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ITR: अभी तक नहीं आया Tax Refund तो किससे करें शिकायत, कहां होती है इसकी सुनवाई, जानें कैसे आयकर विभाग से वापस पाएं पैसा

Income Tax Refund 2023: रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन अब जा चुकी है. यदि आप आईटीआर रिफंड का इंतजार कर रहे हैं तो आपको चेक कर लेना चाहिए कि आपका रिटर्न वेरिफाई हुआ है या नहीं. यदि वेरिफाई के बाद भी आपके खाते में पैसा नहीं आया है तो इसकी शिकायत करनी चाहिए.

Income Tax Refund 2023 Income Tax Refund 2023
हाइलाइट्स
  • टैक्स विभाग से आए नोटिफिकेशन को नहीं करें नजरअंदाज

  • 16 से लेकर 60 दिनों में मिल जाता है रिफंड का पैसा 

आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2022-23 का रिफंड भेजना शुरू कर दिया है. विभाग अमूमन 16 दिन से लेकर 60 दिन के भीतर आपका रिफंड प्रोसेस कर देता है. यदि आपका रिटर्न भरने के बावजूद अभी तक पैसा वापस नहीं आया है तो इसकी शिकायत इनकम टैक्‍स विभाग से कर सकते हैं.

यदि रिटर्न भरने के बाद भी आपका रिफंड नहीं आता है तो सबसे पहले अपना स्‍टेटस चेक कीजिए. उसमें आपको विभाग की ओर से यह जानकारी दी जाती है कि आखिर रिफंड आने में देरी क्‍यों हो रही है. रिफंड में देरी का सही कारण पता होने के बाद आप इसकी शिकायत आधिकारिक वेबसाइट पर कर सकते हैं.

कहां कर सकते हैं शिकायत
टैक्‍सपेयर्स रिफंड नहीं मिलने पर इसकी शिकायत incometax.gov.in पर कर सकते हैं. इसके अलावा इनकम टैक्‍स विभाग के टोल फ्री नंबर 1800-103-4455 पर भी इसकी शिकायत कर सकते हैं. इस नंबर पर प्रत्‍येक वर्किंग डेज में सुबह 8 बजे से लेकर रात 8 बजे तक कॉल की जा सकती है. साथ ही आप चाहें तो ई-फाइलिंग पोर्टल पर भी इसकी शिकायत कर सकते हैं.

स्‍टेटस कैसे करें चेक 
1. सबसे पहले ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाएं और अपना अकाउंट लॉग इन करें.
2. इसके बाद ई-फाइल पर क्लिक करें फिर इनकम टैक्‍स रिटर्न पर जाएं और व्‍यू फाइल्‍ड रिटर्न ऑप्‍शन खोलें.
3. इसके बाद जिस असेसमेंट ईयर का रिफंड देखना है उस पर क्लिक करें.
4. फिर व्‍यू डिटेल पर जाकर अपने रिफंड का स्‍टेटस जान सकते हैं.

क्‍या-क्‍या दिखता है स्‍टेटस में
स्‍टेटस में अगर रिफंड रिजेक्‍टेड दिखता है तो आपको जल्‍द ही इनकम टैक्‍स विभाग से नोटिस मिलेगा और आउटस्‍टैंडिंग अमाउंट का लेखा जोखा होगा. इसके बाद आप अपने सभी डॉक्‍यूमेंट चेक कीजिए और टैक्‍स का कैलकुलेशन कर अपना बकाया टैक्‍स जमा कर सकते हैं. यदि रिटर्न में भरी आपकी डिटेल सही है तो आप अपना आईटीआर दोबारा दाखिल कर सकते हैं. इसके लिए इनकम टैक्‍स की धारा 139(4) के तहत अपना रेक्टिफिकेशन रिटर्न भर सकते हैं. इसके साथ आपको रिफंड के दावे के लिए सभी डॉक्‍यूमेंट भी लगाना होगा. यदि आईटीआर गलत तरीके से भरा है तो तत्‍काल अपना टैक्‍स चुकाकर दोबारा रिटर्न भर दें.

रिफंड री-इश्‍यू करने से पहले यह चेक जरूर कर लें 
यदि आपको अपना रिफंड री-इश्‍यू कराने के लिए अनुरोध करना है तो पहले यह जरूर देखें कि टिन-एनएसडीएल की वेबसाइट पर आपका रिफंड रिजेक्‍ट दिखा रहा है या नहीं. इसके लिए आप अपने रिफंड को ट्रैक भी कर सकते हैं. यदि आपका रिफंड स्‍टेटस नहीं दिखा रहा या ई-फाइलिंग वेबसाइट पर रिफंड को रिजेक्‍ट करने का कारण नहीं बताया गया है तो आप अपने रिफंड को री-इश्‍यू करने की रिक्‍वेस्‍ट नहीं डाल पाएंगे. ऐसी स्थिति में आप ई-फाइलिंग पोर्टल ई-निवारण टैब के जरिए अपना शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

कैसे डालें रिफंड री-इश्‍यू करने की रिक्‍वेस्‍ट
1.
सबसे पहले ऑफिशियल वेबसाइट www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं.
2. माई अकाउंट मेनू पर क्लिक करने के बाद फिर सर्विस रिक्वेस्ट लिंक पर क्लिक करें.
3. न्यू रिक्वेस्ट के तौर पर रिक्वेस्ट टाइप को सेलेक्ट करें. रिफंड रीइश्यू के तौर पर रिक्वेस्ट कैटेगरी को सेलेक्ट करें और फिर सबमिट बटन दबाएं.
4. इसके बाद पेज पर पैन, रिटर्न का प्रकार, एसेसमेंट ईयर, एकनॉलेजमेंट नंबर, कम्युनिकेशन रेफरेंस नंबर, रिफंड रिजेक्‍ट होने का कारण और रेस्पॉन्स दिखाई देगा.
5. अब आप रेस्पॉन्स कॉलम में सबमिट हाइपरलिंक पर क्लिक करें. इससे प्री वैलिडेट बैंक खाते दिखने लगेगे, जहां इनेबल किया गया ईवीसी भी दिखाई देगा.
6. आप जिस खाते में रिफंड चाहते हैं उसे सेलेक्‍ट कर कंटीन्‍यू पर क्लिक करें.
7. सभी डिटेल सही होने पर ओके पर क्लिक करें. इसके बाद डायलॉग बॉक्स में ई-वेरिफिकेशन के लिए विकल्प दिखेंगे. 
8. ई-वेरिफिकेशन के उचित मोड को चुनें. रिक्‍वेस्‍ट जमा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC)/आधार ओटीपी को जेनरेट कर उसे डालें.
9. आपके स्‍क्रीन पर रिफंड री-इश्यू सब्मिशन की पुष्टि करते हुए सक्सेस का मैसेज दिखेगा.                                                                       

सूचनाओं को कभी नहीं करें नजरअंदाज 
एक चीज जो कभी नहीं करनी चाहिए, वो है कि टैक्स विभाग से नोटिफिकेशन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. टैक्सपेयर को ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द जवाब देना चाहिए. उन्हें 15 दिन के अंदर ये करना चाहिए. यदि इसे नजरअंदाज किया जाता है, तो ये समझा जाएगा कि टैक्सपेयर को कोई दिक्कत नहीं है और रिफंड सेटऑफ कर दिया जाएगा. यदि डिमांड रिफंड से ज्यादा है, तो अतिरिक्त राशि का भी भुगतान करना होगा. इसलिए, टैक्सपेयर को ये सुनिश्चित करना होगा कि वो ऐसी डिटेल का जवाब दें और स्थिति साफ करें.