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Success Story: कभी 6 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी पर काम करते थे, अब इस किसान के बेटे ने बनाई 100 करोड़ रुपये की Solar Company

कर्नाटक के प्रवीण के. ने कोरोना महामारी में अपनी नौकरी खोने के बाद अपना सोलर स्टार्टअप शुरू किया. आज उनकी कंपनी की वैल्यू 100 करोड़ है और वह बहुत से लोगों को रोजगार दे रहे हैं.

Swadeshi Group Success Story Swadeshi Group Success Story
हाइलाइट्स
  • आसान नहीं था जीवन 

  • कंपनियों में की सेल्स मैन की नैकरी

पिछले कुछ सालों में सरकार ने देश में सोलर एनर्जी को काफी बढ़ावा दिया है. रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के लिए सूर्योदय योजना की शुरुआत की जिसके तहत एक करोड़ घरों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे. सरकार के इन प्रयासों को सफल करने में बहुत सी निजी और सरकारी कंपनियां उनका साथ दे रही हैं. आज ऐसी ही एक कंपनी के बारे में हम आपको बता रहे हैं जो देश में लोगों को सोलर पैनल उपलब्ध करा रही है. 

यह कहानी है कर्नाटक के Swadeshi Group की, जिसकी वैल्यू वर्तमान में 100 करोड़ है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस कंपनी को शुरू किया है एक किसान के बेटे, प्रवीण ने जो कभी गांव में 6 रुपए प्रति दिन की मजदूरी करता था. इस कंपनी की शुरुआत भी महज 1800 रुपये के साथ हुई लेकिन अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने कंपनी को सफल बना दिया. 

आसान नहीं था जीवन 
प्रवीण का जन्म कर्नाटक के दावणगेरे शहर के देवारा होन्नली गांव में हुआ. किसान के घर में जन्मे प्रवीण को कभी कोई सुविधा नहीं मिली. उनका गांव इतना पिछड़ा था कि यहां न तो नियमित बिजली थी और न ही 8वीं कक्षा से आगे कोई स्कूल था. लेकिन प्रवीण ने पढ़ाई नहीं छोड़ी. उन्होंने अपने गांव से लगभग 7 किलोमीटर दूर एक स्कूल में दाखिला ले लिया और हर रोज स्कूल जाने के लिए 14 किमी चलती थीं. 

वह अपने गांव में 10वीं कक्षा पास करने वाले पहले बच्चे थे. उनके पास ज्यादा साधन नहीं थे इसलिए प्रवीण भी अपने माता-पिता के साथ खेतों में मजदूरी करते थे और मजदूरी के बदले उन्हें हर दिन छह रुपए मिलते थे. लेकिन प्रवीण ने अच्छे भविष्य का सपना देखना नहीं छोड़ा और उनकी यही ललक उन्हें दावणगेरे शहर ले आई जहां उन्होंने ग्रेजुएशन पूरी की. पढ़ाई के साथ-साथ वह पार्ट-टाइम जॉब करते रहे. 

कंपनियों में की सेल्समैन की नैकरी 
प्रवीण का कॉर्पोरेट करियर 2006 में ग्रेजुएशन के बाद पारले कंपनी के साथ शुरू हुआ. तब से, उन्होंने कोका-कोला, विप्रो और ओयो जैसी प्रसिद्ध कंपनियों में काम करते हुए 15 साल बिताए. वह सेल्स डिपार्टमेंट में काम करते थे इसलिए उन्हें इस फील्ड में एक्सपर्टीज हो गई. OYO में काम करते हुए वह इसके फाउंडर रितेश अग्रवाल की सोच से प्रभावित हुए और उन्हें पहली बार लगा कि वह भी स्टार्टअप कर सकते हैं. 

और जब कोरोना महामारी में उनकी नौकरी गई तो उन्होंने तय किया कि वह अपना व्यवसाय करेंगे. साल 2020 की शुरुआत में, प्रवीण ने काम की शुरुआत की और तय किया कि दो साल तक केवल अपने व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करेंगे. उन्होंने मैसूर में स्वदेशी ग्रुप नाम से अपना नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में व्यवसाय शुरू किया. उनके पास निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे. उन्होंने कंपनी रजिस्ट्रेशन के लिए अपने 1800 रुपये का उपयोग किया और फिर कर्नाटक के टियर 2-3 शहरों में सोलर वॉटर हीटर बेचना शुरू किया.

काम कर गया अनोखा आइडिया 
प्रवीण ने अपनी पत्नी चिन्मयी की मदद से अपना काम शुरू किया. शुरुआत में, वह क्रेडिट पर सोलर वॉटर हीटर खरीदते थे और उन्हें बेचने के बाद अपने मैन्यूफेक्चरर को पेमेंट करते थे. जब वह सोलर वॉटर हीटर बेचते थे, तो कई ग्राहक अन्य घरेलू उपकरणों जैसे वॉटर प्यूरीफायर आदि के बारे में पूछते थे. प्रवीण को तब आइडिया आया कि वह अपने प्रोडक्ट्स बनवाकर सेल कर सकते हैं लेकिन उन्हें फंडिंग की जरूरत थी. 

उन्होंने अपना बिजनेस आइडिया अपने मैन्यूफैक्चरर को बताया और उन्हें सफलता का आश्वासन दिया. वहां से प्रवीण को 10 लाख रुपये मिले, जिसका इस्तेमाल उन्होंने एक शोरूम स्थापित करने के लिए किया, जहां सौर ऊर्जा से चलने वाले विभिन्न उत्पाद जैसे कि सोलर वॉटर हीटर, इनवर्टर, बैटरी, वॉटर प्यूरीफायर, ऑटोमैटिक वाटर लेवल कंट्रोलर, एयर हीट पंप और कई अन्य चीजें प्रदर्शित कीं. 

दो सालों में स्वदेशी ग्रुप को सफलता मिलने लगी. उन्होंने अपनी पहली फ्रेंचाइजी पहले साल में ही लॉन्च कर दी थी. स्वदेशी ग्रुप ने पूरे कर्नाटक में 15 शोरूम खोले हैं, जिनमें से चार कंपनी के स्वामित्व वाले और बाकी फ्रेंचाइजी हैं. कंपनी B2B और B2C दोनों में काम करती है. आज उनकी कंपनी बहुत से लोगों को रोजगार दे रही है. प्रवीण की सफलता इस बात का उदाहरण है कि सही दिशा में मेहनत की जाए तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं.