अगर जज्बा और हौसला है तो इंसान के लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं है. एक लड़का ने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और घर की आर्थिक मदद के लिए कैलकुलेटर रिपेयरिंग की दुकान पर काम करने लगा. वो लड़के कुछ पैसे जुटाकर रिपेयरिंग की दुकान खोल लेता है. 22 साल की उम्र में वो लड़का पहली बार बैंक में कप्यूटर देखता है. उसने 50 हजार रुपए जुटाकर पहला कंप्यूटर खरीदा. धीरे-धीरे उसकी दुकान पर रिपेयरिंग के लिए कंप्यूटर भी आने लगे. उस समय रिपेयरिंग के लिए जो कंप्यूटर आते थे, उसमें वायरस की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती थी. इस शख्स ने अपने भाई के साथ मिलकर एंटी वायरस प्रोग्राम पर काम किया. दोनों भाइयों ने मिलकर DOS एंटी वायरस का पहला वर्जन बनाया. उस शख्स का नाम कैलाश काटकर है. बाद में कैलाश ने क्विक हील (Quick Heal) नाम से कंपनी बनाई. आज कंपनी की प्रॉपर्टी हजारों करोड़ में है. चलिए आपको एक रियेरिंग की दुकान पर काम करने वाले कैलाश काटकर की एक सफल बिजनेसमैन बनने की कहानी बताते हैं.
400 रुपए थी कैलाश की पहली सैलरी-
कैलाश काटकर का जन्म साल 1966 में महाराष्ट्र के रहिमतपुर में हुआ था. उनका पालन-पोषण पुणे में हुआ. उनकी स्कूली पढ़ाई-लिखाई भी इसी शहर में हुई. हालांकि 10वीं के बाद कैलाश काटकर ने पढ़ाई छोड़ दी और फैमिली की आर्थिक मदद करने के लिए साल 1985 मे कैलकुलेटर और रेडियो रिपेयरिंग की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया. इस दुकान पर उनको हर महीने 400 रुपए मिलते थे. धीरे-धीरे उनकी कमाई बढ़ती गई. साल 1990 में कैलाश ने 15 हजार रुपए लगाकर अपनी रिपेयरिंग की दुकान खोल ली.
कैलाश 22 साल की उम्र में पहली बार कंप्यूटर देखा था. लेकिन जल्द ही उन्होंने 50 हजार रुपए में पहला कंप्यूटर खरीदा. उसका इस्तेमाल वो बिलिंग के लिए करने लगे. उस वक्त कंप्यूटर का इतना क्रेज था कि लोग उनकी दुकान पर सिर्फ कंप्यूटर देखने आते थे.
क्विक हील कंपनी लॉन्च-
उस समय देश में सॉफ्वेयर इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही थी. कैलाश ने कंप्यूटर के शॉर्ट टर्म कोर्स किए और साल 1993 में CAT कंप्यूटर सर्विसेज की शुरुआत की. ये कंपनी कंप्यूटर रिपेयर और मेंटनेंस का काम करती थी. इस दौरान कैलाश ने देखा कि जो कंप्यूटर उनके यहां रिपेयर करने के लिए आते हैं, उसमें वायरस की समस्या सबसे ज्यादा है. इसको देखकर कैलाश और उनके भाई संजय ने एंटी वायरस प्रोग्राम पर काम करना शुरू किया और साल 1995 में उन्होंने DOS एंटी वायरस का पहला वर्जन बना लिया. इसके बाद एंटी वायरस सॉफ्टवेयर कंपनी लॉन्च की. जिसका नाम क्विक हील है. साल 1998 में काटकर भाइयों ने रिपेयरिंग का काम पूरी तरह से बंद कर दिया और एंटी वायरस सॉफ्टवेयर पर शिफ्ट हो गए.
कई असफलताओं के बाद कंपनी तेजी से आगे बढ़ने लगी. साल 2002 में कंपनी ने पुणे से बाहर अपना कारोबार फैलाया. उन्होंने नासिक में अपनी ब्रांच खोली. साल 2007 में अपनी पहचान मजबूत करने के लिए Quick Heal Technology की शुरुआत की. साल 2010 में कंपनी को Sequoia Capital से 60 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली. इसके बाद कंपनी तेजी से आगे बढ़ने लगी. आज इस कंपनी का कारोबार 60 से ज्यादा देशों में है. फिलहाल कंपनी की कुल प्रॉपर्टी हजारों करोड़ रुपए है.
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