हम अक्सर देखते हैं कि टैक्सी ऑपरेटर्स अपनी मनमानी के हिसाब से पैसे चार्ज करते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जल्द ही राजधानी दिल्ली में एग्रीगेटर स्कीम लागू होने वाली है. हाल ही में ओला और उबर जैसे टैक्सी ऑपरेटर की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली में एग्रीगेटर स्कीम का ड्राफ्ट जारी कर दिया है. इसके लागू हो जाने के बाद से ऐसे एग्रीगेटर जिनके पास 50 से ज्यादा वाहन हैं और वो ऑनलाइन सेवाएं दे रहे हैं उन्हें लाइसेंस लेना होगा.
इसके साथ उन्हें जगह-जगह अपने ऑपरेटिंग सेंटर भी खोलने होंगे. इनकी मदद से ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं दी जा सकेंगी. आपको बता दें, वाहनों पर लाइसेंस फीस शून्य होगी. यानी ये फ्री में लाइसेंस ले सकेंगे.
क्या होगी सिक्योरिटी राशि?
वाहन संख्या | रुपये |
1000 वाहनों का बेड़े के लिए | 1 लाख रुपये |
1-5 हजार वाहनों के लिए | 2.5 लाख रुपये |
5 हजार से 10 हजार वाहनों के लिए | 5 लाख रुपये |
10 हजार से ज्यादा वाहनों के लिए | 10 लाख रुपये |
वार्षिक आधार पर होगा लाइसेंस रिन्यू
योजना में कहा गया है कि 50 से अधिक वाहनों के बेड़े के साथ काम करने वाले किसी भी वाहन एग्रीगेटर को इन सभी नियमों को मानना जरूरी होगा. लाइसेंसिंग के मामले में एग्रीगेटर्स और उनके तहत काम करने वाले ड्राइवर्स दोनों को दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से लाइसेंस लेना जरूरी होगा. इनमें से प्रत्येक लाइसेंस का वार्षिक आधार पर नवीनीकरण (Renewal) किया जाएगा.
कॉन्टेक्ट सेंटर्स बनाने होंगे
इस योजना के तहत रजिस्टर्ड ऑपरेटरों को दिल्ली में 24 घंटे कॉन्टेक्ट सेंटर स्थापित करने की भी आवश्यकता होगी, जिसमें किसी भी बिंदु पर उनके तहत चलने वाले सभी वाहनों के रीयल-टाइम डेटा को स्टोर करना होगा. इन कॉन्टेक्ट सेंटर्स को किसी भी समय दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के साथ यात्रियों के नाम, कार पंजीकरण संख्या और ड्राइवर डिटेल सहित बुकिंग संबंधी किसी भी डेटा को साझा करने की आवश्यकता होगी.
यूज़र रिपोर्ट ज्यादा हैं तो ऑपरेटर करें कार्रवाई
इसमें कहा गया है कि एक एग्रीगेटर के तहत काम करने वाले ड्राइवरों की मॉनिटरिंग के संदर्भ में भी कहा गया है. अगर किसी ड्राइवर के खिलाफ एक महीने में 15% से अधिक ट्रिप पर यूजर रिपोर्ट दर्ज की गई है, तो एग्रीगेटर को उनके खिलाफ "उचित कार्रवाई" करनी होगी. यदि ड्राइवरों की एक साल की सर्विस के बाद 5 में से 3.5 से नीचे का दर्जा दिया जाता है, तो उन्हें तीन महीने के "ओब्जर्वेशन पीरियड” के तहत रखा जाएगा. स्कोर में कोई सुधार नहीं होने पर, दिल्ली सरकार इस योजना के तहत उन्हें दिए गए लाइसेंस को रद्द कर सकती है.
लाइसेंस न लेने पर भारी जुर्माना
अगर 100 दिन तक भी कोई लाइसेंस नहीं लेता है, तो जुर्माना 500 रुपये प्रति वाहन प्रति दिन के हिसाब से लगेगा. साथ ही वाहनों को इलेक्टिक वाहन में बदलने का रोडमैप भी दिया गया है. स्कीम का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. गाइडलाइंस के जारी होने के 3 महीने बाद तक अगर टैक्सी ऑपरेटर ने लाइसेंस नहीं लिया है, तो 25 हजार का जुर्माना भरना पड़ेगा.
लाइसेंस लेने के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा
लाइसेंस लेने के 6 महीने में दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 10% को, 1 साल में 25% को और 2 साल के भीतर 50% को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा. कारों के लिए, 6 महीने में 5%, 1 साल में 15% और 2 साल में 25% वाहनों को इवी में बदलना होगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो प्रति वाहन रोज़ 1000 रु. का जुर्माना देना होगा.