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The Good Doll: 15 साल की नौकरी छोड़ गांव में बस गया यह कपल, वेस्ट कपड़ों से गुड़िया बनाने का शुरू किया स्टार्टअप, अब लाखों में है कमाई

यह कहानी है सुनीता और सुहास रामगौड़ा की, जिन्होंने शहर की सुविधाओं से भरी जिंदगी को छोड़कर गांव में बसने का फैसला किया ताकि प्रकृति के करीब शांति और सुकून भरा जीवन जी सकें. अब तमिलनाडु के गांव में रहते हुए सुहास और सुनीता The Good Doll कंपनी चला रहे हैं और इको-फ्रेंडली डॉल्स बनाकर ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं.

The Good Doll (Photo: Facebook/@TheGoodDoll) The Good Doll (Photo: Facebook/@TheGoodDoll)
हाइलाइट्स
  • शहर की जिंदगी छोड़कर गांव में बसे

  • वेस्ट कपड़ों से बना रहे डॉल्स

शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर हमारा मन होता है कि सबकुछ छोड़कर किसी शांत जगह जाकर बस जाएं. खुद खेती करें, अपनी फसलें उगाएं और प्रकृति के करीब रहें. बहुत से लोगों के लिए यह ख्वाब हो सकता है लेकिन तमिलनाडु में रहने वाले एक कपल सुनीता और सुहास रामगौड़ा के लिए यह उनकी हकीकत है. जी हां, कॉर्पोरेट में 15 साल काम करने के बाद सुहास रामेगौड़ा अब तमिलनाडु के नीलगिरी में प्रकृति के करीब शांत जिंदगी जी रहे हैं. 

सुहास और सुनीता के लिए यह सिर्फ जगह में बदलाव नहीं था, बल्कि उद्देश्य में बदलाव भी था. उन्होंने Off-the-Grid जिंदगी की कल्पना की. पहले सुहास और उनकी पत्नी सुनीता बंगलुरु में रहते थे. यहां रहते हुए भी उन्होंने मिनिमल यानी कम से कम में जिंदगी जीने की कोशिश की. बंगलुरु जैसे शहर में उन्होंने अपना मासिक खर्च मात्र 10 हजार रुपए तक कर लिया था. उनका कहना है कि उनकी इसी सोच ने उनके लिए ग्रामीण इलाके में रहने को आसान बना दिया. 

गांव की महिलाओं के साथ रोजगार 
कई साल पहले नीलगिरी में आकर बसे सुहास और सुनीता ने यहां से लोकल लोगों के साथ घुलने-मिलने और उनके संघर्षों को समझने का लगातार प्रयास किया. उन्होंने अनुभव किया कि इन लोगों के लिए कुछ किया जाना चाहिए. उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास से शुरुआत की. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उन्होंने समुदाय में पांच महिलाओं को अपस्किल करके शुरुआत की. महिलाओं के कौशल विकास के साथ-साथ, उन्होंने दो और पहलें की. 

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सबसे पहले उन्होंने Indian Yards Foundation की शुरुआत की. यह एक नॉन-प्रोफिट संगठन है जो ग्रामीण महिलाओं की अपस्किलिंग और कैपिसिटी बिल्डिंग पर फोकस करता है. दूसरा, उन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया- The Good Doll Pvt. Ltd. यह एक प्राइवेट कंपनी है जो सशक्त महिलाओं के बनाए गए हैंडक्राफ्टेड प्रॉडक्ट्स को सस्टेनेबली मार्केट करते हैं. वे पुराने और वेस्ट कपड़ों से खूबसूरत गुड़िया बना रहे हैं. 

इको-फ्रेंडली गुड़िया बनाकर हो रही कमाई 
"द गुड डॉल" आजकल की फैशन डॉल्स से बहुत अलग तरह की गुड़िया बना रहा है. गुड़ डॉल की सभी गुड़िया इको-फ्रेंडली होती हैं और इन्हें अलग-अलग तरह की स्किन टॉन में बनाया जाता है. हर एक गुड़िया एक "मेकर कार्ड" के साथ आती है जिसमें कारीगर की तस्वीर, नाम और कहानी होती है, जो खरीदार और बनाने वाले आर्टीसन के बीच एक व्यक्तिगत संबंध को बढ़ावा देती है. 

द गुड डॉल के जरिए आज बहुत सी महिलाएं अच्छी कमाई कर रही हैं. उनके यहां बहुत सी महिलाएं हर महीने 10 हजार रुपए तक कमा लेती हैं. इससे महिलाओं को न सिर्फ कॉन्फिडेंस मिलता है बल्कि उनके घर-परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. इन गुड़िया को मार्केट में अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'द गुड डॉल' ने अपने पहले साल में 75 लाख रुपये कमाए थे और इस साल 2 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य है.