाम से एक फर्टिलाइजर कंपनी की स्थापना की. उन्होंने इसमें 6.5 करोड़ रुपे इंवेस्ट किए. इस फैक्ट्री के लिए लाइसेंस हासिल करने में उनके केंद्र सरकार के दोस्तों ने मदद की थी. उस समय पंजाब हिंसक दौरे से गुजर रहा था, उस वक्त में ये कदम जोखिम भरा था. उस समय पंजाब से कंपनियां छोड़कर जा रही थीं. लेकिन राजिंदर गुप्ता ने बड़ा जोखिम उठाया और अपना पहला उर्वरक विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया.

1991 में कताई मिल की स्थापना-
उनकी फर्टिलाइजर फैक्ट्री ठीक चलने लगी. साल 1990 में ट्राइडेंट लिमिटेड की स्थापना की. इसके बाद उन्होंने साल 1991 में ज्वाइंट वेंचर के तौर पर कताई मिल की स्थापना की. इससे उनको काफी फायदा हुआ. इसके बाद राजिंदर गुप्ता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कागज, कपड़ा और केमिकल इंडस्ट्री में उतरे. उन्होंने अपनी कंपनी की यूनिट पंजाब के बाहर भी लगाने शुरू की. उन्होंने मध्य प्रदेश में अपनी यूनिट लगाई. वे ग्लोबल लेबल पर टेरी टॉवेल बनाने वाले 5 सबसे बड़ी कंपनियों में से एक हैं. ट्राइडेंट ग्रुप के ग्राहकों में वॉलमार्ट, जेसीपीएनई और लिनन शामिल है.

सेहत में गिरावट के चलते कारोबार से बनाई दूरी-
राजिंदर गुप्ता ने ट्राइडेंट ग्रुप को एक प्रतिष्ठित ब्रांड बनाया. लेकिन धीरे-धीरे उनकी उम्र होने लगी और सेहत भी ठीक नहीं रहती थी. साल 2022 में 64 साल की उम्र में राजिंदर गुप्ता ने ट्राइडेंट में बोर्ड ऑफ डायेक्टर के पद से इस्तीफा दे किया. लेकिन ग्रुप के चेयरमैन एमिरेटस बने हुए हैं.

ये भी पढ़ें: